चार किसानों ने डॉ. सुजय विखे पाटिल के विरुद्ध बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर की याचिका
मुंबई : महाराष्ट्र के अहमदनगर के भाजपा सांसद डॉ. सुजय विखे पाटिल द्वारा निर्माता से सीधे एंटी-वायरल दवा रेमडेसिवीर खरीद कर इसे वितरित किए जाने के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से सवाल किया है कि एक निजी व्यक्ति ने कैसे निर्माता से सीधे एंटी-वायरल दवा रेमडेसिवीर की खरीद कर इसे वितरित किया, जबकि कंपनियों से सीधे केंद्र को स्टॉक प्रदान करने की उम्मीद की जाती है.
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की डिवीजन बेंच औरंगाबाद बेंच के समक्ष अहमदनगर क्षेत्र के चार किसानों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान बेंच ने केंद्र से यह सवाल किया है.
सांसद विखे पाटिल पर 10,000 रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कथित अनधिकृत खरीद और वितरण के लिए उनके खिलाफ सीधे FIR (प्राथमिकी) दर्ज करने की मांग की गई है. बेंच के समक्ष यह याचिका अहमदनगर क्षेत्र के चार किसान अरुण पुंजाजी कडु (70), एकनाथ चन्द्रभान घोगरे (64), बालासाहेब केरुनाथ विखे (62) और दादासाहेब कुशबापु पवार ने दायर किया है.
याचिकाकर्ताओं ने दो ट्विटर विडियो अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए हैं, जिनमें हवाईजहाज में सांसद रेमडेसिवीर इंजेक्शन के दो बॉक्स के साथ बैठे दिखाई दे रहे हैं. ट्विटर में दावा किया गया है कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन के यह खेप गरीबों के लिए गोपनीय स्रोतों से प्राप्त किए गए. इनमें से 100 सीसियां अहमदनगर के शासकीय साईंबाबा अस्पताल को दिए गए. जबकि बाकी के रेमडेसिवीर का उपयोग परवरा स्थित उनके निजी अस्पताल में किया गया.
अदालत ने पूछा कि “एक समाचार रिपोर्ट है कि एक राजनेता ने चार्टर्ड विमान से दिल्ली से अहमदनगर में 10,000 शीशियों को खरीदा और वितरित किया? यह कैसे संभव है? दिल्ली स्वयं संकट में है. क्या यह राशि व्यक्ति द्वारा निजी वितरण के लिए नहीं है?”
जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने यह कहने की कोशिश की कि यह केवल एक समाचार रिपोर्ट है तो पीठ ने टिप्पणी की कि यह केवल मीडिया रिपोर्ट नहीं है, राजनेता ने खुद सोशल मीडिया पर खरीद के बारे में पोस्ट किया है.
अदालत ने कहा कि औरंगाबाद बेंच ने पहले ही मामले को देखा है और एएसजी से जवाब मांगा गया है कि अगर आगे भी अधिक निर्माता निजी व्यक्तियों को ड्रग्स देते हुए पाए गए तो वे कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे.
बेंच ने कहा, “अगर हमें ऐसे अन्य उदाहरण मिलते हैं, जहां निजी निर्माता रेमडेसिवीर को सीधे व्यक्तियों को दे रहे हैं, तो हम ऐसे निर्माताओं के खिलाफ निषेधाज्ञा आदेश पारित कर सकते हैं.” पीठ ने मौखिक रूप से घटना का विवरण मांगा.
कोर्ट महाराष्ट्र में COVID-19 संकट के अनुचित प्रबंधन पर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. पहली याचिका अधिवक्ता स्नेहा मारजारी ने दायर की है, जिसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता सिमिल पुरोहित और अर्शिल शाह ने किया है. वहीं दूसरा याचिका नीलेश नवलखा ने दायर की है, जिसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता राजेश इनादार ने किया.
पिछली सुनवाई के दौरान, बेंच ने रेमेडिसविर इंजेक्शन, ऑक्सीजन और बिस्तर की उपलब्धता के बारे में कई निर्देश पारित किए थे और राज्य और केंद्र को 4 मई तक अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए कहा था. साथ ही कहा था कि यदि इन निर्देशों का अनुपालन किया गया हो तो आकलन करें.
मंगलवार को पीठ ने राज्य से पूछा कि क्या रेमडेसिवीर के वितरण के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है. राज्य ने जवाब दिया कि यह किया जाना बाकी है.