डॉ. पलशेट्टीवार

डॉ. पलशेट्टीवार ने प्रशस्त किया वायुमंडल से कार्बन हटाने का मार्ग  

नागपुर
Share this article

नागपुर : वायु प्रदूषण के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार बहुतायत में होने वाला कार्बन उत्सर्जन जिम्मेवार है. लेकिन इसी वातावरण में घुले कार्बन को उपयोगी तत्व में बदल कर इस समस्या का समाधान करने का उपाय ढूंढ़ लिया गया है. इस पर महत्वपूर्ण शोध करने वाले डॉ. विवेक पलशेट्टीवार को इस वर्ष रसायन शास्त्र में राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार के अंतर्गत ‘शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार’ से नवाजा जाएगा. उन्हें आगामी 23 अगस्त को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भारत का नोबेल अवार्ड समझे जाने वाले इस पुरस्कार से सम्मानित करेंगी. 

डॉ. पलशेट्टीवार टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR), मुंबई में प्रोफेसर एवं वैज्ञानिक के रूप में पिछले 11 वर्षों से कार्यरत हैं. यवतमाल जिले के मंगली, मुकुटबन के मूल निवासी डॉ. पलशेट्टीवार ने अपनी प्राथमिक और उच्च शिक्षा अमरावती विश्वविद्यालय, अमरावती से पूरी की है. बाद में उन्होंने अमेरिका में भी उच्च शिक्षा प्राप्त की. उनका पूरा परिवार नागपुर में ही स्थाई रूप से रहता है. 

जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग पर उनके 150 से अधिक शोध पत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विज्ञान पत्र-पत्रिकाओं प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने अपने नाम 12 पेटेंट भी रजिस्टर्ड करा चुके हैं. फिलहाल उनकी टीम ने कार्बन उत्सर्जन की समस्या से निपटने के उपायों पर शोध कर रही है और ‘वायुमंडल से कार्बन को पकड़ने’ के उपाय ढूंढ निकाला है. 

डॉ. पलशेट्टीवार ने मानते हैं कि ऐसे ‘कार्बन कैप्चर अप्लीकेशन’ भविष्य में क्रांतिकारी साबित होंगे. वायुमंडल में प्रतिदिन घुल रहे लाखों टन कार्बन दुनिया के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गए हैं. इसे वायुमंडल से अलग कर उपयोगी बनाने से वायु प्रदूषण के विकराल होती जा रही समस्या पर नियंत्रण  सकता है. 

देश के सर्वोच्च विज्ञान पुरस्कार के लिए उन्हें चुने जाने को उन्होंने विज्ञान के उत्प्रेरक क्षेत्र में उत्कृष्टता और नवाचार के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR), मुंबई के अनुसंधान  निरंतर प्रयासों का परिणाम है. उन्होंने इस सम्मान के लिए अपने माता-पिता, गुरुजनों और अपने सहयोगियों का आभार माना है.  

Leave a Reply