दूसरा साल कई दाग छोड़ गया ठाकरे सरकार पर

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दूसरा साल

महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार के दो वर्षों का लेखाजोखा

*कल्याण कुमार सिन्हा-
महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार अपना दो वर्षों का कार्यकाल पूरे कर चुकी है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सत्ता से हटाने की भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद सत्ता पर वे काबिज हैं. शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की गठबंधन वाली महा विकास आघाड़ी सरकार का दूसरा साल पूरा करने का श्रेय ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार के बीच घनिष्ठता को दिया जाता है. हालांकि ये आरोप भी लगते रहें हैं कि स्व. बालासाहेब ठाकरे की तरह आघाड़ी सरकार को पवार ही पर्दे पीछे से चला रहे हैं और यह भी कि सहयोगी दलों के बीच समन्वय की कमी है.

दो वर्ष पूर्व महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के साथ लंबी चली खींचतान के बाद शिवसेना ने भाजपा का साथ छोड़ कर राकांपा और कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई. उन्होंने 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

पहले साल की चुनौतियां
ठाकरे सरकार के पहले वर्ष के दौरान कोरोना वायरस महामारी और प्राकृतिक आपदाएं जैसे चक्रवात निसर्ग, पूर्व विदर्भ, मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में बाढ़ आदि घटनाओं ने ‘ठाकरे सरकार’ के सामने कड़ी चुनौतियां पेश कीं. आरोप लगा कि ‘फिर भी, इस दौरान मुख्यमंत्री पर घर से काम करते रहे.’ इसके अलावा उन्हें और उनके बेटे आदित्य को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मामले में भी विवादों का सामना करना पड़ा. आदित्य राज्य सरकार में मंत्री हैं.

साथ ही उसी साल पालघर में दो साधुओं की पीट-पीट कर हत्या और अभिनेता सुशांत सिंह की मौत का मामला राजनीतिक सुर्खियां बना रहा. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता देवेन्द्र फड़णवीस सहित पार्टी के अन्य नेताओं ने ठाकरे और आदित्य पर निशाना साधा और आदित्य का नाम सुशांत मामले में खींचने की कोशिशें भी हुई.

उसी वर्ष आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में पत्रकार अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार किए जाने और अभिनेत्री कंगना रनौत के बांद्रा स्थित बंगले के कुछ हिस्से को शिवसेना नीत बीएमसी द्वारा ढहाए जाने के मामले में भी ठाकरे भाजपा के निशाने पर आए.

दागदार बना गया दूसरा साल
इसके बाद दूसरा साल तो सरकार को दागदार बना गया. सरकार पर कुछ मंत्रियों और मुंबई पुलिस के कारण बदनामी के दाग लगे. इससे महाविकास आघाड़ी सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा है. सबसे बड़ा दाग तो पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को बचाने के प्रयासों और उसमें मिली विफलता से लगा है. ईडी और सीबीआई की जांच से बचने सभी प्रयास विफल होने के बाद अब देशमुख को जेल में दिन बिताना पड़ रहा है.

मुंबई पुलिस पर हत्या, एक्सटॉर्शन जैसे भ्रष्टाचार के आरोपों ने न केवल मुंबई पुलिस की छवि खराब किया है, बल्कि सरकार को भी बाइक फुट पर ला खड़ा किया है. सरकार की नाक के नीचे पुलिस निम्न स्टार के अपराध करती रही और जब मामला सामने आया तो पूरी सरकार लिप्त लोगों के बचाव में जुट गई. इतना ही नहीं व्हिसलब्लोअर को ही मुजरिम बनाने के प्रयास में जुट गई.

इधर महा विकास आघाड़ी सरकार को अस्थिर करने में विफल रही भारतीय जनता पार्टी के नेता भी अब एक के बाद सरकार के मंत्रियों के भ्रष्ट कारनामें सामने लाने में जुट गए हैं. इसमें शिवसेना के मंत्रियों सहित राकांपा कोटे के उपमुख्यमंत्री और राज्य के वित्त मंत्री अजित पवार भी शामिल हैं. वैसे भी सरकार में पहले से दागदार रहे मंत्रियों की कमी नहीं है. खासकर राकांपा कोटे के मंत्री. भारतीय जनता पार्टी इन सब को लेकर ठाकरे सरकार को तीखे बयानों से लहू-लुहान करने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं दे रही.

महा विश्वासघाती अघाड़ी सरकार : जावड़ेकर
इसी क्रम में महाविकास आघाड़ी सरकार का दूसरा साल पूरे होने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने नई दिली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार को ‘महा विश्वासघाती अघाड़ी सरकार’ बता दिया. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे धोखे से मुख्यमंत्री बने हैं.

सरकार है पर शासन मृतप्राय हो गया है : फड़णवीस
उधर पूर्व मुख्यमंत्री फड़णवीस ने भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को निशाने पर लेते हुए उन पर हमला किया है. साथ ही सरकार के कामकाज पर भी सख्त नाराजगी जताई है. राज्य में तमाम विकास कार्यों को रोक दिए जाने के साथ ही विधानसभा का शीतकालीन सत्र नागपुर में नहीं कराने पर भी नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि राज्य में कहने को सरकार का दूसरा साल है पर शासन मृतप्राय हो गया है.

