शिरडी से ‘स्टार्टअप’ पहुंचा भोपाल, चढ़ावे के फूलों से बना रहे अगरबत्ती

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युवा उद्यमियों ने गणपति पंडालों, मंदिरों से एकत्र किया 2.5 टन फूल, सड़े-गले फूलों से बना रहे खाद

भोपाल : पूजा पंडालों और धार्मिक स्थलों में चढ़ने वाला फूलों को अब सामान्य कचरे के साथ खंती में नहीं फेंका जाएगा. बल्कि शिरडी की तर्ज पर भोपाल में भी इन फूलों से अगरबत्ती बनाई जाएगी. भोपाल नगर निगम स्वच्छता अभियान के तहत री-यूज थीम पर नवाचार कर रहा है.

कालकाजी मंदिर (दिल्ली) में भक्तों द्वारा चढ़ाए जाने वाले फूलों को यमुना में प्रवाहित ना कर उससे उपयोगी बायोगैस और उर्वरक बनाने की अनोखी पहल शुरू की है.

उल्लेखनीय है कि शिरडी के साई मंदिर में रोज करीब ढाई हजार किलो फूल चढ़ाए जाते हैं. यहां करीब सालभर से इन फूलों से अगरबत्ती बनाई जा रही है. शिरडी ट्रस्ट को जहां इससे आमदनी हो रही है, वहीं आसपास के गांवों के लोगों को रोजगार मिला है.

पूजा पंडालों और धार्मिक स्थलों से 2.5 टन फूलों को एकत्र किया
भोपाल नगर निगम ने भी गणपति उत्सव के दौरान पूजा पंडालों और धार्मिक स्थलों से 2.5 टन फूलों को एकत्र किया है. नवरात्रि के दौरान भी पंडालों और धार्मिक स्थलों से फूलों को एकत्र किया गया है. इसे ‘यादगारे शाहजहांनी पार्क’ में सुखाया जा रहा है. सूखे हुए फूलों को अलग किया जा रहा है, जबकि सड़े गले फूलों को खाद बनाने के लिए प्लांट में डाला जा रहा है. यही नहीं, निगम का स्वास्थ्य अमला तालाब में विसर्जन के दौरान निकलने वाले फूलों को शाहजहांनी पार्क भेजा जा रहा है.

युवा उद्यमियों का प्रशंसनीय ‘फ्लावर पावर स्टार्टअप’
इस कार्य में युवा उद्यमी अभय वायंगंकर और प्रियंका गुप्ता ने ‘फ्लावर पावर स्टार्टअप’ के तहत इस अभियान को अपने हाथ मे लिया है. उनके साथ स्टार्टअप कम्यूनिटी के सदस्यों का भी सहयोग मिल रहा है. नगर निगम अपने संसाधनों से फूलों को संग्रह करने और जगह उपलब्ध कराने में सहयोग कर रहा है.

ये युवा फूलों से अगरबत्ती बनाना और इसे बाजार में स्थापित करने की प्रक्रिया में जुटे हैं. युवा उद्यमी अभय के अनुसार वैसे तो मशीनों के माध्यम से फूलों से अगरबत्ती बनाना आसान है. लेकिन, इसमें लागत ज्यादा आ रही है. ऐसे समूहों से संपर्क किया जा रहा है, जो फूलों से अगरबत्ती बनाते हैं. कम खर्च में अगरबत्ती बनाकर इसे बाजार तक पहुंचाने की कवायद चल रही है.

ऐसे आया आइडिया
वर्तमान में धार्मिक स्थलों व तालाबों से निकलने वाला फूलों का वेस्ट कई बार सामान्य कचरे के साथ मिल जाता है. चूंकि इससे लोगों की धार्मिक आस्थाएं भी जुड़ी हैं, इसलिए इससे अगरबत्ती बनाने का विचार आया. अभय बताते हैं कि शिरडी सहित देश के कई शहरों में इसकी शुरुआत हो चुकी है. इसलिए इसे भोपाल में भी स्टार्टअप के तहत शामिल किया है.

(‘नई दुनिया’ से साभार)

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