अमरावती : सौर ऊर्जा (सोलर इलेक्ट्रिक एनर्जी) और डीजल जनित्र ऊर्जा (डीजी सेट) के समन्वय से किफायती विद्युत् उर्जा उत्पादन का विश्व में पहला पेटेंट डॉ.व्ही.टी.इंगोले ने अपने नाम करवाया है. वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं शोधकर्ता डॉ. इंगोले के नाम यह 36वां पेटेंट है. उनके इस नवीनतम शोध से विद्युत् उर्जा उत्पादन में भारी बचत होने वाली है. उनके इस शोध से विद्युत् उर्जा उत्पादन पर होने वाले खर्च में भारी कमी आएगी. पेटेंट कराते ही पूरे विश्व से उनकी इस तकनीक मांग होने लगी है.
डॉ.इंगोले ऐसे शोध कार्य अमरावती स्थित अपने ‘ग्रीन सर्कल’ स्थित शोध प्रयोगशाला में किया करते हैं. डॉ. इंगोले अमरावती, महाराष्ट्र की प्रतिष्ठित अभियांत्रिकी शिक्षण संस्था डॉ. राजेंद्र गोड़े इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एन्ड रिसर्च के संचालक भी रहे हैं. साथ ही वे देश और विदेश की विभिन्न प्रतिष्ठित शोध संस्थाओं से भी जुड़े रहे हैं. उनका जन्म अमरावती जिले के चांदुर बाजार तहसील के बोरदा गांव में अगस्त 1947 को हुआ.
डॉ. इंगोले की 15 से 20 हजार वर्ष पूर्व के पाषाण युग के गुफा-चित्रों और अवशेषों की उनकी खोज पर आधारित सद्य प्रकाशित पुस्तक ‘अश्म युगांतर’ सामने आई है. इससे पूर्व डॉ. इंगोले ने अपने निसर्ग प्रेम का परिचय वन्य-प्राणियों और वन जीवन पर आधारित अपनी शोधपूर्ण पुस्तक ‘अरण्यगर्भ’ के रूप में दे चुके हैं.
वे अमरावती एमआईडीसी (MIDC) स्थित इ.सी.इ. इंडिया एनर्जी प्रा. लिमिटेड के सौर उर्जा उपकरण एवं सोलर पीव्ही पैनल्स का उत्पादन कर रहे प्रकल्प (project) के पदेन अध्यक्ष हैं. सौर ऊर्जा, अन्य ऊर्जा स्रोत, पुरातन गुफाएं, प्राचीन शिल्प, मराठी भाषा जैसे विभिन्न विषयों में उनका शोध कार्य लगातार चलता रहता है. इससे पूर्व उन्होंने अपने विभिन्न मौलिक शोध के 35 पेटेंट अपने नाम करवाया हुआ है.
डॉ.इंगोले की इस अभूतपूर्व सफलता पर इ.सी.इ. इंडिया के कार्यकारी निदेशक अमित आरोकर, अन्य निदेशक सुरेश भगत, समीर काले, विद्याधर इंगोले व अन्य पदाधिकारी, कर्मचारी सहित विभिन्न क्षेत्रों के मान्यवरों और हितैषियों ने उनका अभिनंदन किया है.