राहुल गांधी

घुटनों पर आने और मातोश्री में मत्था टेकने नौबत आ चुकी राहुल गांधी के लिए

अकड़ ढीली पड़े तभी विपक्षी एकता पर पकड़ बना सकेंगे कांग्रेस के युवराज  *कल्याण कुमार सिन्हा- भारत यात्रा के दौरान भी एक के बाद एक गलतियां करने और झटके पर झटकों से भी उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ा था. लेकिन, अब कांग्रेस के लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता अभियान में अलग-थलग पड़ते जाने और सांसदी […]

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राजभाषा

राजभाषा हिंदी की विलक्षणता से परिचित कराती पुस्तक

 नवोन्मेषी आयामों का अभिलेख है ‘राजभाषा हिन्दी के अभिनव आयाम’ इंटरनेट के इस ‘टेक्नो युग’ में राजभाषा हिंदी भी तकनीक से समृद्ध हो चुकी है. तकनीक से जुड़े ज्यादातर आयामों और प्रारूपों को हिंदी आत्मसात कर चुकी है. इससे पता चलता है कि नवीनतम प्रौद्योगिकी को ग्राह्य करने की हिंदी की क्षमता विलक्षण है. तकनीक के […]

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उर्वरक

उर्वरक क्षेत्र में गुम है “आत्मनिर्भर भारत” और “स्टार्टअप इंडिया” उपक्रम

देश में निर्मित उर्वरक के उत्पादन में मध्यम और लघु उद्योगों की बाधाएं दूर करने की जरूरत *कल्याण कुमार सिन्हा- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अंतर्गत महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय (MPKV), राहुरी (नासिक) द्वारा किए गए शोध एवं अनुसंधान और इसके तहत किसानों को दिए गए दिशा निर्देशों के अध्ययन से पता चलता है […]

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डाटामेल

डाटामेल : ई-मेल आईडी …वह भी हिंदी में? कैसे..?

‘अपनानाम@डाटामेल.भारत’ हो सकता है आपका ई-मेल आईडी *कल्याण कुमार सिन्हा- भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंधक (राजभाषा) हैं राहुल खटे, नांदेड़ (महाराष्ट्र) में. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश की है कि आप भी अपना ई-मेल आईडी चाहें तो गुजराती में भी बना सकते हैं, क्योंकि अब देवनागरी सहित सभी भारतीय भाषाओं में ई-मेल डोमेन एक्सटेंशन […]

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गरीबी

तो क्या दूर हो जाएगी गरीबी, पिछड़ापन और बेरोजगारी..?

जाति, स्त्री-पुरुष, गरीब-अमीर और धार्मिक भेदभाव में लिप्त भारतीय समाज आज भी गरीबी एवं पिछड़ेपन की मूल समस्या से जूझ रहा है. आरक्षण की व्यवस्था उनके लिए की गई थी जो पीछे रह गए या जिन लोगों को जाति की बेड़ियों में जकड़ रखा गया था. जिसके कारण उनके आगे बढ़ पाने का मार्ग अवरुद्ध […]

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समन्वय

‘समन्वय’ मंत्र है हिंदी सहित सभी 22 राजभाषाओं की समृद्धि का

भाषा और शब्दों की शक्ति एवं श्रेष्ठता पहचानने की जरूरत *कल्याण कुमार सिन्हा- आजादी के 75 साल हो चुके, फिर भी राष्ट्रभाषा हिंदी के साथ देश की अन्य सभी भाषाएं समुचित प्रतिष्ठा पाने से वंचित हैं. हमारे देश की भाषा और संस्कृति, उनकी विविधताएं एक उस सुन्दर बाग की तरह हैं, जिसमें रंग-बिरंगे और विविध […]

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देश

देश के विधायिका प्रमुख, न्याय प्रमुख जब भाषा प्रश्न पर हों एक मत..!

फिर भी भाषायी जटिलता की कुटिलता में फंसी हुई है देश की न्यायिक प्रणाली और न्यायिक फैसले *कल्याण कुमार सिन्हा- विश्लेषण : हाल ही में चेन्नई के एक आयोजन में देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एन.वी. रमना ने भी कहा था कि ‘न्यायिक प्रक्रिया शादी के मंत्रों जैसी जटिल नहीं होनी चाहिए, जिसे लोग समझ […]

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ईपीएस- 95

ईपीएस- 95 पेंशनरों के साथ क्रूर खेल का एक और नया अध्याय

*कल्याण कुमार सिन्हा- …वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती..! लोकतंत्र की खासियत कहें, या जनता का दुर्भाग्य..! सरकार और राजनीतिक पार्टियां उन्हीं की सुनती हैं, जिनमें उन्हें सत्ता के लिए चुनाव में जीत दिलाने या हराने की ताकत होती है. कहने को तो ईपीएस-95 पेंशनरों की तादाद 68 लाख के करीब है. […]

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कांग्रेस के

‘नॉन परफॉर्मिंग एसेट’ ही सही, पर कांग्रेस के लिए जरूरी है..! 

*कल्याण कुमार सिन्हा- प्रासंगिकता राजनीति में : सन 2014, केवल साल नहीं था, बल्कि वह कांग्रेस के पतन की पटकथा लिखने वाला एक कालखंड बन गया है. केंद्र से सत्ताच्युत होने के पश्चात एक के बाद एक हार..! कैसा क्रूर मजाक किया देश के लोगों ने..? 50 वर्ष से अधिक दिनों तक देश के जिन […]

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हिजाब

हिजाब : मामूली कॉलेज प्रशासन का मसला बना राष्ट्रीय मुद्दा

व्यक्तिगत स्वतन्त्रता, धार्मिक स्वतन्त्रता और धार्मिक अस्मिता का मामला भी जुड़ गया *धीरंजन मालवे – सर्वथा अनावश्यक विवाद : कर्नाटक के एक छोटे से शहर उडुपी से शुरू हुआ एक मामूली सा लगने वाला कॉलेज प्रशासन का मसला आज एक राष्ट्रीय मुद्दा बना हुआ है. उडुपी के एक प्रि-युनिवर्सिटी कॉलेज ने अपने छात्रों के लिए […]

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