यूजी और पीजी स्तर पर आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन पर मॉडल पाठ्यक्रम जारी किया
पाठ्यक्रम विकसित करने में नागपुर के अग्रवाल ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
नागपुर : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने यूजी और पीजी स्तर पर आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन (DRRM) पर मॉडल पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए एक अधिसूचना जारी की है.
अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर मॉडल पाठ्यक्रम राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (NIDM), गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा NIDM के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल मनोज कुमार बिंदल, प्रो संतोष कुमार, शेखर चतुर्वेदी, डॉ. प्रीति सोनी के मार्गदर्शन में और देश भर के विशेषज्ञों और शिक्षाविदों के परामर्श से विकसित किया गया है.
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के कार्यकारी निदेशक ताज हसन (IPS) ने भी देश के सभी विश्वविद्यालयों, एवं शैक्षणिक संस्थानों को पत्र भिजवा कर आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर माननीय प्रधान मंत्री के दस सूत्री एजेंडा के एजेंडा 6 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए तथा आपदा जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र को मजबूत करने हेतु उच्च शिक्षा की मुख्यधारा में इस पाठ्यक्रम को सम्मिलित करने की अपील की है.
पाठ्यक्रम विकसित करने में नागपुर के नवीन अग्रवाल की महत्वपूर्ण भूमिका
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (NIDM), गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम को विकसित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक सात सदस्यीय कार्यकारी समूह का गठन किया गया था. NIDM ने दादा रामचंद बाखरू सिंधु महाविद्यालय, नागपुर के रजिस्ट्रार नवीन महेश कुमार अग्रवाल को पश्चिम भारत क्षेत्र से उक्त सात सदस्यीय कार्यकारी समूह के सदस्य के रूप में नामित करके पाठ्यक्रम विकसित करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी.
कार्यकारी समूह के सदस्यों द्वारा जीरो ड्राफ्ट तैयार होने के बाद इसे देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में अवलोकन और फीडबैक के लिए भिजवाया गया था. प्राप्त प्रतिक्रिया पर विचार करने के बाद पाठ्यक्रम का अंतिम प्रारूप UGC को अनुमोदन के लिए भेजा गया. जिसे UGC ने मंजूरी प्रदान कर दी है.
UGC ने सभी उच्च शिक्षा संस्थानों और उनके संबद्ध कॉलेजों और संस्थानों से अनुरोध किया कि वे आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन पर स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर पाठ्यक्रम शुरू करें ताकि वर्ष 2030 तक देश को आपदाओं के प्रति अधिक सुरक्षित और लचीला बनाया जा सकने के प्रधानमंत्री के वादे को पूरा किया जा सके.
यह कोर्स इसलिए जरूरी है…
2019 में हुए सर्वेक्षण के अनुसार, देश भर में स्नातक पाठ्यक्रमों में सबसे अधिक छात्र नामांकित हैं. कुल 3,73,99,388 छात्रों के नामांकन में से 2,98,29,075 छात्र यूजी कार्यक्रमों में नामांकित हैं. यह भारतीय सशस्त्र बलों के सक्रिय कर्मियों की कुल संख्या से कुछ ही अधिक है, जो लगभग 1.4 मिलियन है, यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य बल है और इसके पास दुनिया की सबसे बड़ी स्वयंसेवी सेना है. इसलिए, यदि इतने युवा आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में पढ़ाई करके अपना भविष्य बनाते हैं तो आपदा प्रबंधन में बड़ी सहायता मिलेगी.
40 फीसदी स्थानीय आपदाओं की जानकारी मिलेगी
भारत एक विशाल देश है. यहां भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर पहाड़ों के दरकने, समुद्री तूफान, बाढ़ से लेकर अन्य आपदाएं आती रहती है. ऐसे में हर क्षेत्र की आपदा अलग-अलग है. इसलिए इसमें 60 फीसदी पाठ्यक्रम आपदा प्रबंधन के विभिन्न विषयों पर पूरे देश में एक समान होगा. जबकि 40 फीसदी पाठ्यक्रम स्थानीय भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर शामिल किया जाएगा, ताकि आपदा प्रबंधन से जुड़े लोगों को स्थानीय आपदा में आम लोगों की मदद के लिए सक्षम बनाया जा सके.
UGC ने सभी विश्वविद्यालयों और उनके संबद्ध कॉलेजों को पाठ्यक्रमों में शामिल करने के लिए यूजी और पीजी दोनों के लिए एक विस्तृत पाठ्यक्रम भी भेजा है.
फाउंडेशन कोर्स : चौथे सेमेस्टर में आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रबंधन अनिवार्य विषय होगा. तीन क्रेडिट और 100 अंक का पेपर होगा, जिसमें 60 प्रतिशत अंक बाहरी और 40 प्रतिशत अंक आंतरिक होंगे. 20 अंकों का फील्ड वर्क भी होगा. जबकि इस पूरे कोर्स में 45 घंटे का लेक्चर होगा.
UGC के दिशानिर्देशों के अनुसार यह पाठ्यक्रम फाउंडेशन कोर्स के तहत चतुर्थ सेमेस्टर में पेश किया जाएगा और स्नातक स्तर की हर शाखा में लागू किया जाएगा.
प्रमाणपत्र कार्यक्रम : आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन (DRRM) में प्रमाणपत्र कार्यक्रम को आपदा प्रबंधन में करियर के लिए आवश्यक कौशल विकसित करने के लिए डिजाइन किया गया है. सर्टिफिकेट प्रोग्राम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि स्नातक डिग्री का प्रथम वर्ष पूरा करने के बाद छात्रों को DRRM पर प्रमाण पत्र मिलेगा और दो साल बाद आपदा प्रबंधन से संबंधित विशेष क्षेत्र में डिग्री प्राप्त होगी.
छात्र सर्टिफिकेट प्रोग्राम के साथ एक वर्ष के बाद बाहर निकलने का विकल्प चुन सकता है और यूजीसी द्वारा अगले निर्दिष्ट अवधि के भीतर आपदा प्रबंधन से संबंधित किसी भी विशेष क्षेत्र में यूजी डिग्री के दूसरे वर्ष में फिर से शामिल हो सकता है.
आपदा जोखिम न्यूनीकरण का प्रबंधन अध्ययन का विषय होगा. इसमें किताबी ज्ञान के साथ कौशल विकास भी किया जाएगा. इस कार्यक्रम में प्रवेश के लिए पात्रता 55% अंकों के साथ 12वीं पास होगी. इसमें प्रशिक्षित पेशेवरों को तैयार किया जाएगा. कार्यक्रम दो सेमेस्टर के आधार पर 38 क्रेडिट का होगा.
पीजी डिप्लोमा प्रोग्राम: इसमें भी छात्रों को पढ़ाई का पहला साल पूरा करने के बाद पीजी सर्टिफिकेट मिलेगा और दो साल बाद छात्रों को पीजी डिप्लोमा मिलेगा. इसमें किसी भी स्ट्रीम में 45 फीसदी अंकों वाले ग्रेजुएट्स एडमिशन ले सकेंगे. यह दो सेमेस्टर का कार्यक्रम कुल 45 क्रेडिट का होगा.