स्व. रामदीन पांडेय की कृतियां समाज को जागृत करने का प्रयास है : कुलपति डॉ. शांडिल्य

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स्व. रामदीन पांडेय की कृतियां समाज को जागृत करने का प्रयास है : कुलपति डॉ. शांडिल्य

‘पंडित रामदीन पांडेय और उनकी सारस्वत साधना’ पुस्तक का भव्य संस्करण

मेदिनीनगर, (पलामू, झारखंड) : स्व.पंडित रामदीन पांडेय ने अपने साहित्य के माध्यम से समाज को जागृत करने का प्रयास किया था. यह प्रतिपादन श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. तपन कुमार शांडिल्य ने किया है. वे यहां गोस्वामी तुलसीदास और पंडित रामदीन पांडेय की जयंती पर ‘पंडित रामदीन पांडेय और उनकी सारस्वत साधना’ पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. 

कार्यक्रम का आयोजन पंडित रामदीन पांडेय अनुसंधान संस्थान और गीता प्रचार समिति के संयुक्त तत्वावधान में मेदिनीनगर स्थित होटल ग्रैंड जयश्री में किया गया था. आरंभ में डॉ. शांडिल्य सहित डॉ. जंग बहादुर पांडेय, पूर्व विभागाध्यक्ष हिंदी रांची विश्वविद्यालय रांची, प्रोफेसर के.के. मिश्रा, प्रोफेसर सुभाष चंद्र मिश्रा, ज्ञानचंद पांडेय, नवल तुलस्यान, बलराम तिवारी, रवि शंकर पांडे, शिवनाथ अग्रवाल, अखिलेश प्रसाद, कैलाश उरांव एवं  कृष्णकांत ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित किया.

डॉ. शांडिल्य ने कहा कि एक तरफ उनकी रचनाओं में तत्सम शब्दों की समृद्धि है, जो हृदयस्पर्शी है तो दूसरी तरफ उनकी प्रस्तुतियों में जन सामान्य के जीवन को छूने की बेचैनी भी है. उनके व्यक्तित्व एवं कृतियों में संवेदना एवं हास्यबोध की प्रमुखता की झलक मिलती है. उन्होंने संपादक द्वय को पुस्तक प्रकाशन के लिए बधाई दी. साथ ही उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास को नमन करते हुए उनकी रचनाओं को मानव विज्ञान निरूपित किया. 

डॉ. जंग बहादुर पांडेय ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जन-जन के रग-रग में बसे हैं और उनकी कृतियां समग्र वसुधा के कल्याण और जागृति के लिए हैं. उन्होंने पंडित रामदीन पांडेय के विराट व्यक्तित्व को नमन करते हुए कहा कि उनकी सभी कृतियों का पुनर्प्रकाशन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि पंडित जी की विद्वता हमें विस्मित करती है. पुस्तक का संपादन श्रीधर द्विवेदी एवं भारतीय सेना में धर्मगुरु सह-लेखक डॉ. सत्यकेतु संजय ने संयुक्त रूप से किया है. समारोह की अध्यक्षता प्रोफेसर सुभाष चंद्र मिश्रा और संचालन डॉ. सत्यकेतु संजय ने किया. 


विषय प्रवेश करते हुए श्रीधर द्विवेदी ने कहा कि यह पुस्तक पंडित रामदीन पांडेय को समझने में सहायक सिद्ध होगी और उन्हें पढ़ने की भूख बढ़ाएगी. वहीं डॉ. सत्यकेतु संजय ने पंडित रामदीन पांडेय के जीवनवृत से सभा को सुंदर तरीके से अवगत कराया. इस अवसर पर मठ ज्ञानचंद पांडेय, अधिवक्ता बलराम तिवारी, शिवनाथ अग्रवाल और शिक्षक परशुराम तिवारी ने स्व. रामदीन पांडे की सभी कृतियों केपुनर्प्रकाशन को वर्त्तमान समय के लिए आवश्यक बताया. 


इस मौके पर साहित्यकार डॉ. विजय प्रसाद शुक्ल, हरिवंश प्रभात, रमेश सिंह, राकेश कुमार, अनुज पाठक, सत्यनारायण तिवारी, रामप्रवेश पंडित, गणेश पांडेय, अशोक तिवारी, भीम प्रसाद, कृष्णकांत, विकास कश्यप, आशीष भारद्वाज, नवीन तिवारी, राजू शुक्ला, शैलेश तिवारी, अनिल पांडे, लल्लू पांडेय, गोरख पाठक, ज्ञानेश तिवारी, संजय मिश्रा, संगीत तिवारी, दिलीप तिवारी के साथ वररुचि राकेश, ओंकारनाथ अग्निमित्र व विकास (बंटी) सहित काफी संख्या में आचार्य, सुधिजन व साहित्य प्रेमी उपस्थित थे.

रेवती रमन की रिपोर्ट

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