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चर्चा ऑनलाइन – “विश्व को कैसे करें कोरोना मुक्त”

कोरोना संकट  नागपुर
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PRSI के ‘राष्ट्रीय जन संपर्क दिवस’ कार्यक्रम पर मंथन

 
नागपुर : ‘राष्ट्रीय जन संपर्क दिवस’ पर पब्लिक रिलेशनस सोसाइटी ऑफ इंडिया (PRSI) की ओर से विगत बुधवार, 21 अप्रैल 2021 को ऑनलाइन चर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया. ऑनलाइन चर्चा सत्र में वैश्विक महामारी कोविड-19 कोरोना की विभीषिका से चिंतित वक्ताओं ने इससे उत्पन्न समस्याओं के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं की चर्चा की. उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इस महामारी से पड़ रहे दवाबों का भी उल्लेख किया. साथ ही विश्व को कोरोना से मुक्ति दिलाने के विभिन्न प्रयासों के साथ जन संचार माध्यमों की महती भूमिका को भी रेखांकित किया. 

कार्यक्रम में चर्चा का थीम था – “विश्व को कोरोना मुक्त कैसे करें” (हाउ टू मेक द वर्ल्ड कोरोना फ्री : How to Make the World Corona Free). यह आयोजन पश्चिमी क्षेत्र के PRSI (पीआरएसआई) के नागपुर, अहमदाबाद, भोपाल, मुंबई, बड़ोदरा एवं वर्धा चैप्टर्स ने संयुक्त रूप से किया था.

इस महामारी से बचाव पर बल देते हुए वक्ताओं ने जन सामान्य में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत बताई. उन्होंने कहाकि जन संचार ही एक ऐसा सशक्त माध्यम है, जो आम लोगों में अपने साथ अपने परिवार और समाज के प्रति अपने दायित्व का भान करा सकता है. विद्वान वक्ताओं ने इसके लिए संचार माध्यमों और सोशल मीडिया के माध्यम से आधिकारिक रूप से जानकारियां उपलब्ध कराना अधिक कारगर माना. 

चर्चा में नागपुर के सुप्रसिद्ध न्यूरो सर्जन डॉ. लोकेंद्र सिंह, AIIMS भोपाल के निदेशक डॉ. सरमन सिंह, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविधालय वर्धा, के प्रोवीसी एवं शिक्षाविद प्रो. सी.के. रागीट, Communication & Media consultant Sigma group of Vadodara के प्रमुख डॉ. मीतल मकरंद और UNICEF Bhopal के SBCC Co-ordinator आशीष चौबे ने हिस्सा लिया. 

PRSI/पीआरएसआई के पदाधिकारी सर्वश्री उनमेष दीक्षित,दिलीप चौहान, आर.के. सिंह (अहमदाबाद), श्रीमती अल्पना किल्लावाला (मुंबई), पी.पी. सिंह (भोपाल), एस.पी. सिंह (नागपुर) एवं बी.एस. मिरगे (वर्धा) ने भी अपने विचार व्यक्त किए.

नागपुर, अहमदाबाद, भोपाल के जन संचार / संपर्क के छात्रों में योगिता मालवीय, पल्लवी होता, उत्कर्ष अमृत, विवेक उपाध्याय, शुभेंदु प्रताप भूमंडल एवं गौरव चौहान ने भी कोरोना काल अपने अनुभव साझा किया. कार्यक्रम का संचालन मुंबई यूनिवर्सिटी की प्रो. दैवता पाटिल ने किया. 

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