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रद्द होंगी CBSE की 10 और 12 की परीक्षाएं

शिक्षाजगत
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अब Exams रद्द करने की राह पर CISCE भी

 
नई दिल्ली : सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने COVID-19 महामारी के मद्देनजर 1 से 15 जुलाई तक होने वाली कक्षा 10 और 12 की परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला किया है. सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी गुरुवार को सॉलिसिटर जनरल (एस.जी.) तुषार मेहता ने दी.

जस्टिस ए.एम. खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ को एस.जी. मेहता ने बताया कि CBSE परीक्षाएं तब आयोजित करेगा, जब स्थिति अनुकूल होगी. एस.जी. ने कहा कि एक योजना बनाई गई है, जहां कक्षा 12 के छात्र का अंतिम 3 परीक्षाओं के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा. बाद में आयोजित होने वाली परीक्षा के लिए छात्र के पास विकल्प चुनने की सुविधा होगी.

CISCE की परीक्षा भी रद्द की जाएगी  
CISCE के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने कहा कि CBSE के सूट के बाद CISCE की परीक्षा भी रद्द कर दी जाएगी. पीठ ने CBSE को आंतरिक मूल्यांकन और परीक्षा के बीच विकल्प के मुद्दों को निर्दिष्ट करने और परिणामों की तिथि को स्पष्ट करने के लिए एक ताजा नोटिफिकेशन के निर्देश देने के बाद सुनवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी.

उल्लेखनीय है कि गत 23 जून को इस मुद्दे पर हुई पिछली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और CBSE की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल मेहता के अनुरोध पर टाली दी थी. मेहता ने जस्टिस ए.एम. खानविलकर की पीठ को बताया था कि “ये चर्चा एक अंतिम स्तर पर है. जल्द ही निर्णय को अंतिम रूप दिया जाएगा.” उन्होंने कहा कि वो छात्रों की चिंता को समझते हैं. इसलिए अदालत फैसले के लिए एक दिन का ओर समय दें.

अभिभावकों की ओर से दायर की गई याचिका 
बता दें कि अभिभावकों ने आगामी एक जुलाई से बोर्ड (बारहवीं) की शेष परीक्षा आयोजित करने के CBSE के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है और अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि COVID-19 महामारी को देखते हुए छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक दिए जाएं. उन्होंने आशंका प्रकट की थी कि उनके बच्चों सहित अन्य छात्रों को देश भर के 15,000 केंद्रों पर आयोजित की जाने वाली परीक्षा में शामिल होने के लिए अपने घरों से बाहर आने पर महामारी का सामना करना पड़ेगा. अतः अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था.

वकील ऋषि मल्होत्रा द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि दिल्ली विश्वविद्यालय और आईआईटी सहित कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों ने किसी भी परीक्षा का आयोजन नहीं करने का फैसला किया है और CBSE को भी निर्देश दिया गया कि वह शेष विषयों के लिए परीक्षा का आयोजन न करे. उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ सहित कुछ राज्य बोर्डों ने छात्रों को घातक वायरस के संपर्क में आने से बचाने के लिए कोई भी परीक्षा आयोजित नहीं करने का फैसला किया है. याचिका में मांग की गई थी कि CBSE बोर्ड को 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा रद्द करनी चाहिए और आंतरिक मूल्यांकन या आंतरिक अंकों के आधार पर उत्तीर्ण होना चाहिए. आरोप था कि शेष परीक्षा आयोजित करने के लिए CBSE की अधिसूचना भेदभावपूर्ण और मनमानी है और वह भी जुलाई के महीने में जिसमें AIIMS के आंकड़ों के अनुसार, कहा गया है कि COVID-19 महामारी अपने चरम पर होगी.

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