उम्मीद कम है कि येदियुरप्पा को सीधे पद से हटाने का आदेश दे सुप्रीम कोर्ट

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पर सवाल यह है कि राज्यपाल ने उन्हें किस आधार पर सरकार बनाने का न्योता दिया

नई दिल्ली : शुक्रवार, 18 मई को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई को देखते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा को कांग्रेस भले ही एक दिन का मुख्यमंत्री बता रही हो, लेकिन मौजूदा नजीरों को देखते हुए यह नामुमकिन ही लगता है कि सुप्रीम कोर्ट येद्दयुरप्पा को सीधे पद से हटाने का आदेश जारी कर दे.

कोर्ट ने अब तक फ्लोर टेस्ट को ही दी है तरजीह
बहुमत के विवाद में आज तक कभी भी सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को सीधे पद से हटाने का आदेश नहीं दिया है. कोर्ट ने ऐसे विवाद में हमेशा फ्लोर टेस्ट (सदन में बहुमत पर मतदान) को ही तरजीह दी है. फिर चाहें वो गोवा का मामला रहा हो या उत्तराखंड अथवा झारखंड का. लेकिन यहां एक संवैधानिक मसला भी है कि आखिर राज्यपाल ने उन्हें किस आधार पर सरकार बनाने का न्योता दिया?

सब कुछ कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर
सुप्रीम कोर्ट से शपथग्रहण पर रोक से मना करने के बाद येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल ली है, लेकिन उनकी राह आसान नहीं है. आदेश में साफ है कि यह कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा. कोर्ट ने येदियुरप्पा की ओर से राज्यपाल को सरकार बनाने के दावे की दी गई 15 और 16 मई के पत्र तलब किए हैं ताकि पता चल सके कि राज्यपाल ने किस आधार पर उन्हें सरकार बनाने का निमंत्रण दिया है.

राज्य में सरकार गठित हो चुकी है. येदियुरप्पा मुख्यमंत्री हैं और उन्हें राज्यपाल ने संवैधानिक प्रक्रिया के अंतर्गत सदन में बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया है. सवाल उठता है कि ऐसे में क्या सुप्रीम कोर्ट आदेश के जरिये सीधे सरकार बर्खास्त कर सकता है?

इस पर विधि विशेषज्ञों के विचार अलग-अलग हैं-

सदन में ही साबित किया जाता है बहुमत : कश्यप
संविधानविद सुभाष कश्यप का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट सिर्फ यह देखेगा कि फैसला लेते समय राज्यपाल के सामने पूरी जानकारी और दस्तावेज रखे गए थे अथवा नहीं. संविधान के मुताबिक बहुमत सिर्फ सदन में ही साबित किया जाता है. कोर्ट इस पर सवाल नहीं कर सकता.

असीमित शक्तियां हैं सुप्रीम कोर्ट के पास
लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत न्यायाधीश कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के पास असीमित शक्तियां हैं और वह कोई भी आदेश दे सकता है. यहां येद्दयुरप्पा के बहुमत साबित करने का सवाल नहीं है, बल्कि सवाल यह है कि राज्यपाल ने उन्हें किस आधार पर सरकार बनाने का न्योता दिया. राज्यपाल को बहुमत का भरोसा होना चाहिए. अन्यथा 50 सीट पाने वाले को मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा.

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