जज की पत्नी, बेटे की हत्या के आरोपी को मृत्युदंड

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निजी सुरक्षा कर्मी ने ही सरेबाजार मां-बेटे को गोली मारी थी

नई दिल्ली : गुरुग्राम की एक अदालत ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्णकांत की पत्नी और बेटे की हत्या के दोषी पूर्व निजी सुरक्षा कर्मी (PSO) महिपाल को मौत की सजा सुनाई है.

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुधीर परमार ने शुक्रवार को ये फैसला सुनाते हुए इस केस को ” दुर्लभतम से भी दुर्लभ” श्रेणी का अपराध माना और दोषी के साथ कोई नरमी नहीं बरती. न्यायाधीश ने सजा का ऐलान करते हुए कहा, “एक सरकारी कर्मचारी के रूप में, वह उनकी रक्षा करने के लिए जिम्मेदार था. इसके बजाय, उसने उनके विश्वास को भंग किया और उनकी हत्या कर दी. जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो सजा कम करने के लिए दी गई परिस्थितियों पर विचार करने की जरूरत नहीं रहती. इस अपराध से समाज में ही भय नहीं हुआ बल्कि न्यायपालिका पर भी इसका असर हुआ.”

अदालत ने गुरुवार को सिपाही महिपाल को दोषी करार दिया था. कोर्ट ने महिपाल को आईपीसी की धारा 302, 201 और आर्म्स एक्ट -27 के तहत दोषी करार दिया था. इस मामले की सुनवाई के दौरान कुल 64 लोगों ने गवाही दी.

ऐसे ली थी मां-बेटे की जान
गौरतलब है कि 13 अक्तूबर 2018 को जिला अदालत में कार्यरत तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्णकांत की पत्नी रितु और बेटा ध्रुव सेक्टर-49 स्थित आर्केडिया मार्किट में खरीददारी करने के लिए सुरक्षाकर्मी महिपाल के साथ कार में गए थे. जब वे खरीददारी कर वापस आए तो सुरक्षाकर्मी महिपाल उन्हें कार के पास नहीं मिला. काफी देर बाद जब वह आया तो मां-बेटे ने नाराज़गी जाहिर की. तभी महिपाल ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से दोनों के ऊपर गोलियां चला दी थीं. वे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए थे. रितु ने घटना के कुछ घंटे बाद अस्पताल में दम तोड़ दिया था, जबकि घायल ध्रुव की 10 दिन बाद अस्पताल में मौत हो गई थी.

इस पर तुर्रा यह की उसने न्यायाधीश कृष्णकांत शर्मा को फोन कर सूचित भी किया था कि उसने उनकी पत्नी और बेटे की हत्या कर दी है. महिपाल घटनास्थल से गाड़ी लेकर फरार हो गया था. पुलिस ने उसे गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड से गिरफ्तार किया था. आरोप था कि महिपाल जज के परिजनों के व्यवहार से गुस्से में था.

दिनदहाड़े हुई इस वारदात के लोगों ने वीडियो भी बनाए और सोशल मीडिया पर वायरल किया जो दोषी को सजा दिलाने में निर्णायक साबित हुए. इस मामले की सुनवाई के दौरान 84 लोगों को गवाही के लिए कोर्ट द्वारा समन किया गया था, लेकिन कोर्ट में 64 लोगों ने गवाही दी.

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