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खरबों के ईपीएफ कोष के बंदरबांट की तैयारी..?

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पेंशनरों का अभिशाप बना EPFO – (भाग-3)

*कल्याण कुमार सिन्हा,
विश्लेषण :
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के भविष्य निधि खाते (ईपीएफ कोष) में जमा खरबों (10 खरब) रुपए की रकम के उपयोग की चिंता केंद्र सरकार को अब जाकर हुई है. यह सरकार की चिंता है या चालाकी है, इस पर ध्यान देने की जरूरत ईपीएस-95 के अंतर्गत सेवानिवृत्तों को अधिक है. आशंका व्यक्त की जा रही है कि यह कसरत (असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए) सरकार अपनी महत्वाकांक्षी योजना “प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना” (पीएम-एसवाईएमवाई) के लिए इस फंड से वित्त-पोषण हेतु मार्ग तैयार कर रही है.

खरबों दबाए बैठा है EPFO 
एक ओर ईपीएस-95 के अंतर्गत सेवानिवृत्तों को उनके अंतिम वास्तविक वेतन के आधार पर पेंशन देने के सुप्रीम कोर्ट के 2016 के आदेश के साथ चालबाजी की जा रही है, दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर कर शीर्ष अदालत को बताया जा रहा है कि केरल हाईकोर्ट के फैसले को लागू करने से उसपर 15 खरब रुपए का बोझ आएगा. जबकि सीधे-सीधे खरबों रुपए के ईपीफ कोष (EPF FUND) के अलावा अगस्त 2020 तक जमा खरबों (52919,79,90,114.45 रुपए) रुपए से अधिक का “वेलफेयर फंड” भी अब तक EPFO (सरकार की ‘कृपा’ से) दबा कर बैठा हुआ है.

इनऑपरेटिव फंड को नाम दिया वेलफेयर फंड का, वेलफेयर कुछ भी नहीं 
इस वेलफेयर फंड का नाम पहले EPFO का इनऑपरेटिव फंड हुआ करता था. बाद में इसका नामकरण ‘वेलफेयर फंड’ कर दिया गया. इस फंड में प्रत्येक वर्ष हजारों करोड़ रुपए जमा होते रहे हैं. लेकिन इस रकम का उपयोग EPFO ने पेंशनरों अथवा इस फंड में अंशदान कर रहे कर्मचारियों के वेलफेयर के लिए अबतक नहीं किया है. आश्चर्य का विषय तो यह है कि इस ओर न तो सरकार ने और न ही देश की संसद ने कभी ध्यान देने की जरूरत समझी. अब, जब सुप्रीम कोर्ट में दायर रिव्यू पिटीशन और एसएलपी पर अनुकूल फैसला नहीं आने की चिंता हुई है तो केंद्र सरकार ने एक माह पूर्व गति संसदीय समिति को काम पर लगाया है. आशंका जताई जा रही है कि इसके माध्यम से पेंशनरों को उनके अंतिम वेतन के आधार पर पेंशन देने से बचने का भी रास्ता इसमें से निकालने की तैयारी की जा रही है.

रकम के बंदरबांट पर मंथन   
इस संसदीय समिति द्वारा गठित लेबर पैनल की पहली बैठक बुधवार, 21 अक्टूबर को हुई है. बैठक में केवल EPFO और श्रम मंत्रालय के अधिकारियों से पैनल के सदस्यों ने फंड के बारे में ही जानकारी देने को कहा है. सूत्रों का मानना है कि अगली बैठक में EPFO के भविष्य निधि (PF) खाते में जमा इस खरबों रुपए की रकम के बंदरबांट पर मंथन शुरू हो जाएगा. जबकि बताया यह जा रहा है कि सरकार इस जमा रकम पर अधिक रिटर्न दिलाने की तैयारी में है, इसीलिए संसदीय समिति द्वारा गठित लेबर पैनल ने इस दिशा में काम शुरू किया है.

पहली बैठक में ही पैनल ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत खरबों रुपए के कोष का प्रबंधन, प्रदर्शन और निवेश पर मंथन किया. जब कि जानकार सूत्रों के अनुसार इसका उद्देश्य EPFO के साथ जोड़े गए असंगठित सेक्टर में काम करने वालों के लिए इस फंड के उपयोग के लिए जमीन तैयार करना है.

गौरतलब है कि पिछले एक साल में EPFO और उसके कोष के प्रबंधन की कोई जांच नहीं हुई है. इससे जुड़ एक व्यक्ति ने कहा कि अब फंड मैनेजर इसके कोष का बाजार में निवेश कर रहे हैं तो हम इसका आकलन करना चाहते हैं. पैनल के सदस्य कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते ईपीएफओ कोष पर पड़ने वाले प्रभाव का भी आकलन करेंगे.

प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना के लिए वित्त पोषण
केंद्र सरकार का उद्देश्य असंगठित श्रमिकों को बुढ़ापे की सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है. केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना “प्रधानमंत्री श्रम योजना-धन योजना” (PM-SYMY) के माध्यम से मुख्य रूप से रिक्शा चालक, स्ट्रीट वेंडर, हेड लोडर, ईंट भट्ठा मजदूर, कोबलर, चीर बीनने वाले, घरेलू कामगार, कृषि निर्माण श्रमिक आदि को सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करना है. EPFO पहले केवल संगठित क्षेत्र के लिए था, लेकिन केंद्र सरकार ने इसमें असंगठित क्षेत्र को भी शामिल कर दिया है.

पेंशन राशि को बढ़ाने पर चर्चा 
इस घटनाक्रम से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि पीएफ कोष पर गठित समिति की बुधवार की बैठक में पेंशन स्कीम, कर्मचारियों की पेंशन योजना (EPS) के तहत पेंशन बढ़ाने और खाताधारक की मृत्यु के मामले में परिवारों को आसानी से धन की उपलब्धता सुनिश्चत करने के बारे में EPFO से जानकारी मांगी गई. ईपीएस योजना के तहत न्यूनतम फैमिली पेंशन को बढ़ाकर 5,000 रुपए मासिक भुगतान करने की मांग ट्रेड यूनियन और श्रमिक संगठन भी पिछले कुछ समय से कर रहे हैं.

संसद के शीतकालीन सत्र में रिपोर्ट सौंपेगी
पीएफ कोष पर गठित संसदीय समिति कई बैठक कर इस मुद्दे पर चर्चा कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट संसद को शीतकालीन सत्र में सौंपने वाली है. बताया गया कि समिति के सदस्यों ने श्रम मंत्रालय के प्रतिनिधियों को अन्य देशों में संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए किए गए प्रावधानों को भी देखने के लिए कहा है.  

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