नागपुर : आरटीआई से सबंधित सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णयों के समावेश से समृद्ध पुस्तक “डायजेस्ट ऑफ आरटीआई केसेस” का विमोचन यहां किया गया. विमोचन करने वालों में सिंधी हिंदी विद्या समिति के अध्यक्ष एच.आर. बाखरू, चेयरमैन डॉ. विंकी रूघवानी, महासचिव डॉ. आई.पी. केसवानी, सचिव (महाविद्यालयीन मामले) नीरज बाखरू एवं महाविद्यालय के कार्यकारी प्राचार्य डॉ. संतोष कसबेकर शामिल थे.
दादा रामचंद बाखरू सिंधू महाविद्यालय, नागपुर के रजिस्ट्रार नवीन महेशकुमार अग्रवाल इस पुस्तक के सहलेखक हैं. उनके साथ इस पुस्तक के उनके सहलेखक उत्तरप्रदेश से लखनऊ विश्वविद्यालय के बिजनेस एडमिनिस्ट्रशन विभाग के सेवानिवृत विभाग प्रमुख प्रोफेसर नीरज कुमार और बिहार से एल.एन. मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के गणित विभाग प्रमुख और लोकसूचना अधिकारी प्रोफेसर (डॉ.) नवीन कुमार अग्रवाल भी सूचना के अधिकार क्षेत्र के जानकारों में से हैं.
अंग्रेजी भाषा में लिखी 429 पन्नों की इस पुस्तक में RTI से सबंधित सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट के लगभग सभी महत्वपूर्ण निर्णयों का समावेश किया गया है. पुस्तक के सह-रचनाकार नवीन महेशकुमार अग्रवाल हैं. जिन्होंने भारत भर में अब तक लगभग 5000 से भी अधिक सरकारी एवं गैर सरकारी अधिकारियों तथा विद्यार्थियों को आरटीआई पर मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण प्रदान किया है, वे सूचना का अधिकार क्षेत्र के जाने-माने विशेषज्ञ एवं विषय के गहन अध्येयता होने के साथ-साथ महाराष्ट्र शासन की शीर्ष प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्था, यशदा, पुणे के सूचना अधिकार केंद्र के अतिथि व्याख्याता एवं सचिवालय, प्रशिक्षण तथा प्रबंध संस्थान (आई.एस.टी.एम.), कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार द्वारा प्रमाणित सूचना अधिकार प्रशिक्षक भी हैं.
सूचना का अधिकार (आरटीआई) क्षेत्र में तीनों सहलेखकों की गहरी रूचि, गहन अध्ययन और विशाल अनुभूत जानकारियों का ही परिणाम है कि इस क्षेत्र से सम्बंधित यह सर्वसमावेशी पुस्तक “डाइजेस्ट ऑफ़ आरटीआई केसेस” सामने आई है. RTI के अंतर्गत कैसी सूचनाएं मांगी जा सकती हैं, कौनसी सूचनाएं प्रदान की जा सकती है या किन सूचनाओं को देने से मना किया जा सकता है, इन बिंदुओं पर भी विस्तार से पुस्तक में समझाया गया है. व्यक्तिगत सूचना, थर्ड पार्टी से सम्बंधित सूचना,
व्यापक जनहित, अपील प्रक्रिया, दंड, आदि को समझने एवं उससे सम्बंधित निर्णय लेने में सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट के निर्णयों का सन्दर्भ लेना आवश्यक हो जाता है. क्योंकि विभिन्न विधायी शब्द, अवधारणाएं और पेचीदगियों की व्याख्या उनके द्वारा ही की जाती है. इस पुस्तक में इन विषयों की सारगर्भित जानकारी दी गई है. यह पुस्तक लोक सूचना अधिकारी, प्रथम अपीलीय अधिकारी, अधिवक्ता, सूचना अधिकार प्रशिक्षक, केंद्र एवं राज्य सरकार के अधिकारी, लोक प्राधिकारी, विश्वविद्यालय, महाविद्यालय एवं शालाओं के प्राचार्य, शिक्षक, प्रशासकीय कर्मचारी, विद्यार्थी एवं जो
भी सूचना के अधिकार (आरटीआई) का उपयोग करते हैं, ऐसे सभी नागरिकों के लिए उपयोगी हैं.
विमोचन कार्यक्रम का संचालन डॉ. लीना चंदनानी ने किया. कार्यक्रम में डॉ. सतीश तेवानी, डॉ. आनंद थदानी, विजय पाटील, डॉ. योगेश भूते, डॉ. ए. कुरैशी, डॉ. विश्वजीत पेंडसे, डॉ. सपना तिवारी, डॉ. सुमन केसवानी, डॉ. अनुराधा पोद्दार, डॉ. रत्ना सरकार, डॉ. जयंत वाल्के, ज्ञान ऐलानी, डॉ. मिलिंद शिनखेड़े, डॉ. राजकुमार खापेकर, डॉ. ज़ीनत कश्मीरी, डॉ. सीमा अच्छपीला, हर्षा चंदनानी, डॉ.
जानवी घुमनानी, राजू गेहानी आदि प्रमुखता से उपस्थित थे.