गेटवे ऑफ इंडिया से उठी जस्टिस लोया मृत्यु मामले की जांच की मांग

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जस्टिस लोया

मुंबई : महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर आज यहां गेट वे ऑफ इंडिया और मुंबई के अनेक स्थानों पर पर युवाओं के एक समूह ने महात्मा गांधी का चित्र लगा कर स्व. जस्टिस लोया की मृत्यु की फिर से जांच कराने की गुहार लगा दी है. इसके साथ एकबार फिर इस विवादास्पद प्रकरण पर जमी धूल हटाने की कोशिश शुरू हो गई है.

सफेद टी-शर्ट पहने इन सभी युवाओं के टी-शर्ट पर ‘हू किल्ड जज लोया?’ (Who killed judge Loya?) बड़े अक्षरों में अंग्रेजी में लिख था. वे 2014 के इस प्रकरण की जांच सीबीआई अदालत के माध्यम से करवाने की मांग कर रहे थे. उन्होंने गेटवे ऑफ़ इंडिया पर महात्मा गांधी के चित्र के साथ ‘सत्यमेव जयते’ का बैनर बी लगा रखा था.
जस्टिस लोया
पहले हवा दी महाराष्ट्र के गृह मंत्री देशमुख ने
जस्टिस बृजमोहन हरकिशन लोया की मौत का मामला हाल ही में फिर से सुर्खियों में तब आया, जब महाराष्‍ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने यह कहते हुए मामले को जिंदा कर दिया कि यदि इसमें पुख्‍ता साक्ष्‍यों के साथ कोई शिकायत मिली तो सरकार इसकी जांच दोबारा करवाने पर विचार कर सकती है. उनका कहना था कि इस मामले की दोबारा जांच को लेकर कुछ लोगों ने उनसे मुलाकात की थी. हालांकि उन्‍होंने इन लोगों की पहचान बताने से मना कर दिया था.  

जज लोया की मृत्यु की जांच की मांग ठुकरा चुका है सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष 2019 में इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोया केस की SIT से जांच कराने की मांग ठुकराने विरुद्ध दायर पुनर्विचार याचिका भी ठुकरा दी थी. यह पुनर्विचार याचिका बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने दायर की थी. गौरतलब है 19 अप्रैल 2019 को इस मामले की दोबारा जांच करवाने से संबंधित एक जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने आधारहीन मानते हुए खारिज कर दिया था. कोर्ट का कहना था कि यह केवल न्‍यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश है.

इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की SIT जांच की मांग खारिज करते हुए कहा था कि अब जस्टिस लोया केस में कुछ नहीं है. कोर्ट ने कहा था कि केस को देख रहे जजों पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है. कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं की मंशा न्यायपालिका को खराब करना है. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि जज लोया के मामले में जांच के लिए दी गई अर्जी में कोई दम नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि जजों के बयान पर संदेह का कोई कारण नहीं है. उनके बयान पर संदेह करना संस्थान पर संदेह करने जैसा होगा. याचिका में जस्टिस लोया के मौत की जांच SIT से कराने की मांग की गई थी.  

नागपुर में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी जज लोया की मौत
दिसंबर 2014 में जस्टिस लोया की मौत नागपुर में हुई थी. उस वक्‍त वह अपने एक सहकर्मी की शादी में गए हुए थे. इसी दौरान वह बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले की सुनवाई भी कर रहे थे. उनकी मौत पर सबसे पहले ‘द कारवां’ पत्रिका ने सवाल उठाते हुए इसको संदिग्‍ध बताया था, जिसके बाद इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी शुरू हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने भी इस मामले को उठाया था. हालांकि तब जस्टिस लोया के बेटे अनुज ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर मामले का पटाक्षेप करने की कोशिश की थी. उनका कहना था कि उनके पिता की मौत पूरी तरह से प्राकृतिक थी.

गुजरात के सोहराबुद्दीन शेख-पत्‍नी कौसर बी मुठभेड़ मामले की कर रहे थे सुनवाई
जस्टिस लोया की मौत पर सवाल उठने की सबसे बड़ी वजह सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्‍नी कौसर बी मुठभेड़ मामले तत्‍कालीन राज्‍य सरकार की भूमिका पर उठे सवाल थे. यह मुठभेड़ 26 नवंबर 2005 को गुजरात में हुई थी. इस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए सोहराबुद्दीन के भाई ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उसने ही इस मामले की सुनवाई गुजरात के बाहर करवाने की बात कही थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़ी सभी फाइलों को महाराष्‍ट्र ट्रांसफर करने के आदेश दिए थे. इस मामले की सुनवाई पहले जस्टिस उत्‍पत कर रहे थे. उन्‍होंने मामले में अमित शाह के कोर्ट में मौजूद न रहने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी, जिसके बाद उन्‍हें ट्रांसफर कर दिया गया था. इसके बाद ही यह मामला जस्टिस लोया के समक्ष आया था.सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के ठीक एक माह बाद 26 दिसंबर 2005 को इस मामले के प्रमुख गवाह तुलसीराम की भी मौत हो गई थी.  

फैसला भी देने ही वाले थे…
अपनी मौत से उन्‍होंने सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में 15 दिसंबर 2014 को फैसला सुनाने की भी बात कोर्ट में कही थी. जस्टिस लोया 30 नवंबर 2014 को अपने एक सहकर्मी की शादी में नागपुर गए थे. वह यहां पर राज्‍य सरकार के गेस्‍ट हाउस में रुके थे. 1 दिसंबर को तड़के करीब 4 बजे उन्‍होंने सीने में दर्द होने की शिकायत की थी, जिसके बाद उन्‍हें अस्‍पताल ले जाया गया था। सुबह करीब 6:15 बजे उनका निधन हो गया. उनके पार्थिव शरीर को लातूर ले जाया गया गया. शुरुआत में लोया के परिजनों ने उनके कपड़ों पर खून के धब्‍बे होने की बात कही थी. वहीं उनका पोस्‍ट मार्टम करने वाले एक्‍सपर्ट इस बात से सहमत नहीं थे कि ये पोस्‍ट मार्टम के दौरान लगे थे.

उनके निधन के बाद इस मामले की सुनवाई जस्टिस एस.जे. शर्मा ने की थी. 21 दिसंबर 2018 इस मामले में सभी 22 आरोपियों  को बरी करते हुए कहा था कि सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ की जांच सोची समझी रणनीति के तहत नेताओं को फंसाने के लिए की गई थी.

वीडियो करेंगे वायरल
बहरहाल यहां गेटवे ऑफ इंडिया पर आज किए गए इस सांकेतिक प्रोटेस्ट की वीडियो फिल्म भी तैयार की गई. युवाओं ने प्रोटेस्ट की समाप्ति पर बताया कि यूट्यूब तथा अन्य सोशल मीडिया पर इस वीडियो को वायरल किया जाएगा. ताकि इस प्रकरण की तथाकथित गंभीरता की जानकारी देश के आम लोगों को भी हो सके.

   

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