*जीवंत के. शरण
‘दंगल’ फिल्म से धाकड़ लड़की के किरदार से हिंदी सिनेमा में अपनी धाक जमाने वाली जायरा वसीम ने अचानक सोशल मीडिया के माध्यम से बाॅलीवुड छोड़ने का एलान कर दिया. जायरा के पोस्ट को पढ़ने के बाद इंडस्ट्री में कोहराम मच गया है. सारे दिग्गज कलाकार स्तब्ध हैं. क्योंकि उसने ‘अभिनय की वजह से अल्लाह से दूरी’ को कारण बताया है. जायरा तो सामने नहीं आई है, लेकिन ‘इंस्टाग्राम’ के माध्यम वह अपने फैसले पर कायम है.
– पांच साल पहले ही तो उसने कश्मीर की वादियों से निकल कर अभिनय की दुनिया में कदम रखा था. उसकी मासूमियत और अदाकारी के सभी कायल हुए. महज तेरह साल की उम्र में उसे जो शोहरत और सम्मान मिला, वह चौंकाने वाला था. ‘दंगल’ के बाद दूसरी फिल्म ‘सीक्रेट सुपर स्टार’ ने भी बाॅक्स ऑफिस पर धमाल मचाया. जायरा को अभिनय के लिए पुरस्कार तो मिला ही, 2017 में महबूबा मुफ्ती ने उसे ‘रोल मॉडल’ भी बताया था.
– सचमुच सिने जगत में सन्नाटा सा छा गया है. उससे प्रेरणा लेने वाली घाटी की बेटियों और तेजी से बन रहे फैन यह पचा ही नहीं पा रहे हैं कि जायरा ने धर्म के नाम पर अभिनय छोड़ने का निर्णय ‘स्वेच्छा’ से लिया होगा.
– अब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी ही. सो मजहब के कुछ ठेकेदार जायरा का सही निर्णय बता रहे हैं, तो कुछ इस्लाम के जानकार उसके निजी फैसले को स्वीकार करने की सलाह दे रहे हैं.
– लेकिन क्या यह सब इतना आसान लग रहा है? जायरा अभी तो अठारह साल की ही हुई है. तो क्या मान लिया जाए कि उसे कठमुल्लाओं ने भटकाया है, क्योंकि धर्म के ठेकेदारों ने कभी उसके ‘छोटे बाल’ पर भी कोहराम मचाया था. तर्क देते हैं कि ‘इस्लाम’ में फिल्मों को पसंद नहीं किया जाता है. लेकिन यह दलील कहीं से भी स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि हिंदी सिनेमा के सौ साल के आईने में जब तस्वीरों को निहारेंगे, तो उसमें साफ दिखेगा कि इस इंडस्ट्री का नाम रौशन करने में मुसलमान कलाकारों की संख्या कुछ ज्यादा ही रही है. यही नहीं रुपहले परदे के इन चमकते सितारों के बीच कभी भी मजहब का चश्मा नहीं दिखा.
– मधुबाला, मीना कुमारी (महजबीन बानो), जीनत अमान, तब्बू (तबस्सुम फातिमा हासिम), नर्गिस (फातिमा रसीद), मुमताज, शबाना आजमी के अलावा कुछ और भी नाम है, जिन्होंने हिंदी सिनेमा को नई ऊंचाई दी. मुस्लिम हीरो, लेखक, निर्देशक और टेक्निशियनों की लंबी फेहरिस्त है. इन लोगों ने भी कभी फिल्म को इस्लाम के लिए हानिकारक नहीं माना.
– जायरा वसीम ने मजबूरी में ही सही कठमुल्लाओं को तो मौका दे ही दिया है. अठारह साल की उम्र के बावजूद उसकी शख्सियत को देखते हुए उसे बच्ची ही कहा जाएगा. उसी का फायदा उठाकर कठमुल्लाओं ने जायरा को धर्म का डर दिखा कर सिनेमा से दूरी बनाने के लिए बाध्य कर दिया होगा.
– लेकिन एक सवाल तो यह भी उठता है कि मजहब के नाम पर कट्टर सोच को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है.
– जायरा की बड़े बजट की फिल्म ‘द स्काई इज पिंक’ रिलीज के लिए तैयार है. काश! उसका निर्णय झूठा साबित हो, लेकिन नहीं उसका तो यह भी पोस्ट आ गया है कि ‘मेरा अकाउंट हैक नहीं हुआ है. उसे मैं स्वंय हैंडल करती हूं.