गढ़चिरोली : भारत और अमेरिका के वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम ने चंद्रपुर में एक भूगर्भ खोजी अभियान के तहत लाखों वर्ष पूर्व धरती पर वास करने वाले डायनासोर के जीवाश्म ढूंढ निकाले हैं. गढ़चिरोली जिले के सिरोंचा जंगलों में यह जीवाश्म पाए गए हैं.
इन अवशेषों के मिलने से वैज्ञानिकों की टीम की यह एक भारी सफलता मानी जा रही है. अवशेषों को आगे प्रक्रिया व जांच के लिए भिजवा दिया गया है.
भारत और अमेरिका के वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम
वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ.जार्ज विल्सन, मिशिगन युनिवर्सिटी के डायनासोर वैज्ञानिक डॉ.जेफ विल्सन, पूर्व डेप्युटी डायरेय्टर जनरल और विभाग प्रमुख जिआलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डॉ.धनंजय मोहाबे, सिरोंचा जंगलों के सर्वेक्षक डॉ.डी.के. कपगाते, नुसरत बाबर शेख तथा तुषार चव्हाण इस टीम में शामिल थे.
इस टीम ने सिरोंचा के जंगलों में अपनी खोज प्रारंभ की. अपने अभियान के दौरान इस टीम को सिनरोचा तहसील के कोटापल्ली, बिट्टूर और बोरगुंडम गांवों से डायनासोर के जिवाश्म प्राप्त हुए.
वैज्ञानिकों के अनुसार ये जिवाश्म कोटा बनावट के हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार ये जिवाश्म डायनासोर के पंजे और गर्दन के हो सकते हैं तथा ये लगभग डेढ़ सौ मिलियम वर्ष पूर्व के हैं. अब इन जिवाश्मों को प्रयोगशाला में आगे की जांच के लिए भेजा जाएगा.
डायनासोर, मछली और पौधों के जिवाश्म 2015 में भी मिले थे
डायनासोर, मछली और पौधों के ये जिवाश्म सिरोंचा के जंगलों से 2015 में भी एकत्रित किए गए थे. उसके बाद यहां एक जिवाश्म पार्क भी सिरोंचा के समीप वडधाम ग्राम में विकसित किया गया. इन जिवाश्मों की आगामी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अध्ययन और खोज के लिए इन खोजी वैज्ञानिकों को अमेरिका से बुलाया गया है.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर का जीवाश्म पार्क स्थापित करने की योजना
पाए गए इन जीवाश्म को आगे की जांच के लिए जीवाश्म पार्क में रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि देश में सिरोंचा एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां पेड़ों, मछली तथा जानवरों के जीवाश्म एक ही स्थान पर पाए गए हैं. अब यह प्रयास किया जा रहा है कि सिरोंचा में एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का जीवाश्म पार्क स्थापित किया जाए. यह जानकारी सिरोंचा के वनविभाग के उप वन संरक्षक चव्हाण ने दी.