ईपीएस-95 पेंशन पर तदर्थ समिति गठन का खेल बंद करें

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प्रधानमंत्री से निवृत कर्मचारी (1995) समन्वय समिति की मांग, कोश्यारी कमेटी की सिफारिशों पर ध्यान दें

नागपुर : ईपीएस -95 पेंशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई अपनी एसएलपी पर सुनवाई लम्बे समय से रोके रखने में ईपीएफओ और सरकार सफल हो गई है. इसके बाद अब एक और नया क्रूर खेल केंद्र सरकार ने अपने निर्देशन में शुरू कर दिया है. पिछले 11 एवं 12 मार्च 2022 को गुवाहाटी में ईपीएफओ की 230 वीं सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (सीबीटी) की बैठक में पेंशन सुधार पर एक तदर्थ समिति गठित करने का फैसला इसी क्रूर खेल का नया चैप्टर है.

निवृत कर्मचारी (1995) समन्वय समिति, महाराष्ट्र, नागपुर ने ईपीएफओ और सरकार के ईपीएस -95 पर इस एक और समिति गठन के फैसले को खारिज कर दिया है. समिति ने इसे पेंशनरों के साथ एक और बेईमानी और धोखाधड़ी निरूपित किया है. समिति ने बताया है कि सरकार 2009 से ही अनेक समितियों का गठन करती चली आ रही है. लेकिन किसी भी समिति की सिफारिशें लागू नहीं की गईं.

निवृत कर्मचारी (1995) समन्वय समिति (ईपीएस-95 कोऑर्डिनेशन कमेटी) के राष्ट्रीय महासचिव प्रकाश पाठक और विधि सलाकार दादा तुकाराम झोड़े ने हालांकि, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री को लिखे पत्र में विनम्रता से बताया है कि पेंशन सुधार के नाम पर एक बार फिर तदर्थ समिति को भंग करें और सुप्रीम कोर्ट तथा देश के छह हाईकोर्ट के फैसलों को लागू करने पर ध्यान दें. साथ ही सुप्रीम कोर्ट में अपने द्वारा इन फैसलों के विरुद्ध दायर एसएलपी की सुनवाई में लगाए अड़ंगे हटाएं. साथ ही ईपीएस -95 पर कोश्यारी कमेटी और 2018 की उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी की सिफारिशों पर ध्यान दें.

पाठक और झोड़े ने प्रधानमंत्री को बताया है कि पिछले दो-तीन वर्षों में लगभग 3.5 लाख पेंशनर अर्थाभाव में अपनी जान गंवा बैठे हैं. सम्मानजनक उच्च पेंशन पाने की उनकी आस पूरी नहीं हो सकी. फिलहाल ईपीएफओ जो पेंशन की मामूली सी रकम उन्हें देता है, उसमें पेंशनरों का जीवन यापन और इलाज के लिए दवा खरीद पाना भी संभव नहीं है. ऐसी स्थिति में उन्हें मरता देखते रहना सरकार के लिए शर्म की बात है.

ईपीएस -95 पेंशनरों का अनुभव रहा है कि जब-जब संसद और संसद से बाहर पेंशनरों की मांग तेज होती है, सरकार केवल उन्हें भरमाने और धोखा देने के लिए ही समय-समय पर ऐसी समिति गठित करने के हथकंडे अपनाती है. जो इस बार भी एक बार और अपनाई जा रही है.

पाठक और झोड़े ने विनम्रता के साथ प्रधान मंत्री को याद दिलाया है कि भाजपा सांसद की पहल पर ही 2012 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भाजपा सांसद (अब महाराष्ट्र के राजयपाल) भगत सिंह कोश्यारी के नेतृत्व में ईपीएस -95 पेंशन के बारे में सुझाव देने के लिए कमेटी का गठन किया था. कोश्यारी कमेटी ने 2013 में अपनी सिफारिशें सौंप दीं. लेकिन तत्कालीन सरकार ने उसे लागू नहीं किया.

उन्होंने प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेताओं ने पेंशनरों को आश्वस्त किया था कि अगर भाजपा की सरकार केंद्र में आई तो ईपीएस -95 पर कोश्यारी कमेटी की सिफारिशें वे लागू करेंगे. लेकिन सत्ता में आने के बाद आप अपना वादा भूल गए हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा है कि हम सभी पेंशनर आप से विनती करते हैं कि पेंशन सुधार के नाम पर तदर्थ समिति के गठन को रोकें और भगत सिंह कोश्यारी कमेटी और 2018 की उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी की सिफारिशों पर ध्यान दें.

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