संविधान दिवस

संविधान दिवस की 75वीं वर्षगांठ का है विशेष महत्व..!

देश मत-सम्मत
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मत-सम्मत : आज देशभर में 75वां संविधान दिवस मनाया जा रहा है. स्वतंत्र भारत के इतिहास में 26 नवंबर का अपना अलग ही महत्व है, क्योंकि इसी दिन 1949 में भारत का संविधान अपनाया गया था और यह 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था. इसलिए, यह एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. संविधान बनने के बाद हमारे मूल संविधान में 100 से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं. समय और जरूरत के हिसाब से केंद्र की विभिन्न सरकारों ने इसमें बदलाव किया है.

2024 का संविधान दिवस अधिक महत्वपूर्ण 

आज का, अर्थात 2024 का संविधान दिवस बहुत ही ख़ास बन गया है. 2024 के लोकसभा और कुछ राज्यों के चुनावों में राजनीतिक दलों ने ख़ास कर विपक्षी दलों के गठबंधन ने संविधान को चुनावी मुद्दा बना दिया था. विपक्ष चुनाव सभाओं में सत्तारूढ़ दलों पर संविधान को खत्म करा देने या उसमें आमूल बदलाव लाने की आशंका पैदा करने वाले बयान देते रहे. और सत्तारूढ़ दल लगातार इन आशंकाओं को खारिज करता रहा. लोकसभा चुनाव में विपक्ष के द्वारा चलाया गया यह प्रचार देश की जनता पर आंशिक असर किया. परिणाम स्वरूप सत्तारूढ़ दल को नुकसान हुआ और विपक्ष ने इसका लाभ उठाया. अभी भी विपक्ष इस मुद्दे पर डाटा हुआ है. ऐसे में आज राष्ट्रपति द्वारा संविधान दिवस का उदघाटन और देश भर में मनाया जा रहा संविधान दिवस का महत्त्व बढ़ गया है.    

संविधान लागू होने के बाद से सितंबर 2024 तक, भारत के संविधान में 106 संशोधन हो चुके हैं. देश में 2014 में एनडीए की नरेंद्र मोदी सरकार के आने पर दस इनमें से आखिरी 7 महत्व के संशोधन निम्नलिखित हैं…

  1. 100वां   2015    भारत-बांग्लादेश भू-सीमा संशोधन 
  2. 101वां   2016    GST वस्तु और सेवा कर 
  3. 102रा    2018    पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा 
  4. 103रा  2019  आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण 
  5. 104था   2020      SC/ST को लोकसभा और विधानसभाओं में विस्तारित आरक्षण एवं एंग्लो इंडियंस के प्रतिनिधित्व के प्रावधान समाप्त 
  6. 105वां   2021    राज्यों को OBC वर्ग की पहचान और अधिसूचित करने के अधिकार की पुनर्बहाली 
  7. 106ठा   2024    महिलाओं के लिए लोकसभा, विधानसभाओं, दिल्ली विधानसभा में (SC/ST महिलाओं के आरक्षण सहित) 1/3 सीटों का आरक्षण 

भारत के संविधान निर्माताओं के योगदान को स्वीकार करने और संवैधानिक मूल्यों के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना जागृत करने के लिए प्रति वर्ष 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. ऐसे में आज हम जानते हैं, पहली बार संविधान दिवस कब मनाया गया. इस दिन को मनाने की वजह क्या थी और भारतीय संविधान की क्या खूबियां हैं.

पहली बार संविधान दिवस कब मनाया गया

प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत में हर साल संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है. इस दिन साल 1949 में भारत का संविधान अपनाया गया था. अतः वह पहला संविधान दिवस था.  15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के बाद संविधान की आवश्यकता को महसूस किया गया. संविधान तैयार करने में दो वर्ष, 11 माह और 18 दिन का वक्त लगा.

जिसके बाद भारत गणराज्य का संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हो गया. हालांकि इसे आधिकारिक तौर पर लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया. इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है.

भारतीय संविधान से जुड़ी ख़ास बातें

संविधान विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय संविधान भारत के नागरिकों को अनेक व्यक्तिगत मौलिक अधिकार देता है. जैसे कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धर्म की स्वतंत्रता, समानता का अधिकार आदि. साथ ही, संविधान में कुछ मूल कर्तव्य भी निर्धारित किए गए हैं, जो नागरिकों को निभाने होते हैं.

समय के साथ बदलती परिस्थितियों के अनुसार, संविधान में संशोधन किए जाते हैं. संविधान संशोधन की प्रक्रिया संविधान में ही निर्धारित है.

संविधान दिवस हमें हमारे संविधान के महत्व को समझने और इसकी रक्षा करने के लिए प्रेरित करता है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम सभी बराबर हैं और हमें समान अधिकार प्राप्त है.

संविधान का निर्माण  डॉ. भीमराव आंबेडकर ने किया

राजनीतिक विशेषज्ञ के अनुसार, भारतीय संविधान के निर्माण का श्रेय डॉ. भीमराव आंबेडकर को दिया जाता है. बाबा साहेब संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे. उन्हें भारतीय संविधान का जनक भी कहा जाता है. संविधान सभा में 389 सदस्य थे और डॉ. राजेंद्र प्रसाद इसके अध्यक्ष थे.

भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. इस में 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 25 भाग हैं. भारतीय संविधान संघात्मक और एकात्मक दोनों तरह का है. हमारे संविधान में मौलिक अधिकारों के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों का भी जिक्र है.

– विदर्भ आपला.