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महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारे में एक और भूचाल  

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महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के बाद मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह और राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव सीताराम कुंटे ने सीएम उद्धव ठाकरे को मुश्किल में डाल दिया है. राज्य के पुलिस अधिकारियों और कर्मियों के तबादलों के खेल में रचे गए आपराधिक वारदात की जांच के बाद ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा दायर आरोप पत्र में यह बातें उजागर हुई हैं. ईडी ने एक माह पूर्व इन तीनों के चौंकाने वाले बयान दर्ज किए थे. 

यह मामला परमबीर सिंह द्वारा उस आरोप के बाद जांच की कड़ियों को जोड़ने के क्रम में सामने आया है, जिसमें क्राइम ब्रांच के एक गिरफ्तार अधिकारी सचिन वाजे को प्रतिमाह 100 करोड़ रुपए की उगाही करने का तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख पर आदेश देने का आरोप लगाया गया था. इसके बाद ही निलंबित वाजे को फिर से सेवा में बहाल करने के पीछे के हाथ का पता लगाने कभी मुद्दा उठा था. 

परमबीर सिंह ने पिछले ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को दिए गए अपने जवाब में यह चौंकाने वाला आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके पुत्र पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे के साथ परिवहन मंत्री अनिल परब ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को सेवा में बहाल करने का आदेश दिया था. इसके बाद सीताराम कुंटे ने इसकी पुष्टि ही कर डाली. कुंटे वर्तमान में मुख्यमंत्री ठाकरे के मुख्य सलाहकार हैं. यह बातें ईडी के आरोप पत्र में सामने आई हैं. 

परमबीर सिंह के आरोपों ने महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में तूफान ला दिया है. परमबीर सिंह ने कहा कि सचिन वाजे को जून 2020 में फिर से पुलिस सेवा में नियुक्त किया गया था. उस समय कई पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था. “इस संबंध में निर्णय लेने के लिए मुंबई पुलिस आयुक्त, कुछ संयुक्त आयुक्तों और वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक हुई. उस बैठक में तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख सचिन वजे को दोबारा पुलिस में भर्ती करने का हम पर दबाव बना रहे थे. इसके अलावा, मुझे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे से भी सुझाव मिले थे कि वाजे की सेवा कायम की जाए.” 

सचिन वाजे मुंबई क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के वही निलंबित अधिकारी हैं, जो उद्योगपति अनिल अंबानी के निवास एंटीलिया के सामने विस्फोटकों से लदे एक वाहन को खड़े करने और कारोबारी मनसुख हिरेन हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं. वाजे को मुंबई क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट में नियुक्ति का मामला विवादास्पद और जांच का विषय बना है.

परमबीर ने कहा कि मुझे यह भी निर्देश दिया गया था कि क्राइम ब्रांच में वाजे की नियुक्ति करें और फिर उसे कुछ महत्वपूर्ण कार्य सौंपें. जांच और आगे क्या करना है, इस बारे में अपडेट प्राप्त करने के लिए दोनों ने सीधे वाजे को फोन किया. परमबीर सिंह ने अपने बयान में वाजे के हवाले से यह भी बताया कि देशमुख ने वाजे को दोबारा काम पर लगाने के लिए उससे दो करोड़ रुपए की मांग की थी.

महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख जो परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के बाद मनी लांड्रिंग और वसूली मामले में जेल में हैं, ईडी को बता चुके हैं कि परिवहन मंत्री अनिल परब उन्हें पुलिसकर्मियों के तबादलों की सूची सौंपते थे. देशमुख के अनुसार संभवतः परब द्वारा सौंपी जाने वाली यह सूची अपने शिवसेना विधायकों के पसंदीदा पुलिस अधिकारियों की होती थी. 

इसके बाद सबसे अधिक भूचाल पैदा करने वाला बयान सीताराम कुंटे का है. जो महाराष्ट्र सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव हुआ करते थे और अब वे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के प्रमुख सलाहकार हैं. ईडी के समक्ष अपनी पेशी में उन्होंने स्पष्ट तौर पर परमबीर सिंह के आरोपों की पुष्टि कर दी है. उन्होंने माना है कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से पुलिस अधिकारियों के तबादले रोके गए थे. ईडी के आरोप पत्र में कुंटे का यह बयान शामिल है. उन्होंने ईडी को बताया है कि मुंबई में 10 पुलिस उपायुक्तों के तबादले रोके गए. उन्होंने ईडी को यह भी बताया था कि मुख्यमंत्री ठाकरे ने स्वयं फोन कर परमबीर सिंह से यह तबादले रुकवाए. उन्होंने यह भी बताया कि तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पुलिस अधिकारियों के तबादले के लिए अनाधिकारिक सूची दिया करते थे. 

कुंटे का यह बयान और भी चौंकाने वाला है कि पुलिस विभाग में तबादलों को लेकर खुफिया विभाग की तत्कालीन प्रमुख रश्मि शुक्ला की रिपोर्ट पर राज्य सरकार इस कारण कोई कार्रवाई नहीं कर सकी, क्योंकि तत्कालीन पुलिस महानिदेशक (अब सीबीआई प्रमुख) सुबोध जायसवाल ने मुख्यमंत्री के उस आदेश का पालन नहीं किया, जिसमें उनसे संबंधित पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई के बारे में सुझाव मांगा गया था. 

उल्लेखनीय है कि यह मामला पिछले साल पुलिस ट्रांसफर के दौरान कथित तौर से पैसे लेने का है. इस बात की जानकारी इस समय एसआईडी की चीफ रश्मि शुक्ला ने अपनी यह गुप्त रिपोर्ट डीजीपी जायसवाल के माध्यम से सरकार को बताई थी. इसी साल सीबीआई ने अपनी प्राथमिक जांच के बाद पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसमें ट्रांसफर का भी जिक्र किया गया था. 

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