NPR : राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अपडेट करने की तैयारी शुरू

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नई दिल्ली : देश के 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विरोध के बावजूद अब अगले वर्ष 2021 से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट किए जाने का काम शुरू होने वाला है. साल भर पूर्व यह फैसला ऐसे समय लिया गया था, जब देशभर में इसी वर्ष जनवरी 2020 से नागरिकता संशोधन कानून के साथ एनआरसी (NRC) का भी विरोध शुरू कर दिया गया था.
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देश की राजधानी नई दिली के शाहीन बाग से शुरू किया गया यह विरोध, देश के दूसरे प्रांतों में भी फैलाने की न केवल कोशिशें शुरू हो गईं थी, बल्कि इन दोनों को लेकर दिल्ली को दंगे की आग में भी झोकने के सफल प्रयास भी हुए. NPR को विवाद का मूल बने राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) को पूरा करने की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है.

हालांकि सरकार ने अब तक NRC को असम से बाहर किसी अन्य राज्य में लागू नहीं किया है. जब कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने की मंजूरी दिसंबर 2019 में ही मोदी सरकार ने दे दी थी. इस पर कार्रवाई 1 अप्रैल 2020 से शुरू होनी थी. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसे टाल दिया गया था.

अंग्रेजी दैनिक ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर या एनपीआर के लिए आम लोगों से पूछे जाने वाले सवालों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. यह जानकारी रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) ने द हिंदू को सूचना के अधिकार के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में दी है.  
 
अब न बायोमैट्रिक जानकारी, न दस्तावेज मांगा जाएगा
रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी NPR के लिए जानकारियां जुटाने के तरीके में केंद्र सरकार में कुछ बदलाव किए हैं. अब एनपीआर में बायोमैट्रिक जानकारियां नहीं मांगी जाएंगी और न ही किसी प्रकार का कोई दस्तावेज लिया जाएगा. इसे पूरी तरह से स्वघोषित रखा जाएगा.  

आरजीआई ने बताया है कि एनपीआर के सवालों और शेड्यूल को अंतिम रूप दिया जा रहा है और ‘जनगणना 2021’ के पहले चरण के बारे में अभी कोई रूप रेखा तैयार नहीं हुई है.

एनपीआर का विचार आया कब?
उल्लेखनीय है कि NPR का विचार यूपीए शासनकाल के समय 2009 में तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने लाया था. लेकिन उस समय नागरिकों को सरकारी लाभों के हस्तांतरण के लिए सबसे उपयुक्त आधार प्रोजेक्ट का इससे टकराव हो रहा था. NPR के लिए डाटा को पहली बार वर्ष 2010 में जनगणना-2011 के पहले चरण, जिसे हाउस लिस्टिंग चरण कहा जाता है, के साथ एकत्र किया गया था. वर्ष 2015 में इस डाटा को एक हर घर का सर्वेक्षण आयोजित करके अपडेट किया गया था.

कैसी जानकारी मांगी जाएगी एनपीआर में?
एनपीआर में जनसांख्यिकीय डाटा को एकत्रित किया जाएगा.
जनसांख्यिकीय डाटा को 15 अलग-अलग श्रेणियों में रखा जाएगा, जिनमें नाम, जन्म स्थान, शिक्षा और व्यवसाय जैसी जानकारी भी शामिल है.

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में 15 व्यक्तिगत जानकारियां मांगी जाएंगी :
नाम
जन्मतिथि
राष्ट्रीयता
वर्तमान पता
स्थायी पता
जाति
धर्म
माता-पिता
वैवाहिक स्थिति
वर्तमान निवास का समय
व्यवसाय इत्यादि.

नागरिकों से इतनी जानकारी क्यों?
प्रत्येक देश में प्रासंगिक जनसांख्यिकीय विवरण के साथ अपने निवासियों का व्यापक पहचान डाटाबेस होना चाहिए. यह सरकार को बेहतर नीतियां बनाने और राष्ट्रीय सुरक्षा में भी मदद करता है. लगभग सभी विकसित देशों में ऐसा किया जाता है.

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में अंतिम निवास स्थान, पासपोर्ट नंबर, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर, वोटर आईडी कार्ड और मोबाइल नंबर को भी अद्यतन आंकड़ों के रूप में शामिल किया जा सकता है, इन आंकड़ों को वर्ष 2010 के राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में शामिल नहीं किया गया था.

 

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