केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की पेशकश का पेंशनरों के संगठनों ने भी किया भारी विरोध
पेंशन के नाम पर क्रूर मजाक : देश के कर्मचारी भविष्य निधि योजना (EPS) के पेंशनर्स के लिए जल्द पेंशन की रकम में इजाफा होने की संभावना को अच्छी खबर के रूप में प्रचारित किया जा रहा है. विभिन्न न्यूज़ चैनलों के पोर्टलों पर इसे कई दिनों से बढ़-चढ़ कर गूगल प्लेटफॉर्म से प्रसारित किया जा रहा है. लेकिन, जिस मासिक पेंशन राशि 3,000 रुपए के मिलने की संभावना की वाहवाही की जा रही है, उसके बारे में पेंशनरों की क्या राय है, यह बताने की कोई कोशिश नहीं की जा रही.
खबर है कि 31 प्रतिशत महंगाई भत्ते और राहत के बाद केंद्र की मोदी सरकार एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) के पीएफ खाताधारकों की न्यूनतम पेंशन की राशि 3,000 तक बढ़ा सकती है. जबकि यह पेंशन राशि पेंशनर्स और उनके संगठनों को मंजूर नहीं है.
निवृत कर्मचारी ईपीएफ 1995 राष्ट्रीय समन्वय समिति ने आज मंगलवार, 16 नवंबर को देश भर में काला दिन मनाया गया और जिला कलेक्टरों और EPFO के क्षेत्रीय आयुक्तों को ज्ञापन सौंप कर 9,000 रुपए + महंगाई भत्ता मासिक पेंशन के रूप में निर्धारित करने की मांग की है. नागपुर में समन्वय समिति के महासचिव प्रकाश पाठक के नेतृत्व में यह ज्ञापन सौंपा गया.
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 6,000 रुपए करने की मांग की है, ऐसे में माना जा रहा है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी 3,000 रुपए तक बढ़ा सकती है और जल्द ही इस मांग को पूरा किया जा सकता है. फिलहाल इस पर विचार चल रहा है. वैसे इस संबंध में 16 नवंबर 2021 को बैठक होनी थी, जिसे स्थगित कर 21 नवंबर किया जाने वाला है.
केंद्रीय ट्रेड यूनियन के मेंम्बर्स की सोच पर अफसोस
समन्वय समिति के विधि सलाहकार एवं वरिष्ठ पेंशनर योद्धा दादा झोड़े ने केंद्रीय ट्रेड यूनियन के मेंम्बर्स की सोच पर अफसोस जाहिर है. उन्होंने कहा कि उनकी इस सोच से साफ है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी में शामिल ट्रेड यूनियंस के इन मेम्बरों को ईपीएफ पेंशनरों की तकलीफों की कोई चिंता नहीं है. 65 लाख पेंशनरों में लगभग 30 लाख ऐसे हैं, जिन्हें 1,000 रुपए से भी कम पेंशन मिल रहा है. अन्य पेंशनरों को भी लम्बी सेवाओं के बावजूद 1,500 रुपए से अधिकतम 3,000 या 3,500 रुपए ही पेंशन ही दिए जा रहे हैं.
दादा झोड़े ने कहा कि 2016 में ही सुप्रीम कोर्ट ने EPS 95 के अंतर्गत पेंशनरों को उनकी सेवानिवृति के समय के वेतन के अनुसार पेंशन तय करने का आदेश जारी किया था. जिसे EPFO ने स्वीकार भी किया था और तदनुरूप जिन पेंशनरों ने इसके लिए पहल की, उन्हें देना भी शुरू कर दिया था. लेकिन बाद में नई-नई अधिसूचनाओं के सहारे इसमें पेंच लगाने शुरू कर दिए और फिर बड़ी हुई पेंशन राशि देना भी बंद कर दिया.
दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि EPFO के नियमों के मुताबिक पेंशनरों का अंतिम वेतन चाहे जितना भी अधिक रहा हो, उनका पेंशन 5,500 और 6,500 रुपए पर ही तय होता आया है. नवंबर 2014 के बाद सेवानिवृत्त हुए लोगों के लिए यह न्यूतम राशि बढ़ा कर 15,000 रुपए की गई तो EPFO फिर चाल चली. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद उसने पेंशन निर्धारण की सीमा 15,000 तय कर दी. जिसका देश भर में विरोध हुआ. केरल हाईकोर्ट ने EPFO की यह चाल निरस्त कर दी तो वह इस आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट चला गया. सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट की आदेश को उचित बताते हुए जब EPFO की याचिका खारिज कर दी. जब दाल नहीं गली तब सरकार के साथ मिल कर वह सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल कर वहां भी मामले को अदालती दांव-पेंच में फंसा कर बैठा है.
पेंशनरों के साथ यह क्रूर मजाक
सुप्रीम कोर्ट में EPFO के इस रिव्यू पिटिशन का फैसला आना बाकी है और अब 3,000 रुपए की पेंशन का लॉलीपॉप पेंशनरों को दिखाया जा रहा है. न्यूज चैनलों के पोर्टल गूगल प्लेटफॉर्म से इस संभावना के लिए सरकार और EPFO की तारीफ कर रहे हैं. इसे ईपीएफ पेंशनरों के लिए खुशखबरी बताने में लगे हुए हैं. पेंशन के नाम पर पेंशनरों के साथ यह क्रूर मजाक किया जा रहा है.