दीक्षाभूमि के सौंदर्यीकरण से ऐसे निखरेगी संतरा नगरी

दीक्षाभूमि के सौंदर्यीकरण से ऐसे निखरेगी संतरा नगरी 

नागपुर
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200 करोड़ रुपए मंजूर किए महाराष्ट्र शासन ने, बदलेगी की सूरत

नागपुर :  संतरा नगरी नागपुर के विश्व प्रसिद्ध दीक्षाभूमि के आभामंडल में और चार चाँद लगने वाले हैं. बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अपने लाखों अनुयायियों के साथ इस स्थल पर 14 अक्टूबर 1956 को बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी. 

इस पावन स्थली के सौंदर्यीकरण और विकास के लिए महाराष्ट्र शासन ने 200 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं. महाराष्ट्र शासन की ओर से दीक्षाभूमि के विकास के लिए समय-समय पर पहले भी निधि उपलब्ध कराई जाती रही है. राज्य के अन्य प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों के सौंदर्यीकरण और विकास के तर्ज पर इस बार राज्य की एनडीए सरकार ने इस तीर्थ स्थल के लिए भी बड़ी निधि उपलब्ध कराई है. 

सौंदर्यीकरण और विकास प्रकल्प के लिए टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं. अगले माह 14 अक्टूबर को विकास कार्यों का भूमिपूजन होगा. नागपुर सुधार प्रन्यास के अध्यक्ष मनोज कुमार सूर्यवंशी सौंदर्यीकरण का यह कार्य अगले दो वर्षों में पूरा कर दीक्षाभूमि को नया स्वरूप देने के लिए कृतसंकल्प हैं. 

बाबासाहेब ने विजयादशमी के दिन के अवसर पर धम्म चक्र प्रवर्तन का आयोजन कर इस स्थली को बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना दिया है. देश-विदेश से लाखों की संख्या में बौद्ध अनुयायी आते हैं. साथ ही सालों भर देश-विदेश से लाखों बौद्ध अनुयायी यहां आते रहते हैं.

(दीक्षाभूमि भारत में बौद्ध धम्म का एक प्रमुख केन्द्र है. यहाँ बौद्ध धम्म की पुनरुत्थान हुआ है. महाराष्ट्र राज्य की उपराजधानी नागपुर शहर में स्थित इस पवित्र स्थान पर बोधिसत्त्व परमपूज्य डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने 14 अक्टूबर सम्राट अशोक विजयादशमी के दिन 1956 को पहले महास्थविर चंद्रमणी से बौद्ध धम्म दीक्षा लेकर अपने 5,00,000 (5 लाख) से अधिक अनुयायियों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी थी. त्रिशरण, पंचशील और अपनी 22 प्रतिज्ञाएँ देकर डॉ. आंबेडकर ने दलितों का धर्मपरिवर्तन किया. अगले दिन फिर 15 अक्टूबर को 2,00,000 (2 लाख ) से अधिक लोगों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी और स्वयं भी फिर से दीक्षित हुए. देश तथा विदेश से हर साल यहाँ 25 लाख से अधिक आंबेडकरवादी और बौद्ध अनुयायी आते हैं. – विकिपीडिया)

दीक्षाभूमि के महत्व को देखते हुए महाराष्ट्र शासन ने इसे ए-श्रेणी पर्यटक स्थल का दर्जा दिया है. इसे विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जिम्मेदारी नागपुर सुधार प्रन्यास (NIT) को सौंपी गई है. NIT ने नोएडा के डिजाइन एसोसिएट्स के से एक विकास योजना तैयार की है.

स्वरूप ऐसे बदलेगा…

धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस पर होने वाले कार्यक्रम के लिए एक बड़ा मंच बनाया जाएगा. मौजूदा पार्किंग स्थल के स्थान पर भूमिगत पार्किंग सुविधा प्रदान की जाएगी. इसमें 400 कारों, 1000 दोपहिया वाहनों और 1,000 साइकिलों के लिए पार्किंग की सुविधा होगी. 

मुख्य स्तूप के प्रवेश द्वार का जीर्णोद्धार किया जाएगा. प्रवेश द्वार की चौड़ाई बढ़ेगी. स्तूप के चारों ओर परिक्रमा पथ बनाया जाएगा. इसके बगल में एक खुला हॉल होगा. पूरा क्षेत्र फूलों वाले पेड़ों और हरियाली से आच्छादित होगा. उसके लिए 22.80 एकड़ के दीक्षाभूमि भूमि का उपयोग किया जाएगा. परिक्रमा मार्ग के लिए दीक्षाभूमि के निकट स्थित केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान की 3.84 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाने वाला है. 

200 करोड़ रुपए की लागत से सौंदर्यीकरण और विकास कार्य किए जायेंगे. प्रकल्प को आरंभ करने के लिए राज्य सरकार ने 40 करोड़ रुपए उपलब्ध करा दिए हैं. अगले माह 14 अक्टूबर को विकास कार्यों का भूमिपूजन किया जाएगा. 

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