यात्री की सतर्कता से पुरी-ओखा एक्सप्रेस की बड़ी दुर्घटना टली

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पुरी-ओखा एक्सप्रेस ट्रेन के युवा यात्री किशोर कन्हर, जिनकी सतर्कता से S-5 कोच के नीचे भाग के टूटने का पता चला. साथ में एक अन्य यात्री.

बल्लारशाह-वर्धा के बीच हुआ हादसा, गोरखपुर-यशवंतपुर एक्सप्रेस की दुर्घटना की पुनरावृति

आश्विन शाह,
वर्धा :
एक रेल यात्री की सतर्कता के कारण बल्लारशाह-वर्धा के बीच आज मंगलवार की सुबह करीब 9 बजे रेल का बड़ा हादसा होते-होते बचा. सतर्क रेल यात्री किशोर रविंद्र कन्हर ने पुरी-ओखा एक्सप्रेस के S5 कोच के नीचे के भाग से कुछ टूटने की आई आवाज सूनी सुनी और उन्होंने तत्काल टिकट निरीक्षक रविन्द्र सलामे तथा एक अन्य यात्री संतोष कुमार को यह बात बताई.

कोच के नीचे से आ रही आवाज से उन्हें भी खतरे का आभास हुआ और तत्काल उन्होंने रेल अधिकारियों को सूचित किया. ट्रेन जैसे ही वर्धा स्टेशन पहुंची, वहां वर्धा रेलवे के स्टेशन सुपरिंडेंट धीरज ठाकुर को उन्होंने इसकी जानकारी दी. धीरज ठाकुर ने भी इसकी जांच कर नागपुर स्थित पश्चिम रेल के मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी को सूचना दे कर गाड़ी को वहीं वर्धा में रोककर S5 कोच को यात्रियों से खाली करवाया और उस कोच को अलग करवाया. इसके साथ ही दूसरा कोच जोड़ कर सभी यात्रियों को उसमें शिफ्ट कर बाद में ट्रेन को रवाना किया.

युवा यात्री किशोर कन्हर, जिनकी सतर्कता से पुरी-ओखा एक्सप्रेस ट्रेन के उस कोच संख्या 988227 के नीचे के भाग के स्प्रिंग के पास टूट-फूट का पता चल पाया, ओडीसा के फुलबनी जिले के रहने वाले हैं.

इसी तरह की घटना में यात्रियों की सतर्कता से बचा था गोरखपुर–यशवंतपुर एक्सप्रेस
उल्लेखनीय है कि इसी प्रकार की दुर्घटना इसी वर्ष 29 मई को मध्य रेल नागपुर मण्डल के काटोल–कलमेश्वर खंड के बीच सोनखांब-कोहली स्टेशन के पास गोरखपुर–यशवंतपुर एक्सप्रेस गाड़ी (ट्रेन नंबर 15015) साथ हुई थी. ट्रेन के एक एसी कोच का पहिया टूट गया था. यह ट्रेन नागपुर से 40 किलोमीटर पहले काटोल और कलमेश्वर स्टेशनों के मध्य स्थित सोनखाम एवं कोहली स्टेशनों के बीच थी. तभी एक एसी-2 कोच का एक पहिया तेज आवाज के साथ टूट गया और ऊपर कोच का फर्श फाड़ कर वापस नीचे ट्रैक पर जा गिरा. उसके ऊपर की बर्थ पर यात्रा कर रही महिला के हाथ में गंभीर चोट लगी थी. इससे पूर्व इसी अवस्था में ट्रेन कुछ किलोमीटर दौड़ी चली आई थी. संयोग से ट्रेन डिरेल नहीं हुई. अन्यथा तेज गति दौड़ रही तेन के डिरेल होने से अनेक यात्रियों की जान-माल क्षति पहुंचती और रेलवे को भी भारी नुकसान होता.

स्थिति देख ट्रेन स्टाफ के होश उड़ गए थे
जैसे ही यह हादसे की गंभीरता यात्रियों को समझ में आई, उन्होंने चेन पुलिंग करके ट्रेन रोकी और ट्रेन में चल रहे स्टाफ को जानकारी दी. उन्होंने जब कोच की हालत देखी तो उनके होश उड़ गए. ट्रेन एक तिहाई पहिए पर ही कई किलोमीटर दौड़ चुकी थी. उन्होंने नागपुर स्थित रेल प्रशासन को सूचना दी. बाद में नागपुर से मदद पहुंची और ट्रेन को धीमी गति से चला कर नागपुर स्टेशन लाया गया और फिर वहां उस कोच को ट्रेन से अलग किया गया और उस कोच के यात्रियों को दूसरे कोच में बैठा कर टर्न रवाना किया गयाथा.

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