रामायण : फिर याद आए, बहुत याद आए ‘अकंपन’ ऊर्फ मुरारी लाल

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रामायण

रावण के दरबार में पहले ही संवाद से रातों-रात अकंपन के नाम से प्रसिद्ध हो गए थे मुरारी लाल

 
*वरुण कुमार,
रांची :
देश में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बीच दूरदर्शन ने एक बार फिर अपने जमाने के सर्वाधिक लोकप्रिय सीरियलों- ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ सहित अनेक पुराने लोकप्रिय धारावाहिकों का प्रसारण शुरू कर दिया है.

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वरुण कुमार के साथ मुरारी लाल गुप्ता.  

इसके साथ ही एकबार फिर लोगों की जेहन में वे सभी पुराने कलाकार जीवंत हो गए हैं, जिन्होंने इन धारावाहिकों में अपनी छाप छोड़ी थी. ऐसे ही एक बहुत ही कम चर्चित, किन्तु महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मुरारी लाल गुप्ता भी हैं, जो अपने हर-दिल-अजीजी सख्सियत के कारण फिर से लोगों की स्मृति में घर कर रहे हैं.
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हर-दिल-अजीज सख्सियत मुरारी लाल की. 

रामायण के खास पात्र और रावण के सेनापति बने अंकपन की भूमिका में मुरारी लाल से बहुत अधिक डायलॉगबाजी भले ही न कराई गई, लेकिन रावण के दरबार में उपस्थित सेनापति अकंपन की ओर बार-बार कैमरा संभवतः यूं ही नहीं घूम जाता था. छोटे परदे पर बार-बार अकंपन के आने से आज भी रावण-दरबार की महत्ता बढ़ती जान पड़ती है. अकंपन का यह किरदार उस समय के मामूली से छोटे से शहर रांची के मुरारी लाल गुप्ता ने निभा कर न केवल रांचीवासियों को, बल्कि तत्कालीन अविभाजित बिहारवासियों को भी उद्वेलित कर दिया था. रावण के दरबार में अकेला अकंपन का ही चेहरा है, जिसमें धीर-वीर-गंभीर और मोहक छवि देखने को मिलती है. बहुत काम संवाद के बाद भी अकंपन के रूप में मुरारी लाल रावण के बाद सर्वाधिक प्रभावित करते हैं.
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रामानन्द सागर के प्रसिद्ध धारावाहिक रामायण के पात्र और रावण के सेनापति अकंपन बने रांची के मुरारीलाल, आज भी पूरी रांची में रावण के सेनापति के नाम से ही जाने जाते हैं. विजयादशमी पर रावण को जलता देख आज भी उनके चेहरे पर प्रतिशोध का भाव छलक जाता है. राम के प्रति भी श्रद्धा है, लेकिन अपने राजा के प्रति वफादारी की भावना अब भी भारी है.  

रावण को जलता नहीं देख पाते हैं सेनापति अकंपन
रावण को जलता देख मुरारी लाल गुप्ता की आंखें नम हो जाती हैं. दशहरा के दिन वह अपने घर से नहीं निकलते. न ही टीवी देखते हैं. आखिर देखें भी तो कैसे! महाबली लंकेश को जलते देखना आखिर उनके सेनापति अकंपन को कैसे पसंद आएगा?
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मुरारी लाल बताते हैं, ‘रावण को हमेशा से एक भयानक राक्षस के रूप में ही बताया गया, पर सच्चाई काफी अलग है. रावण जैसा ज्ञानी कोई नहीं था. उनका मानना है कि आज की युवा पीढ़ी को राम के आदर्शो को अपनाने के साथ-साथ रावण प्रेरणा लेकर ज्ञान अर्जित करने की कोशिश करनी चाहिए.’ रामायण का असली मतलब वे यही मानते हैं. सेनापति के नाम से प्रसिद्ध मुरारीलाल गुप्ता बैंक ऑफ इंडिया की नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं. खाली समय में मित्रों-परिजनों के साथ गप्पें मारने के साथ अकेले में अभी भी वे अपने संवादों को याद करते हैं.

बताते हैं, ‘रामायण शूटिंग पूरी होने के कई सालों बाद तक मैं राम मंदिर नहीं गया. अपने को रावण के परिवार का सदस्य ही समझता हूं. दशहरा के दिन तो शायद ही कभी मैं घर से बाहर निकला. अकंपन मेरे लिए सिर्फ एक किरदार नहीं, बल्कि मेरी जिंदगी का फलसफा बन गया.’

लंबा कद और प्रभावी व्यक्तित्व के साथ उनका मधुर स्वभाव बरबस सबका ध्यान अपनी ओर खींचे बिना नहीं रहता था. लोगों की मदद करने की प्रवृति उनकी सख्सियत को और ख़ास बना देता. लोग सलाह देते थे- ‘मॉडलिंग में भाग्य क्यों नहीं आजमाते?’

मुरारी लाल बताते हैं, ‘बचपन से ही मशहूर होने की चाह थी.’ बात 1986 की है. बार-बार कुरेदे जाने पर मुरारी लाल ने मुंबई जाने का मन बना लिया. उसी साल मुंबई जा पहुंचे. कुछ महीनों के संघर्ष के बाद मॉडलिंग के लिए चयन हुआ. लेकिन उसी समय दूरदर्शन पर चल रहे ‘हमलोग’ धारावाहिक की प्रसिद्धी देख उनका मन धारावाहिकों में काम करने की ओर रमने लगा.

जब रामानंद सागर ने स्वयं लिया स्क्रीन टेस्ट… 
तभी पता चला कि रामानन्द सागर और बी.आर. चोपड़ा भी दूरदर्शन के लिए कोई बड़ा धारावाहिक बना रहे हैं. मुश्किल से रामानंद सागर से उनकी मुलाकात हो पाई. लंबा कद और दमदार आवाज देख रामानंदजी ने स्क्रीन टेस्ट की स्वीकृति दे दी. स्वयं उन्होंने ही मुरारी का स्क्रीन टेस्ट लिया.

मुरारी बताते हैं, ‘रामानंद जी ने मुझे अकंपन का किरदार निभाने को कहा. मेरा पहला संवाद ही रावण के दरबार से शुरू हुआ और रातों-रात मैं अकंपन के नाम से प्रसिद्ध हो गया. उस समय स्टूडियो में जहां भी निकलता, लोग मुझे सेनापति के नाम से ही पुकारते थे.’ कई साल बीत गए पर आज भी उस दौर को मुरारी नहीं भूल पाए हैं. रामायण के जिस किरदार ने एक पहचान दी है, उससे उन्हें बेहद प्यार हो गया है.

रामायण का प्रसारण फिर से शुरू होते ही वे टीवी पर एकबार फिर अपने को अकंपन की भूमिका में देख वे भावविभोर हो जाते हैं. भयंकर कोरोना वायरस के जानलेवा संक्रमण के दौर में अब उन्हें भी अपनी बढ़ती उम्र के कारण घर में बंद रहने को कहा जाता है. यह उनके लिए इसलिए भी बहुत दुःखदाई हो गया है, क्योंकि रामायण धारावाहिक में अपनी भूमिका की यादें अपने मित्रों के साथ साझा नहीं कर पा रहे हैं. फिर भी उनका लोगों को यही सन्देश है कि “अपने और अपने परिवार के साथ देश और समाज के लिए लॉकडाउन का पालन करें और घर में ही रहें.”

 

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