सार्वजनिक क्षेत्र के 9 बैंक बंद कर सकते हैं अपनी शाखाएं, बिगड़ी सेहत

अर्थ-जगत
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उबारने के उपाय वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक के कदमों पर निर्भर है भविष्य

नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के खराब वित्तीय सेहत वाले 11 बैंकों के खाताधारकों के लिए बुरी खबर है. भारतीय रिजर्व बैंक ने हालांकि इन्हें अपनी त्वरित सुधार कारवाई (पीसीए) के दायरे में ले लिया है और इनसे ही मांगे गए सुधार के उपायों के तहत 9 बैंकों ने अपनी सुधार योजना सौप दी है.

बैंकों ने सरकार को जो योजना सौंपी है, उसमें- लागत कटौती, शाखाओं का आकार घटाने, विदेशी शाखाओं को बंद करने, कॉरपोरेट कर्ज घटाने और जोखिम वाली संपत्तियों की बिक्री अन्य ऋणदाताओं को करने जैसे उपाय उन्होंने बताए हैं.

सार्वजनिक क्षेत्र के इन 11 बैंकों में देना बैंक, इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं.

इन 11 बैंकों से प्रभारी वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले महीने अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने की योजना लाने और रिजर्व बैक के पूंजी पर्याप्तता नियमों को पूरा करने को कहा था. इनमें से नौ बैंकों ने पहले ही अपनी रिपोर्ट वित्तीय सेवा विभाग को सौंप दी है.

वित्त मंत्री गोयल ने सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों की खराब सेहत के लिए पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर ठीकरा फोड़ते हुए बताया कि उनके कार्यकाल में कर्ज देने के मामले में की गई लापरवाही इसा स्थिति के लिए जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि एनडीए (राजग) सरकार बैंकिंग क्षेत्र की दिक्कतों को दूर करने का प्रयास कर रही है.

अब नए प्रभारी वित्त मंत्री इन 11 बैंकों की सेहत सुधारने के लिए उनके सुझावों पर कौन से कदम उठाते हैं, वह तो 2019 के लोकसभा चुनावों तक अपनी सेहत बनाए रखने के आधार पर ही उठेंगे. वैसे भी जिन 9 बैंकों ने जो सुधार योजनाएं प्रस्तुत की हैं, वह दो वर्षों की हैं. अर्थात फिलहाल चुनाव वित्तमंत्री गोयल कोई जोखिम वाले कदम उठाने से बचना ही चाहेंगे. इसलिए इन बैंकों के खाताधारकों के लिए फिलहाल चिंता करने की जरूरत तो नहीं है, लेकिन 2019 के चुनावों के बाद की स्थित के लिए तैयार रहना जरूरी है.

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