राजभाषा के उत्थान में विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान का सराहनीय योगदान
*सत्येंद्र प्रसाद सिंह-
राजभाषा हिंदी : गंगा गंगोत्री से निकल कर कलकल निनाद करती लाखों करोड़ों लोगों के जीवन को सिंचित और संवर्धित करती है. समान स्थिति भाषा के क्षेत्र में हिंदी की भी है. हिंदी भाषा अपनी मिठास, लालित्य और मानवीय संवेदनाओं और भावनाओं की सफल संवाहिका होने के साथ-साथ करोड़ों लोगों के प्रेषण एवं संप्रेषण का सरल और सहज माध्यम भी है.
हिंदी अनुरागी न केवल देश में, बल्कि विदेश में भी हिंदी को पल्लवित – पुष्पित करने में अपना भरसक योगदान कर रहे हैं. इस प्रयास में सरकारी कार्यालय, सार्वजनिक उपक्रम और विभिन्न निगम एवं शिक्षण संस्थान भी अपनी महती भूमिका निभा रहे हैं.
सुखद आश्चर्य है कि देश के हृदय-स्थल, संतरा नगरी – नागपुर का प्रतिष्ठित तकनीकी शिक्षण संस्था – विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी Vishvesaraya National Institute of Technology (VNIT) भी राजभाषा हिंदी के उत्थान और विकास में पीछे नहीं है. इस तकनीकी संस्थान में भी राजभाषा हिंदी के विकास और विस्तार में यहां के अधिकारी, प्राध्यापक और विद्यार्थी पूरे उत्साह के साथ जुटे हुए हैं.
राहभाषा हिंदी को लेकर त्रैमासिक, अर्धवार्षिक कार्यक्रमों और राजभाषा सप्ताह या पखवाड़ा के नियमित आयोजनों के इतर भी इस VNIT का एक बड़ा योगदान है. “राजभाषा प्रेरणा” नामक पत्रिका के 19वें वार्षिकांक का हाल ही में प्रकाशन इसका परिचायक है. इस वार्षिकांक में इंस्टीट्यूट की रुटीन गतिविधियों के साथ, पूर्वनिर्धारित विषयों : राजभाषा दर्पण, संस्थान दर्पण, साहित्य दर्पण, वसुधैव कुटुम्बकम, जनसंख्या नियोजन, अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की उपलब्धियां और अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष पर संस्थान में कार्यरत कर्मियों ने अपनी सधी हुई लेखनी चलाई है.
निदेशक डॉ. पी.एम. पडोले की रहनुमाई और राजभाषा कार्यान्वयन समिति के कार्याध्यक्ष एवं डीन (संकाय कल्याण) डॉ आर आर येरपुडे के मार्गदर्शन में डॉ. भारती एम. पोलके की मेहनत इस पत्रिका में स्पष्ट दिखाई देती है. डॉ सारिका बहादुरे, डॉ. अर्घ्य मित्रा और अक्षय कालेश्वरवार की कल्पनाशीलता आवरण-पृष्ठ में दिखती ही है.
श्रीमती विजया देशमुख और डॉ. भारती पोलके द्वारा हिन्दुस्तानी शास्त्रीय परम्परा के शीर्ष क्रम की कलाकार पद्मभूषण डॉ. प्रभा ताई अत्रे का साक्षात्कार प्रस्तुत अंक का विशेष आकर्षण है. खयाल, ठुमरी, दादरा, ग़जल, गीत-नाटक, संगीत, भक्ति-गीत की गायिका और अभिनेत्री के रूप में भी डॉ. अत्रे सुख्यात हैं.
सारांश यह कि VNIT जैसे तकनीकी शिक्षण संस्थान भी राजभाषा हिंदी को बढ़ावा देने में अपना योगदान करते हुए अहम भूमिका निभा रहे हैं.
VNIT में “कंठस्थ 2.0 सॉफ्टवेयर” पर हिंदी कार्यशाला का आयोजन
विश्वेश्वरय्या राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (VNIT) में पिछले दिनों “कंठस्थ 2.0 सॉफ्टवेयर” पर हिंदी कार्यशाला भी आयोजित की गई. प्रमुख वक्ता डॉ. मनोज कुमार, उप प्रबंधक (राजभाषा) वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड एवं सदस्य सचिव, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास, कार्यालय-2) ने “कंठस्थ 2.0 सॉफ्टवेयर” पर अपने प्रेजेंटेशन के माध्यम से VNIT कर्मियों का मार्गदर्शन किया.
इसके पूर्व संकायाध्यक्ष (डीन,संकाय कल्याण) एवं कार्यकारी अध्यक्ष, हिंदी कार्यान्वयन समिति डॉ. आर.आर. येरपुडे ने पुष्प, स्मृति चिन्ह और संस्थान की हिंदी पत्रिका “राजभाषा प्रेरणा” की प्रति भेंट कर डॉ मनोज कुमार का स्वागत किया.प्रस्ताविक एवं स्वागत संबोधन ओएसडी (हिंदी) श्री एस .पी. सिंह ने किया. प्रारंभ में सरस्वती वंदना, कार्यक्रम का संचालन तथा आभार प्रदर्शन डॉ (श्रीमती) भारती पोलके ने किया.
कार्यशाला में संस्थान के विभागाध्यक्ष, असोसिएट डीन, हिंदी कार्यान्वयन समिति के सदस्य तथा छात्र बड़ी संझ्या में उपस्थित थे. उल्लेखनीय है कि तकनीकी संस्थान होने के बावजूद VNIT में राजभाषा हिंदी को बढ़ावा देने का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय और प्रेरक है.
–सत्येंद्र प्रसाद सिंह