मुंबई : कोरोनावायरस के चलते कमाई और नौकरी की अनिश्चितता के चलते बैंकों से कर्ज लेने वाले तमाम कर्जधारकों की चिंता को दूर करने की कोशिश भारतीय रिजर्व बैंक ने तो की है. लेकिन क्या यह कर्जधारकों के लिए आसान होगा?
भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों, ग्रामीण बैंकों, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और नॉन-बैंकिंग कंपनियों को तीन महीनों की EMI को स्थगित करने की सलाह दी है. इस पर कई बैंकों की ओर से अमल भी शुरू हो गया है. हालांकि पर्सनल फाइनेंस के विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसी ग्राहक के पास किस्तें भरने की क्षमता है तो फिर उसे EMI होल्ड नहीं करनी चाहिए. आइए जानते हैं, क्या है विशेषज्ञों की राय…
भारी पड़ जाएगा ब्याज
दरअसल बैंकों की ओर से भले ही आपकी EMI को तीन महीनों के लिए होल्ड कर दिया जाए, लेकिन ब्याज नहीं रुकेगा और जस का तस जारी रहेगा. मान लीजिए कि आपने 50 लाख रुपए का होम लोन 8.5 फीसदी की ब्याज पर 10 सालों के लिया है तो उसकी मासिक किस्त 62,000 रुपए के करीब होती है. अब यदि आप अप्रैल में पहली किस्त नहीं देते हैं तो फिर इस पर लगने वाला 8.5 फीसदी ब्याज भविष्य के लिए कुल अमाउंट में जुड़ जाएगा, जो 35,000 रुपए होगा. इस तरह से तीन महीने में ब्याज जुड़ते हुए 1 लाख 7 हजार रुपए हो जाएंगे और लोन की कुल राशि 51 लाख रुपए होगी. इसका अर्थ यह होगा कि आपको एक लाख रुपए से ज्यादा की रकम ब्याज के तौर पर चुकानी होगी. यदि आपके पास लोन की इन किस्तों को भरने के लिए जरूरी फंड नहीं है तो न भरें, लेकिन बैलेंस होने पर ऐसा करना नुकसानदेह साबित होगा.
पर्सनल लोन वालों को भी होगा नुकसान
यदि आपने पर्सनल लोन लिया है, तब भी यही नियम आपके ऊपर लागू होगा. इसके अलावा पर्सनल लोन के मामले में यह और भी ज्यादा नुकसानदेह है, क्योंकि होम और ऑटो लोन के मुकाबले पर्सनल लोन खासे महंगे होते हैं. ऐसे में आपको ब्याज के तौर पर बड़ी रकम अदा करनी होगी, जो किसी भी लिहाज से आपके लिए फायदेमंद नहीं है. इससे आपके लोन की अवधि तो बढ़ेगी ही कर्ज की राशि में भी इजाफा होगा. एक तरफ आप तात्कालिक राहत महसूस करेंगे, लेकिन दूसरी तरफ लॉन्ग टर्म में इसकी बड़ी कीमत चुकाएंगे.