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किसानों के लिए ‘जीवन ऊर्जा’ बनी वेकोलि का जल व्यवस्थापन

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उमरेड क्षेत्र के मोरपार खदान के पानी से ग्रामीणों एवं वन्य-जीवों को भी राहत

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की कोयला कंपनी वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) ने अपने उमरेड क्षेत्र की मोरपार कोयला खनन परियोजना के पास के किसानों को ‘जीवन ऊर्जा’ उपलब्ध कराया है. आसपास के किसानों को खेती के लिए अब न केवल पर्याप्त पानी मिल रहा है, बल्कि पेयजल भी उनके कुंओं और चापानलों में इतना आने लगा है, जिसके लिए पहले उन्हें काफी मशक्क्त करनी पड़ती थी.
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अपनी खदान के पानी के जल-व्यवस्थापन से किसानों को यह ऊर्जा मिली है. इससे आसपास के ग्रामीणों को खेती-किसानी के लिए अब पर्याप्त पानी उपलब्ध होने से उन्हें काफी सहूलियत हो गई है. कुछ वर्ष पहले की तुलना में, किसानों को धान और गेहूं की फसल उगाने में अब परेशानी नहीं होती और इस व्यवस्था से, जल-स्तर बढ़ जाने से आसपास के कुंओं और चापाकल (हैंडपम्प) में पर्याप्त पानी मिलने लगा है.

नागपुर जिले की उमरेड तहसील से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित वेकोलि की मोरपार परियोजना में रूटीन कोयला-उत्पादन बदस्तूर जारी है. साथ ही, कारपोरेट सामाजिक दायित्व (C.S.R.) को बख़ूबी निभाते हुए वेकोलि द्वारा जल-संकट के मद्देनजर, मिंजरी-मोरपार गांव के पास मोरपार तालाब में, पाइप के जरिये खदान से निःशुल्क पानी छोड़ा जा रहा है. इस तालाब से करीब 149 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई तो सुगमतापूर्वक होती ही है. करीब 1000 आबादी वाले मिंजरी और मोरपार गांव के कुंओं और चापाकलों के जल-स्तर में संतोषजनक वृद्धि हुई है. इससे ग्रामीणों, खासकर महिलाओं को अब पेयजल की अच्छी सुविधा उपलब्ध हो रही है. इस व्यवस्था से अब महिलाओं को ही दूर से पानी लाना नहीं पड़ता.
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मोरपार ग्राम पंचायत के उप सरपंच नानाजी लहानु दोडके बताते हैं कि इस इलाके के काश्तकार वेकोलि के बहुत आभारी हैं कि कोयला कम्पनी ने काफी दूर खदान से लाकर पानी तालाब में छोड़ने की व्यवस्था की है. इससे खेती में अब बहुत सुविधा हो रही है और हमारे किसान धान, गेंहू तथा सब्जी-भाजी की अच्छी पैदावार ले पा रहे हैं. वेकोलि ने जनता विद्यालय, मोरपार में कंपाउंड वॉल, गेट और एक चबूतरा भी बनवा दिया, जिससे विद्यार्थी, शिक्षक और अभिभावक भी खुश हैं.
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गांव के 70 वर्षीय बुजुर्ग चिन्दू पांडू दोडके ने वेकोलि प्रबंधन और कर्मियों को इस सहकार के लिए आशीष देते हुए कहा कि वेकोलि को इसका अन्दाज़ा भी नहीं होगा कि उनलोगों ने हम पर कितना बड़ा उपकार किया है. श्री दोडके ने बताया कि इंसानों को सहूलियत देने के आलावा कंपनी ने खदान के पानी को जंगल से गुजरते हुए करीब तीन किलोमीटर तक शेडेगांव तालाब तक पहुंचाया, जिसे बेजुबान वन्य-प्राणी और अन्य मवेशी भी पीकर रहे हैं.
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युवा कृषक विनोद बापू राव सेरकुरे ने भी कोयला- कम्पनी की इस उदारता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि पानी की इस सुविधा से हमारी ज़िंदगी अब आसान हो गई है.
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68 वर्ष के दादाजी महादेव रामाजी तोडासे उपलब्ध जल-सुविधा पर प्रसन्न हैं और वेकोलि परिवार के सदस्यों को इसके लिए भरपूर दुआएं देने से भी नहीं चुके. इस बात की खुशी है कि वेकोलि का स्थानीय प्रबंधन सदैव हमारे सुख-दुःख में साथ रहता है.

उल्लेखनीय है कि वेकोलि ने इसके पूर्व K2K (कामठी टू कन्हान) योजना के तहत नागपुर क्षेत्र की खदान के पानी को कन्हान वासियों को भी ट्रीट कर निःशुल्क पेयजल उपलब्ध करवाया है. खदान के पानी का नीलगांव रहवासी खेती में भी भरपूर उपयोग कर रहे हैं.

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