राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा झटका, सीएम ने बुलाई आपात बैठक
नई दिल्ली/मुंबई : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार को ओबीसी आरक्षण मामले में बड़ा झटका दिया है. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने अंतरिम रिपोर्ट की आलोचना करने के बाद आज महाराष्ट्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही, अदालत ने महाराष्ट्र रकार और राज्य चुनाव आयोग को इस पर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया.
उच्चतम न्यायालय ने यह कहते हुए कि अंतरिम रिपोर्ट अनुभवजन्य अध्ययन और शोध के बिना तैयार की गई थी, महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा दायर अंतरिम रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. इस रिपोर्ट में स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27% आरक्षण की बहाली की सिफारिश की गई थी.
महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक
मुंबई से प्राप्त समाचार के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के इन निर्देशों के बाद महाराष्ट्र सरकार ने आगे के अपने रुख पर चर्चा करने के लिए दोपहर को कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई. बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने किया. बैठक के फैसले के बारे में खबर लिखने तक पता नहीं चल सका. इसे महाराष्ट्र सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इसका सबसे बड़ा असर मुंबई में होने वाले बीएमसी चुनावों में देखने को मिलेगा.
गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने यह देखते हुए स्थानीय निकायों में 27% ओबीसी कोटा पर रोक लगा दी थी कि स्थानीय निकायों में आरक्षण के संबंध में विकास किशनराव गवली बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य LL 2021 SC 13 में निर्धारित “ट्रिपल टेस्ट” को पूरा किए बिना इसे पेश किया गया है.
क्या होता है ‘ट्रिपल टेस्ट’
ट्रिपल परीक्षण के अंतर्गत तीन परीक्षण आवश्यक हैं –
1. राज्य के भीतर स्थानीय निकायों के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की अनुभवजन्य जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना;
2. आयोग की सिफारिशों के आलोक में स्थानीय निकाय-वार प्रावधान किए जाने के लिए आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि अधिकता का भ्रम न हो; और
3. किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा.
बाद में, कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दायर वापस लेने की अर्जी को खारिज करते हुए उक्त स्थगन आदेश की पुष्टि की. कोर्ट ने निर्देश दिया कि 27% ओबीसी कोटे की सीटों को चुनाव के लिए सामान्य सीटों के रूप में अधिसूचित किया जाना चाहिए. लेकिन बाद में, न्यायालय ने राज्य सरकार को अध्ययन करने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग के साथ तारीख साझा करने की स्वतंत्रता दी.
इसके अनुसरण में, महाराष्ट्र सरकार ने आयोग की सिफारिश के अनुसार शेष स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी कोटा लागू करने की अनुमति के लिए न्यायालय के समक्ष एक आवेदन दायर किया.