महाराष्ट्र पुलिस का बड़ा खुलासा, आतंकियों से भी था गिरफ्तार माओवादी विचारकों का संपर्क

0
1408
मुंबई में शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में गिरफ्तार माओवादियों के संबंध में पत्रकारों के समक्ष बड़ा खुलासा करते हुए एडीजी परमवीर सिंह.

बताया- ‘कानूनी रूप से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में जुटे थे पकड़े गए वानपंथी’

मुंबई : भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में हाल में ही हुई गिरफ्तारियों को महाराष्‍ट्र पुलिस ने सही बताया है. आज शुक्रवार को आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में महाराष्‍ट्र पुलिस के एडीशनल डायरेक्‍टर जनरल (एडीजी) परमवीर सिंह ने बताया कि छापेमारी के दौरान हमें ऐसे सबूत मिले हैं जो गिरफ्तार आरोपियों और माओवादियों के बीच का संबंध स्‍पष्‍ट कर रहे हैं. इसकी पुष्‍टि होने के बाद ही हमने इनके खिलाफ कार्रवाई की है.

ज्ञातव्य है कि सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, अरुण फेरेरा, वरनन गोनसाल्‍वेस और पी वरवरा राव को पुलिस ने गत मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस के अनुसार, इन गिरफ्तार वामपंथी विचारकों का प्रतिबंधित संगठन से संबंध है और ये लोग माओवादियों के साथ संपर्क में थे और कानूनी रूप से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में जुटे थे.

एडीजी ने बताया कि क्‍लोन डिवाइसेज पर इंवेस्‍टीगेशन किया गया ऑरिजिनल डिवाइस अभी भी फॉरेंसिक लैब में है. प्रेस कांफ्रेंस में एडीजी ने कुछ पत्र भी दिखाए जिसमें हथियारों की खरीददारी के बारे में बात की गई है. यह पत्र रोना विल्‍सन ने कॉमरेड प्रकाश को लिखा था.

परमवीर सिंह ने बताया कि हाल ही में की गई छापेमारी के दौरान उन्‍हें ऐसे सबूत मिले हैं, जो माओवादियों द्वारा सरकार के खिलाफ की गई साजिश की ओर संकेत करता है. एक आतंकवादी संगठन भी माओवादियों के साथ इसमें शामिल था. पुलिस ने कहा कि मामले की जांच 8 जनवरी से शुरू की गई थी. इसके बाद 6 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई.

एडीजी सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में रोना विल्सन की ओर से कामरेड प्रकाश को लिखी गई चिट्ठठी का कुछ अंश भी पढ़कर सुनाया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी को मारने की साजिश का साफ-साफ जिक्र था. इसमें लिखा है, ‘मुझे उम्मीद है कि आपको ग्रेनेड सप्लाई के लिए दिए जाने वाले 8 करोड़ रुपए की जानकारी मिल गई है. कॉमरेड किशन और बाकी लोगों ने राजीव गांधी की तर्ज पर मोदी राज को खत्म करने का प्रस्ताव रखा है.’

एडीजी ने कहा कि इन पत्रों से साफ जाहिर होता है कि ये कार्यकर्ता माओवादियों के साथ संपर्क में थे और कानूनी रूप से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में जुटे थे. उन्‍होंने कहा कि 31 दिसंबर, 2017 को हुई घटना के संबंध में 8 जनवरी, 2018 को मामला दर्ज किया गया. जांच से खुलासा हुआ कि माओवादी बड़ी वारदात को अंजाम देने की साजिश कर रहे थे और गिरफ्तार आरोपी इसमें उनकी मदद कर रहे थे.

NO COMMENTS