सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों की टीम बनाने का भी दिया निर्देश, अगली सुनवाई 7 अप्रैल को
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर प्रवासी श्रमिकों के लिए बुनियादी आवश्यकताओं और चिकित्सा सुविधाओं की पहुंच सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबड़े और न्यायमूर्ति एल.एन. राव की पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि यह सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए कि नागरिकों के बीच COVID19 की जागरूकता व्यापक और तथ्यात्मक हो और एक पोर्टल के जरिए सवालों के जवाब दिए जाएं. इस संबंध में सरकार से 7 अप्रैल को स्थिति की जानकारी देने को भी कहा गया.
पीठ ने कहा कि जैसे-जैसे गर्मी का मौसम नजदीक आ रहा है, प्रवासी श्रमिकों के आश्रय घरों में पानी, भोजन और पर्याप्त दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए. यह देखते हुए कि “COVID19 वायरस के प्रसार से ज्यादा भय जीवन नष्ट कर देगा, ” मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि केंद्र को उन सभी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जो नकली समाचार फैलाते हैं.
केंद्र सरकार का स्टेट्स रिपोर्ट पेश
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 30 मार्च को अदालत के निर्देशों के मद्देनज़र एक विस्तृत स्टेट्स रिपोर्ट प्रस्तुत की. उन्होंने बताया कि केंद्र का दृष्टिकोण अति-सक्रिय रहा है और प्रकोप पर अंकुश लगाने के लिए पहले से सतर्क है.
केंद्र द्वारा दायर की गई स्टेट्स रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत ने अपनी सीमाओं तक पहुंचने से पहले ही वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए कई कदम उठाए थे. इसके अलावा, सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि अब कोई भी प्रवासी श्रमिक अपने गांवों की ओर नहीं भाग रहे हैं, क्योंकि सभी को आश्रय घरों में भेज दिया गया है.
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि संकट के इस समय में भारत के नागरिकों की सुरक्षा, जागरूकता और मजबूती सुनिश्चित करने की अत्यधिक आवश्यकता है. इस बिंदु पर, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सहमति व्यक्त की और कहा कि संकट के चलते अभूतपूर्व आदेश पारित किए जाएं. अब मंगलवार, 7 अप्रैल, 2020 के लिए सुनवाई तय की गई है.