लिंगायत समुदाय को अलग धर्म के बाद झारखंड से भी उठी मांग
बरुण कुमार
रांची : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कर्नाटक सरकार द्वारा लिंगायत समुदाय को अलग धर्म के रूप में मान्यता देने के निर्णय की तरह ही झारखंड, प. बंगाल, ओडीसा और छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के ‘सरना धर्म’ को भी मान्यता देने की मांग की है.
कर्नाटक सरकार द्वारा अपने मंत्रिमंडल की महत्वपूर्ण बैठक में निर्णय लेकर लिंगायत समुदाय को अलग धर्म के रूप में मान्यता देने के निर्णय पर उन्होंने कर्नाटक सरकार को बधाई दी है.
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मरांडी ने कहा कि झारखंड में भी सरना धर्म को मानने वाले लोग सरना धर्म को अलग धर्म के रूप में मान्यता के लिए वर्षो से संघर्ष कर रहे हैं. सरना धर्मावलंबी लोग सरना धर्म को अलग धर्म के रूप में मान्यता के लिए राज्य सरकार से लेकर केन्द्र सरकार तक अपनी आवाज को समय-समय पर पहुंचाते रहे हैं.
झारखंड सरकार भी मंजूर कराए सरना धर्म को
उन्होंने कहा कि झारखंड विकास मोर्चा की ओर से हम झारखंड सरकार से मांग करते हैं कि कर्नाटक सरकार द्वारा लिए गए इस महत्वपूर्ण निर्णय की तरह झारखंड सरकार सरना धर्मावलम्बियों के लिए सरना धर्म को एक अलग धर्म के रूप में मान्यता देने के लिए मंत्रिमंडल में निर्णय लेकर इस प्रस्ताव को केन्द्र सरकार को भेजे.
कर्नाटक ने भेजा लिंगायत धर्म को मान्यता का निर्णय केंद्र की मंजूरी के लिए
ज्ञातव्य है कि कर्नाटक में 17 प्रतिशत लिंगायत समुदाय की जनसंख्या है, जो वर्षो से लिंगायत समुदाय के लोग धार्मिक अल्पसंख्यक (अलग धर्म) की मान्यता प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे थे. इस मांग को ध्यान में रखकर कर्नाटक की सरकार ने हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज की अध्यक्षता में सात सदस्यीय टीम गठित की थी, जिसने इसी माह मार्च, 2018 में कर्नाटक सरकार को रिपोर्ट समर्पित किया था. इसी रिपोर्ट के आधार पर कर्नाटक सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में कमिटी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर विचार किया और लिंगायत समुदाय को एक अलग धार्मिक पहचान के रूप में मान्यता देने का निर्णय लेकर इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केन्द्र सरकार को भेजा है.