अच्छे दिन के संकेत : 4 करोड़ नौकरियां आएंगी अगले 5 वर्षों में

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आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 पेश किया वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने

नई दिल्ली : तमाम आशंकाओं-कुशंकाओं के बीच आज सरकार ने देश में रोजगार सृजन को लेकर अच्छे दिन आने के संकेत दिए हैं. सरकार का अनुमान है कि अगले 5 साल में 4 करोड़ अच्छे वेतन वाली नौकरियां पैदा होंगी और इनकी संख्या 2030 तक बढ़कर 8 करोड़ तक हो जाएंगी.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 (Economic Survey 2019-20) में बताया गया है कि 2025 तक देश में अच्छे वेतन वाली चार करोड़ नौकरियां पैदा होंगी और 2030 तक इनकी संख्या आठ करोड़ हो जाएंगी.

इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव के संकेत
इसके साथ ही आर्थिक सर्वेक्षण में बजट में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव के संकेत मिले हैं. एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम आदमी को इनकम टैक्स में राहत दे सकती हैं. साथ ही इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर सेक्‍टर में निवेश बढ़ाने वाली घोषणाएं कर सकती है. मौजूदा टैक्स स्लैब में 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता, जबकि 2.50 लाख से 5 लाख रुपये तक पर 5 फीसदी टैक्स देना होता है. इसके बाद 5 से 10 लाख तक पर 20 फीसदी टैक्स लगता है और उससे ऊपर की आमदनी पर यह 30 फीसदी है.

FY21 का GDP ग्रोथ अनुमान 6-6.5%
आर्थिक सर्वेक्षण में देश की जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 6-6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. वहीं वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ 5 फीसदी रह सकती है. यह 11 साल में सबसे कम होगी. इससे पिछले वित्त वर्ष के दौरान 6.8 फीसदी था.   

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत के पास श्रम आधारित निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चीन के समान अभूतपूर्व अवसर है. भारत में ‘असेम्बल इन इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ के कार्यक्रमों से दुनिया के निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी 2025 तक 3.5 फीसदी हो जाएगी, जो आगे चलकर 2030 तक छह तक हो जाएगी.

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2025 तक भारत को 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए जरूरी मूल्य संवर्धन में नेटवर्क उत्पादों के निर्यात में एक तिहाई की वृद्धि होगी.  

इस सर्वेक्षण में भारत को चीन जैसी रणनीति अपनाने की सलाह दी गई है, जिसके तहत श्रम आधारित क्षेत्रों में खासतौर से नेटवर्क उत्पादों के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विशेषज्ञता हासिल करने की आवश्यकता है. साथ ही, नेटवर्क उत्पादों के बड़े स्तर पर असेम्बलिंग की गतिविधियों पर खास ध्यान देने की जरूरत बताई गई है. इसके अलावा, धनी देशों के बाजार में निर्यात बढ़ाने और निर्यात नीति अनुकूल बनाने का भी सुझाव दिया गया है. आर्थिक समीक्षा में भारत की ओर से किए गए व्यापार समझौतों का कुल व्यापार संतुलन पर पड़ने वाले प्रभाव का भी विश्लेषण किया गया है.

महंगाई में वृद्धि का रुख
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत में वर्ष 2014 से ही महंगाई निरंतर घटती जा रही है. हालांकि, हाल के महीनों में महंगाई में वृद्धि का रुख देखा गया है. उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुख्‍य महंगाई दर वर्ष 2018-19 (अप्रैल- दिसम्‍बर 2018) के 3.7 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2019-20 की समान अवधि में 4.1 प्रतिशत हो गई है. थोक मूल्‍य सूचकांक (डब्‍ल्‍यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर में वर्ष 2015-16 और वर्ष 2018-19 के बीच की अवधि के दौरान वृद्धि दर्ज की गई है. हालांकि, डब्‍ल्‍यूपीआई पर आधारित महंगाई दर वर्ष 2018-19 की अप्रैल-दिसम्‍बर 2018 अवधि के 4.7 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2019-20 की समान अवधि में 1.5 प्रतिशत रह गई.  

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