पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एडीजीपी को तलब किया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अदालत के समक्ष “प्रथम दृष्टया” झूठा हलफनामा दायर करने के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, जेल, पंजाब (एडीजीपी) के साथ-साथ जेल के उप महानिरीक्षक को तलब किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कैदी को ” न तो पीटा गया और न ही उसे कोई चोट लगी.” मामला पंजाब के होशियारपुर स्थित सेंट्रल जेल का है.
मामले को 14 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध करते हुए, अदालत ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश, होशियारपुर को “वर्तमान याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत आवेदन के संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.”
जस्टिस एन.एस. शेखावत ने कहा कि कार्यवाही के दौरान जब कैदी के वकील की ओर से सीसीटीवी फुटेज चलाया गया, तो “यह स्पष्ट है कि जेल के अंदर जेल अधिकारियों द्वारा किसी व्यक्ति की पिटाई की जा रही थी.”
निर्देशों के अनुपालन में, एडीजीपी (जेल), पंजाब द्वारा हलफनामा दायर किया गया था, जिसमें कहा गया था, “सुबह 11:59 बजे के आसपास सीसीटीवी कैमरों के फुटेज में केवल जेल कर्मचारियों को देखा जा सकता है.” हालांकि, कैदी हरिंदर पाल सिंह को सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में नहीं देखा गया था. आगे कहा गया है कि “जांच अधिकारी के अनुसार, कैदी हरिंदर पाल सिंह को न तो पीटा गया था और न ही उन्हें कोई चोट लगी थी.”
अदालत ने कहा, इस प्रकार, अदालत की प्रथम दृष्टया राय में इस अदालत के समक्ष एक झूठा हलफनामा दायर किया गया है. अदालत पंजाब के होशियारपुर स्थित सेंट्रल जेल द्वारा कैदी के खिलाफ कथित मानसिक और शारीरिक यातना की न्यायिक जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. कैदी की तत्काल चिकित्सा जांच और सुरक्षा की भी मांग की गई.
यह आरोप लगाया गया है कि हरिंदर पाल सिंह, जो वर्तमान में एक हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है, को जेल अधिकारियों और सिविल ड्रेस में एक प्राइवेट पर्सन द्वारा बेरहमी से पीटा गया था. याचिका में कहा गया है कि सिंह फिलहाल बिना भोजन और पानी के एकांत कारावास में हैं.
आरोपों पर विचार करते हुए, अदालत ने एडीजीपी (जेल) से एक हलफनामे पर जवाब मांगा और सभी सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने का निर्देश दिया.