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CBSE बोर्ड की परीक्षाओं पर फैसला अंतिम चरण में

शिक्षाजगत
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बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट को किया आश्वस्त, अब सुनवाई 25 को

 
नई दिल्ली : CBSE के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट एक जुलाई से बोर्ड (बारहवीं) की शेष परीक्षा आयोजित करने पर 25 जून को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनवाई केंद्र और CBSE की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर टाली.

तुषार मेहता ने जस्टिस ए.एम. खानविलकर की पीठ को बताया कि “ये चर्चा एक अंतिम चरण पर है. कल शाम तक, निर्णय को अंतिम रूप दिया जाएगा.” उन्होंने कहा कि वे छात्रों की चिंता को समझते हैं. इसलिए अदालत फैसले के लिए एक दिन का और समय दे. याचिकाकर्ताओं के लिए वकील ऋषि मल्होत्रा उपस्थित हुए.

मल्होत्रा ने इस मामले को जल्द से जल्द सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया. पीठ ने कहा कि 25 जून को 2 बजे सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई में पीठ ने CBSE और केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. दरअसल अभिभावकों ने एक जुलाई से बोर्ड (बारहवीं) की शेष परीक्षा आयोजित करने के CBSE के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है और अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि COVID-19 महामारी को देखते हुए छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक दिए जाएं.  

अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हुए कहा है कि उनके बच्चों सहित अन्य छात्रों को परीक्षा में शामिल होने के लिए अपने घरों से बाहर आने पर महामारी का सामना करना पड़ेगा. यह परीक्षाएं  देश भर के 15,000 केंद्रों पर आयोजित की जाने वाली है.

वकील ऋषि मल्होत्रा द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय और आईआईटी सहित कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों ने किसी भी परीक्षा का आयोजन नहीं करने का फैसला किया है और CBSE को भी निर्देश दिया गया है कि वह शेष विषयों के लिए परीक्षा का आयोजन न करे.  

उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ सहित कुछ राज्य बोर्डों ने छात्रों को घातक वायरस के संपर्क में आने से बचाने के लिए कोई भी परीक्षा आयोजित ना करने का फैसला किया है. याचिका में मांग की गई है कि CBSE बोर्ड को 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा रद्द करनी चाहिए और आंतरिक मूल्यांकन या आंतरिक अंकों के आधार पर उत्तीर्ण होना चाहिए. “शेष परीक्षा आयोजित करने के लिए CBSE की अधिसूचना भेदभावपूर्ण और मनमानी है और वह भी जुलाई के महीने में, जिसमें एम्स के आंकड़ों के अनुसार, कहा गया है कि COVID -19 महामारी अपने चरम पर होगी ..

याचिका में कहा गया है कि “विदेश में 250 स्कूलों और विभिन्न राज्य बोर्डों ने जुलाई में आयोजित होने वाली परीक्षा को रद्द कर दिया है और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक आवंटित किए जा सकते हैं.” CBSE ने अपने 250 विद्यालयों के लिए दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षाओं को रद्द कर दिया है, जो विदेशों में स्थित हैं और व्यावहारिक परीक्षा या आंतरिक मूल्यांकन के अंकों के आधार पर अंक देने में मानदंड अपनाया है. याचिकाकर्ताओं के मुताबिक यह बेहद अफसोस की बात है कि उत्तरदाताओं को भारत में सभी छात्रों के जीवन को खतरे में डालने के बारे में ना तो कोई वास्तविक चिंता है और भारत में उक्त परीक्षा आयोजित करने पर जोर देने के पीछे कोई ठोस कारण भी नहीं है.

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