
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के भवन का किया भूमि पूजन
नागपुर : भारत के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने देश के सामाजिक आर्थिक प्रगति के लिए सभी स्तरों पर न्यायिक शिक्षा की अनिवार्यता पर बल दिया है. उन्होंने न्यायिक शिक्षा को स्कूली और गैर लॉ कॉलेज स्तर पर शुरुआत करने की वकालत की. जस्टिस गोगोई रविवार को बुटीबोरी के निकट वारंगा में स्थापित किए जा रहे नागपुर के महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू) के नए भवन के भूमि पूजन करने के बाद यह बातें कहीं. वे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे.
उन्होंने गुणवत्ता पूर्ण विधि शिक्षण की आवश्यकता को वक्त की जरूरत बताते हुए की विधि शिक्षा उच्चतम परम्पराओं के अनुरूप दी जानी चाहिए न कि सामान्य काम चलाऊ ढंग की. उन्होंने एनएलयू के विविद्यार्थियों से कहा कि आप अपना ज्ञान समाज के उत्थान और कमजोर एवं वंचित वर्गों को न्याय दिलाने के लिए करें. जस्टिस गोगोई ने एनएलयू में विधि शिक्षण को विश्व स्तरीय बनाने के प्रयासों के सराहना की. महाराष्ट्र नेशनल लॉ युनिवर्सिटी, नागपुर का यह निर्माणाधीन कैम्पस बुटीबोरी (एमआईडीसी)औद्यौगिक क्षेत्र के निकट वारंगा में है.
विश्वस्तरीय विधि शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान
उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश एवं एनएलयू के कुलाधिपति(चांसलर) जस्टिस शरद बोबड़े ने बताया कि एनएलयू की स्थापना इसे विश्वस्तरीय विधि शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान बनाने के उद्देश्य से की जा रही है. उन्होंने कहा कि हमारी न्याय व्यवस्था ऐसे लॉ ग्रेजुएट्स तैयार करने के संस्थान बनाने की योजना तैयार कर रही है, जिनसे सीधे न्यायाधीश पैदा हों. ऐसे लॉ ग्रेजुएट्स निकालें, जिनकी नियुक्ति सीधे जज के रूप में हो सके. फिलहाल हमारी नेशनल लॉ अकादमी जजों के पद के लिए चयनित लोगों को प्रशिक्षित कर रही है.
जुडीशियल ट्रेनिंग अकादमी तैयार करेगा जज
जस्टिस बोबड़े ने इस मौके पर घोषणा की कि एनएलयू में एक ऐसे जुडीशियल ट्रेनिंग अकादमी स्थापित करने की योजना बना रहे हैं, जहां नेशनल डिफेन्स अकादमी (एनडीए) की तरह जज तैयार हो सकें. इसमें दाखिल होने वाले छात्र-छात्राएं पांच से छह वर्षों में न्यायदाता के रूप में पूर्ण प्रशिक्षित हो कर निकालेंगे. उन्हें ऐसे पाठ्यक्रमों से गुजरना होगा, जिससे कि वे कोर्ट के कार्यकलापों से पूरी तरह परिचित हो सकें. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास होगा कि हम सरकारों को प्रत्येक वर्ष 50 जज उपलब्ध करा सकें.
सरकारी अफसरों के लिए ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट
एनएलयू के चांसलर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों का न्यायिक मामलों में प्रशिक्षण की भी व्यवस्था के लिए एक ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट की स्थापना भी यहां की जाएगी, जिसमें राज्य सरकार के टैक्स, राजस्व और आपराधिक मामलों को निपटाने में उन्हें पूर्ण विधिक ज्ञान मिल सके. प्रशिक्षित अफसरों को विधिक प्रक्रिया का समुचित ज्ञान होने से अनेक वर्षों तक वैधानिक अड़चनों से लंबित मामले समय रहते निपटाने में सुविधा होगी. ऐसे पाठ्यक्रम को सफलता पूर्वक पूरा करने वाले अफसरों को सरकार प्रमोशन भी देगी.
केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने एनएलयू की स्थापना में राज्य और केंद्र सरकार की ओर से मिल रहे पूर्ण सहयोग की चर्चा करते हुए स्मरण किया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शिरपुरकर की पहल और उनका प्रयास आज मूर्त रूप ले रहा है.
आरंभ में एनएलयू के उपकुलपति प्रो. डॉ. विजेंद्र कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम में उच्चतम व्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस भूषण गवई, पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शिरपुरकर, राज्य के ऊर्जा मंत्री एवं नागपुर जिले के पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश एवं एनएलयू के प्रो-वाइस चांसलर जस्टिस प्रदीप नंदजोग, जस्टिस एस.सी. धर्माधिकारी सहित अनेक जज, वरिष्ठ वकील, नालसा और सालसा के पदाधिकारी, सदस्यगण, एनएलयू के विद्यार्थीगण और अतिथिगण उपस्थित थे.