दक्षिण के द्वार पर भाजपा को अटकाने में सफल हो रही कांग्रेस

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अधिक सीटें जीत कर भी अब अपनी ही ‘चाल’ में जा उलझी भाजपा

विशेष संवाददाता
नई दिल्ली :
कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भाजपा 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी, लेकिन वह 112 के जादुई आंकड़े से दूर रह गई. इससे पहले कि भाजपा देवेगौड़ा की जनता दल (सेक्युलर) से संपर्क साधती, 78 सीट जीतने वाली कांग्रेस ने उसे मुख्यमंत्री पद की पेशकश कर दी.

22 वर्ष पूर्व भी कांग्रेस ने इसी तरह देवेगौड़ा को बनाया था पीएम
कांग्रेस ने जद (एस) से मिल कर भाजपा को दक्षिण के द्वार पर अटकाने में पूरी तरह सफल होने की कगार पर है. साथ ही कांग्रेस मुक्त करने के भाजपा के सपने को भी आघात पहुंचने की स्थिति बन गई है. ऐसा तब हुआ है, जब पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा की पार्टी जद (एस) को मात्र 37 सीटें मिली हैं, जबकि एक सीट उसकी सहयोगी बसपा के खाते में गई है. 22 वर्ष पूर्व इन्हीं परिस्थितियों में कांग्रेस ने देवेगौड़ा को भी प्रधानमंत्री पद पर आसीन किया था.

अपनी ही चाल से मात खा गई भाजपा
एक तरह से कांग्रेस ने कर्नाटक में भाजपा को उसी की चाल से मात दे दी. पिछले साल गोवा, मेघालय और मणिपुर चुनावों में भाजपा ने छोटे दलों और निर्दलीयों के साथ हाथ मिलाकर सबसे बड़े दल कांग्रेस को सरकार बनाने से वंचित कर दिया था. कांग्रेस और जद (एस)के मिलकर सरकार बनाने के दावे को सही ठहराते हुए कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने गोवा, मेघालय और मणिपुर के मामले में व्यवस्था दी है कि सबसे बड़े दल होने का मतलब यह नहीं है कि आप स्वाभाविक रूप से सरकार बनाने के योग्य हैं.

विभिन्न दलों के दावों पर मौन हैं राजयपाल
कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला ने सरकार बनाने के लिए विभिन्न दलों के दावों पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं और उन्हें आधिकारिक नतीजे आने तक इंतजार करने को कहा है. संविधान के जानकारों का कहना कि राज्यपाल सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के वास्ते आमंत्रित करने के लिए बाध्य नहीं हैं. हालांकि बहुमत परीक्षण सदन में होना है. भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन किंगमेकर बनी जद (एस) इस अहम राज्य में कांग्रेस को सत्ता में बने रहने के लिए मदद कर रही है.

बिल्ली के भाग्य से टूटना ही था छींका
कांग्रेस ने सोमवार को ही संकेत दे दिए थे कि वह मुख्यमंत्री पद को लेकर समझौता करने को तैयार है. निवर्तमान मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने कहा था कि वह दलित मुख्यमंत्री के लिए कुर्सी छोड़ने को तैयार हैं. कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी ने देवेगौड़ा को फोन किया और उनके बेटे एच.डी. कुमारस्वामी को कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री बनाने की पेशकश की. देवेगौड़ा और कुमार स्वामी को भी इसी सन्देश का इंतजार था. कांग्रेस का मकसद भाजपा को सत्ता में आने से रोकना है तो बिल्ली के भाग्य से छींका टूटना ही था. जद (एस) को सस्ते में सत्ता मिलाने जा रही है.

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