सीतारमण का पहला पूर्ण बजट क्या भारत को मंदी से बचा लेगा?

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सीतारामन

‘मोदी सरकार 2.0’ का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी वित्त मंत्री शनिवार को

*राय तपन भारती/आर्थिक पत्रकार,
नई दिल्ली :
आज और कल देश में सबकी नजरें निर्मला सीतारामन पर होंगी, जिन्हें दूसरी बार देश का आम बजट बनाने का मौका मिला है. यह ‘मोदी सरकार 2.0’ (के दूसरे कार्यकाल) का पहला पूर्ण आम बजट होगा. कल शनिवार, 1 फरवरी को सुबह 11 बजे भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में अपना दूसरा बजट पेश करेंगी. ये ऐसा समय होगा, जब पूरे देश की नज़रें उन पर रहेंगी.

वित्त मंत्री सीतारामन और मुझमें कुछ समानताएं हैं बावजूद इसके मैं उनको अब तक अच्छा वित्त मंत्री नहीं मानता. पर यह सच है कि मंदी की ओर बढ़ रहे देश को तरक्की की तेज रफ्तार पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री को अब भी सीतारमण पर भरोसा है.

निर्मला सीतारमण उम्र में मुझसे कुछ ही महीने बड़ी होंगी. पर हम दोनों मध्य वर्ग परिवार से हैं. हम दोनों ने आर्ट्स से ग्रेजुएशन किया पर दोनों वित्त मामलों का अच्छा जानकार होने का दावा करते हैं.

मैंने भी टीवी चैनलों के लिए काम किया और सीतारमण ने भी कुछ समय के लिए बीबीसी विश्व सेवा के लिए कार्य किया. निर्मला सीतारामन हैदराबाद स्थित प्रणव स्कूल के संस्थापकों में से एक हैं. पर मैंने आज तक कोई बिजनेस या संस्थान खड़ा नहीं किया.

बेरोजगारी का दौर…
बहरहाल, पिछले दोनों बजटों में देश में बेरोजगारी ख़त्म करने के लिए न तो पीयूष गोयल ने ही और निर्मला सीतारमण ने ही कोई नई रणनीति रखी. गोयल ने आम चुनाव से पहले वाला बजट पेश किया था तो सीतारमण ने चुनाव के बाद जुलाई में अपना बजट रखा था.

भारत में बेरोजगारी की दर अभी 7.5 फीसदी है. ये तस्वीर हमारे सामने खड़ी असली समस्या को जाहिर करती है कि नौजवान ग्रैजुएट्स के पास पर्याप्त नौकरियां नहीं हैं. नौकरी की तलाश कर रहे 25 से 30 साल की उम्र के हर चार ग्रैजुएट में से एक को काम नहीं मिल रहा है.

विकास दर बढ़ाने की चुनौती
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति भारत की मौजूदा विकास दर अभी मात्र 4.5 फ़ीसदी है, जो छह साल में सबसे निचले स्तर पर है. साल 2019 के आखिरी महीने में वित्त मंत्री ने संसद में बताया था कि भारत की अर्थव्यवस्था भले ही सुस्त है. लेकिन मंदी का ख़तरा नहीं है. साल 2019 ख़त्म हो गया और 2020 आ गया है, ऐसे में वो कौन सी चुनौतियां हैं जो नए साल में सरकार के सामने होंगी?

चतुर्दिक अस्थिरता बढ़ने की आशंका
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अर्थव्यवस्था का जैसा हाल है, उससे सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ेगी. पर हमे तो कल पेश होने वाले आम बजट का बेसब्री से इंतजार है, जिसकी समीक्षा मुझे कुछ टीवी चैनलों पर भी निष्पक्ष ढंग से करनी है.

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