नागपुर : दुकानदार अपने ग्राहकों को खरीदी गई वस्तुओं को ले जाने के लिए कैरी बैग मुफ्त प्रदान करने के लिए बाध्य हैं, क्योंकि ग्राहक अपने हाथों में सामान नहीं ले जा सकता. देश भर में छोटे दुकानदार, चाहे वे कपड़े बेचते हों अथवा किराना, सभी अपने ग्राहकों को सामान ले जाने के लिए कैरी बैग उपलब्ध करा रहे हैं. लेकिन नागपुर समेत अन्य शहरों में मॉल अथवा चेन रिटेल शॉप चलाने वाले कैरी बैग के लिए 5 रुपए से 15 रुपए तक की वसूली कर रहे हैं.
बड़े मॉल के साथ रीटेल चेन स्टोर भी कर रहे कैरी बैग का धंधा
बिग बाजार, डी मार्ट, रिलायंस फ्रेश जैसे मॉल की देखा-देखी अपना भण्डार जैसे रीटेल चेन शॉप भी कैरी बैग के लिए अपने ग्राहकों से 5 रुपए से लेकर 15 रुपए तक वसूल रहे हैं. हजार-दो हजार की उपभोक्ता सामग्री की खरीदारी करने वाले ग्राहक तक से कैरी बैग के लिए यह राशि वसूली जा रही है. ग्राहकों में जागरूकता के अभाव का ये बड़े मॉल और बड़े चेन शॉप कैरी बैग का धंधा करने में जुटे हुए हैं.
कैरी बैग पर करते हैं अपना विज्ञापन भी
बता दें कि इन कैरी बैग पर अपने ब्रांड का विज्ञापन भी ये करते हैं और कैरी बैग की कीमत भी वसूलते हैं. स्थानीय उपभोक्ता संरक्षण संगठनों में भी कैरी बैग के चलाए जा रहे इस धंधे के प्रति कोई जागरूकता नहीं है. इन संगठनों के सक्रियता की कमी के कारण आम उपभोक्ताओं को इस बात की जानकारी भी नहीं होती कि कैरी बैग के इस धंधेबाजी की शिकायत वे कहां करें.
उल्लेखनीय है कि चंडीगढ़ स्थित जिला कन्ज़्यूमर फोरम ने एक ग्राहक से कागज के कैरी बैग के लिए पांच रुपए लेने को लेकर जाने माने रीटेल स्टोर पर हाल हे में 13 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. कस्टमर ने उस स्टोर से खरीदारी की थी और उससे कैरी बैग के लिए पांच रुपए लिए थे.
लाइफस्टाइल रीटेल को भरना पड़ा जुर्माना
प्रत्येक कागज के थैले के लिए पांच रुपए लेने को लाइफस्टाइल रीटेल चेन स्टोर की ‘मनमानी’ करार देते हुए फोरम ने कहा कि दुकानदार यह तर्क नहीं दे सकते कि प्लास्टिक की थैलियां प्रतिबंधित हैं, जिसके कारण कस्टमर्स को उनकी दुकान से खरीदारी करने पर कागज के थैले के लिए शुल्क देना ही पड़ेगा. चंडीगढ़ के रहने वाले पंकज और संगीता चंदगोठिया दंपति ने फोरम में इस बारे में शिकायत की थी. फोरम ने यह फैसला दिया.
लाइफस्टाइल स्टोर से ग्राहक कानूनी सहायता खाते में 10 हजार रुपए बतौर जुर्माना जमा कराने और दोनों शिकायतकर्ताओं को उत्पीड़न व मानसिक पीड़ा के लिए 1,500-1,500 रुपए का मुआवजा व मुकदमे के खर्च के रूप में देने को कहा गया है.
फोरम ने आदेश में कहा, ‘विपक्षी पक्ष (लाइफस्टाइल स्टोर) ने यह भी तर्क दिया कि प्लास्टिक के थैलों पर प्रतिबंध के बाद इसने अपने ग्राहकों से उनकी खरीदारी के भुगतान पर पेपर बैग प्रदान करना शुरू कर दिया. हमें लगता है कि किसी उत्पाद पर प्रतिबंध लगाने से विपक्षी पक्ष को उसके स्थान पर शुल्क लगाने का अधिकार नहीं मिलता है और विपक्षी पक्ष व अन्य सभी दुकानदार अपने ग्राहकों को खरीदी गई वस्तुओं को ले जाने के लिए कैरी बैग मुफ्त प्रदान करने के लिए बाध्य होते हैं क्योंकि ग्राहक अपने हाथों में सामान नहीं ले जा सकता है.’
शॉपिंग मॉल पर हैदराबाद उपभोक्ता फोरम ने ठोका जुर्माना
हैदराबाद उपभोक्ता फोरम ने शॉपिंग मॉल द्वारा कैरी बैग पर अपनी संस्था नाम छापकर बेचने वाले प्रबंधन को सात हजार रुपए का जुर्माना ठोका है. फोरम ने पाया कि नगर के शॉपर स्टॉप शॉपिंग माल ने अपना लोगो युक्त कैरी बैग (थैली) को उपभोक्ताओं को पांच रुपए बेचा है.
उपभोक्ता नियम के अनुसार, किसी भी शॉपिंग को कैरी बैग को फ्री में देना चाहिए. मगर शॉपर स्टॉप ने अपने संस्था के लोगो के साथ कैरी बैग को पांच रुपए में बेचने लगा.
बाटा इंडिया को भी भरना पड़ा जुर्माना
चंडीगढ़ के एक ग्राहक से कैरी बैग के 3 रुपए लेने पर कंज्यूमर कोर्ट ने ‘बाटा इंडिया’ को रुपए लौटाने और सेवा में कमी के लिए 9,000 रुपए देने का आदेश दिया है. नोएडा में ऐसे मामलों की पड़ताल की गई तो पाया कि यहां के बड़े रीटेल स्टोर व शोरूम भी कैरी बैग के पैसे वसूल रहे हैं.
कैरी बैग पर कंपनी का टैग होने से प्रचार ही होता है, इसके बावजूद इसके रुपए लिए जा रहे हैं. जानकारों का कहना है कि यह गलत है. उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत बिना किसी चार्ज के कैरी बैग में सामान देना उपभोक्ता सेवा के दायरे में आता है.