नागपुर : अरब देशों में भारत बासमती चावल का बड़ा निर्यातक है. ईरान में करीब 24 लाख 40 हजार टन की खपत होती है, जिसे वह भारत और पाकिस्तान से आयात करता है. भारत अपने कुल बासमती के उत्पादन का 25 प्रतिशत चावल ईरान को निर्यात करता है.
दी होलसेल ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन के सचिव प्रताप मोटवानी ने बताया कि गत वर्ष करीब 40 लाख टन बासमती चावल का निर्यात और गैर बासमती चावल का 88.18 लाख टन का निर्यात हुआ था. बासमती चावल का निर्यात ईरान, सऊदी अरब, कुवैत, यूनाइटेड अरब इमिरातस और यू के, यू एस में होता है.
मोटवानी ने बताया कि ईरान भारत को क्रूड ऑयल निर्यात करता था और उसके बदले वह भारत से बासमती-1121 चावल का आयात करता था. वर्तमान में ईरान से क्रूड ऑयल का भारत में निर्यात राजनीतिक कारणों से बंद है. मोटवानी ने बताया बुधवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने घोषणा की है कि ईरान से क्रूड ऑयल का आयात लोकसभा चुनावों के बाद तय किया जाएगा. फिलहाल ईरान का पुराना बकाया पैसा भारत में जमा होने से भारी मात्रा में बासमती-1121 चावल का आयात करने से 84-85 बिकने वाला यह बासमती चावल 97-98 तक हो गया है. कुछ समय मे करीब 12 से14 रुपए भाव बढ़ गए है.
बासमती चावल की अन्य किस्म, जो निर्यात होती है, उसमें बासमती-1401 में 7-8 रुपए किलो का इजाफा हुआ है. 68-70 बिकने वाला यह बासमती चावल 75 से 78 बिक रहा है. बासमती चावलों में 10 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. मोटवानी ने बताया कि बासमती चावल में बढ़ोतरी से चावल की अन्य किस्में- चिन्नौर चावल, जयश्री राम चावल में भी मई में 8-9 रुपए किलो की बढ़ोतरी हुई है. होलसेल मार्किट में नया चिन्नौर 5000-5500, जयश्री राम चावल 4400-4900 रुपए तक बिक रहा है. बासमती चावल नीचे में साधारण क्वालिटी 5,500 से 7,000 और बेस्ट माल 8,000 से 12,500 रुपए प्रति क्विंटल तक उपलब्ध है.
मोटवानी के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में बासमती चावल का निर्यात 9 फीसदी बढ़कर रिकार्ड 44.15 लाख टन का हुआ है जबकि गैर-बासमती चावल के निर्यात में इस दौरान 14.56 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 75.34 लाख टन का ही हुआ है. पिछले वित्त वर्ष में देश से रिकार्ड 88.18 लाख टन गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ था. ईरान की आयात मांग बढ़ने से बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है.
गैर-बासमती चावल के निर्यात में कमी का प्रमुख कारण बंगलादेश की आयात मांग कम रहना है. पिछले साल बंगलादेश के पास चावल का स्टॉक कम था, जिस कारण देश से रिकार्ड गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ था.
मोटवानी ने बताया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में सूखे की गंभीर स्थिति बरकरार होने से चावल और खरीफ की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. महाराष्ट्र के जलाशयों में केवल 18.5 प्रतिशत पानी का बचा है. मराठवाड़ा और विदर्भ संभाग में 5 प्रतिशत पानी ही है. पानी की कमी से राज्य में चावल उत्पादन प्रभावित हुआ है और आगे खरीफ फसलों की बिजाई पर असर पड़ सकता है. कृषि मंत्रालय के अनुसार महाराष्ट्र के 36 में से 26 जिले और कर्नाटक में 30 में से 24 जिले फिलहाल सूखे का सामना कर रहे हैं.
बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी और पानी की गंभीर समस्या और सूखे से इस साल चावलों में भाव तेज रहेंगे. इतवारी मैं सुप्रसिद्ध बासमती चावल विक्रेता दादूमल मोटूमल के वीरभान तुलसवानी के अनुसार नागपुर वर्तमान में चावलों में घर खाने वालों की अच्छी मांग है. बासमती चावल खाने वालों की संख्या बढ़ी है.