नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने अगस्ता वेस्टलैंड मामले में क्रिश्चियन जेम्स मिशेल की जमानत याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस मामले की जांच कर रहे हैं.
जमानत याचिका जुलाई 2021 में दायर की गई थी. जस्टिस मनोज ओहरी ने मिशेल के लिए एडवोकेट अल्जो के जोसेफ, सीबीआई के लिए एडवोकेट डी.पी. सिंह और ईडी के लिए एएसजी एस.वी. राजू की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश सुनाया.
सीबीआई ने मिशेल की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि वह एक ब्रिटिश नागरिक है. वह भारत में नहीं रहता है. उसके भाग जाने का खतरा है. यह भी कहा गया कि उसने एक बिचौलिए के रूप में काम किया, घोटाले से संबंधित कुछ अनुबंधों के अनुसार धन प्राप्त किया और जांच में सहयोग नहीं कर रहा है.
ईडी ने उसकी जमानत का विरोध करते हुए कहा कि मिशेल ने हेलिकॉप्टरों की ऊंचाई कम करके लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आवश्यक महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों में हस्तक्षेप किया. इसने मिशेल के वकील द्वारा किए गए दावे का खंडन किया कि उसे सभी आरोपों से इतालवी अदालत ने बरी कर दिया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि अदालत को गुमराह करने के लिए जमानत से इनकार किया जाना चाहिए.
मिशेल को दिसंबर, 2018 में दुबई से प्रत्यर्पित किए जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था. वीवीआईपी अगस्ता हेलीकॉप्टर घोटाले में हुए कथित अवैध लेनदेन के लिए उन्हें ‘बिचौलिया’ कहा जाता है. ज्ञातव्य कि रक्षा सौदे के अंतर्गत अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीद में घोटाले के उजागर होने से देश भर में सनसनी फैली है.
सीबीआई ने आरोप लगाया कि 556.262 मिलियन यूरो के वीवीआईपी अगस्ता हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए आठ फरवरी, 2010 को हुए सौदे में सरकारी खजाने को 398.21 मिलियन यूरो (लगभग 2666 करोड़) का नुकसान हुआ था.
ईडी ने जून, 2016 में मिशेल के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया. इसमें आरोप लगाया गया कि उसे अगस्ता वेस्टलैंड से 30 मिलियन यूरो (करीब 225 करोड़ रुपए) मिले.