हेमंत सोरेन सरकार की पहली कैबिनेट की बैठक में फैसला
रांची : झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार शपथ लेने के साथ ही हेमंत सोरेन ने कैबिनेट की बैठक की. बैठक में चुनाव पूर्व लिए गए 8 फैसलों पर मुहर लगाई गई. इन फैसलों में प्रमुख रूप से दिसंबर 2024 से “झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना” के लाभार्थियों को 2500 रुपए प्रति माह भुगतान सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया. यह बैठक गुरुवार, 28 नवंबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई.
आज गुरुवार, 28 नवंबर को हेमंत सोरेन ने ने मोरहाबादी मैदान में मुख्यमंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ ली. फिर झारखंड की सत्ता की बागडोर संभाल ली. राज्य में फिर हेमंत सोरेन की सरकार है. शपथ ग्रहण समारोह में सिर्फ उन्होंने ही मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. हालांकि पहले कांग्रेस और राजद कोटे से एक-एक मंत्री के शपथ लेने की चर्चा थी, लेकिन ‘इंडिया गठबंधन’ में इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका था. यही वजह रही कि हेमंत सोरेन ने अकेले ही शपथ ली.
छठी विधानसभा का पहला सत्र 9 से 12 दिसंबर तक
कैबिनेट ने विधानसभा के लिए निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ विधायक स्टीफन मरांडी को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. साथ ही छठी विधानसभा का प्रथम सत्र 9 दिसंबर से 12 दिसंबर तक आहूत करने का निर्णय लिया गया.
1.36 लाख करोड़ की वसूली के लिए केंद्र के खिलाफ शुरू होगी कानूनी कार्रवाई
एक अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव में कहा गया कि केंद्र सरकार और केंद्रीय उपक्रमों पर राज्य सरकार की बकाया राशि 1,36,000 करोड़ रुपए की वसूली के लिए विधिक कार्रवाई शुरू की जाए. झारखंड राज्य की आय में बढ़ोत्तरी के लिए नए स्रोत, खनन क्षेत्र में लागू पुराने करों में वृद्धि एवं न्यायिक मामलों में लंबित वसूली में तेजी लाने के लिए वित्त विभाग में एक विशेष कोषांग का गठन करने का भी निर्णय लिया गया.
जेपीएससी, जेएसएससी परीक्षा कैलेंडर 1 जनवरी से पहले जारी हो
पुलिस नियुक्ति के लिए भविष्य में होने वाली परीक्षा प्रक्रिया की समीक्षा करने का भी निर्णय लिया गया. सभी रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए JPSC, JSSC तथा अन्य प्राधिकार आगामी 1 जनवरी 2025 के पहले परीक्षा कैलेंडर प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया.
असम में झारखंड के मूल जनजातीय समूहों की दशा का अध्ययन होगा
असम के चाय बागानों में काम करने वाले झारखंड मूल के जनजातीय समूह की दशा के अध्ययन के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल असम जाकर जमीनी स्तर पर अध्ययन करेगा और सरकार को अपना प्रतिवेदन सौंपेगा. उस आधार पर उन्हें भविष्य में दी जाने वाली सुविधा तय की जाएगी.