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने भी लगभग तीन सप्ताह से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के मंत्रालय नहीं आने को लेकर तंज कसा है. गर्दन में दर्द के कारण ऑप्रेशन के बाद मुख्यमंत्री अस्पताल में ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. उदार हाल ही में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने भी यह दावा कर कि मार्च में भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में सरकार बनाने जा रही है, हलचल पैदा करने की कोशिश कर डाली है.

रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जावड़ेकर ने उद्धव ठाकरे सरकार के दूसरा साल पूरे होने पर अपनी भड़ास यह कहते हुए निकाली, ‘हमने इससे ज्यादा भ्रष्ट, मौकापरस्त और जन विरोधी सरकार राज्य में नहीं देखी. उन्होंने अपना नाम महाविकास अघाड़ी रखा है. मैं उन्हें महा विश्वासघाती अघाड़ी नाम देना चाहता हूं. उन्होंने लोगों को धोखा दिया है और राजनीति का अपराधीकरण किया है.’

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अपनी पार्टी की दुखती रग का तान छेड़ते हुए याद किया कि लोगों ने 2019 विधानसभा चुनाव में शिवसेना-भाजपा को अपना वोट दिया था, लेकिन शिवसेना ने राज्य की ‘सबसे भ्रष्ट सरकार’ का मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रतिद्वंदी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस से हाथ मिलाना चुना.

उद्धव ठाकरे ‘एक्सीडेंटल चीफ मिनिस्टर’, धोखेबाजी से मुख्यमंत्री बने
जावड़ेकर ने भाजपा-शिवसेना गठबंधन को ‘धोखा’ देने के लिए सीएम ठाकरे पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘उद्धव ठाकरे ‘एक्सीडेंटल चीफ मिनिस्टर’ हैं. वे धोखेबाजी से मुख्यमंत्री बने हैं. मतदाताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा-शिवसेना गठबंधन को वोट दिया था. लेकिन उन्होंने धोखा दिया और मोदी विरोधियों के साथ गठबंधन कर लिया.’

इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के कई मौजूदा और पूर्व मंत्रियों पर नाम लिए बगैर आरोप लगाए. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘एक बड़ा मंत्री है, (अजित पवार) जिसके घर पर आयकर विभाग ने रेड की. 1000 करोड़ से ज्यादा रुपए बेनामी संपत्ति के रूप में मिली. एनसीपी से एक अन्य मंत्री (पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख) को इसलिए गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उन्होंने व्हिसलब्लोअर पर हमला किया था. एक तीसरा मंत्री (नवाब मालिक) है, जिसने मुंबई में 1993 सीरियल बॉम्ब ब्लास्ट में शामिल अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से सस्ते दामों पर जमीन खरीदी है.’ इस आरोप से नवाब मालिक बचाव में आ गए हैं. उन्होंने तुरंत आरोप मढ़ दिया कि अनिल देशमुख की तरह उन्हें भी फंसाने की कोशिश की जा रही है.

उन्होंने राकांपा प्रमुख शरद पवार को भी निशाने पर लेते हुए कहा, ‘जब शरद पवार रक्षा मंत्री थे, तब दाऊद का एक साथी भारतीय वायुसेना के विमान में उनके साथ बैठा था. इसलिए महाराष्ट्र के लोग उन्हें सत्ता में वापस नहीं लाए. लेकिन ठाकरे ने उन्हें अपना मार्गदर्शक बना लिया है.’

कोरोना : मृतकों की मुआवजे की घोषणा से असंतोष
इधर कोरोना की मार से बदहाल राज्य में अधिसंख्य आबादी रोजगार छिन जाने से परेशान है. विकास कार्यों को आगे बढ़ाने में सरकार की विफलता के कारण शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बदहाली बढ़ रही है. उद्धव सरकार ने कोरोना महामारी में मारे गए लोगों के परिजनों को 50-50 हजार रुपए मुआवजे के रूप में देने की घोषणा की है. राज्य में अभी तक एक लाख 40 हजार से ज्यादा मौतें हुईं हैं. मुआवजे की इस घोषणा से सत्तारूढ़ सहयोगी दल कांग्रेस में असंतोष है. कांग्रेस विधायक दल ने सरकार से एक-एक लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की थी. जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी चार-चार लाख रुपए देने की बात कह रहे हैं.

ठाकरे सरकार का दूसरा साल पूरी तरह राजनीतिक और कानूनी विवादों में बीता. अपने मंत्रियों के भ्र्ष्ट आचरण पर पर्दा डालने के प्रयासों ने सरकार की छवि को काफी नुकसान पहुंचाया है. इस दौरान कई उपचुनाव हुए. स्थानीय निकायों के भी चुनाव हुए. महाविकास आघाड़ी में शामिल शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के गठजोड़ ने भले ही भारतीय जनता पार्टी से मामूली बढ़त बना ली हो, लेकिन वोट प्रतिशत में भाजपा को पीछे नहीं धकेल पाए. इधर, सरकार पर भाजपा के हमले भी प्रभावी होते जा रहे हैं. ठाकरे सरकार और सहयोगी दलों के पास बचाव करते नहीं बन रहा. एक मंत्री तो नप गए. अब और तीन-चार मंत्रियों के सर पर ईडी और सीबीआई के साथ ही आयकर विभाग की जांच की तलवार लटक रही हैं. मझधार में सरकार की नाव में छेद पर छेद होते ही जा रहे हैं और अभी तीन साल का लंबा रास्ता भी तय करना है.

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