पटना के समीप फतुहा के गोविंदपुर गांव के ग्रामीणों को दिया गया नोटिस
पटना : देश में वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों का कहर बिहार के पटना के करीब फतुहा के गोविंदपुर गांव पर टूटा है. यह मामला हैरान करने वाला है. सुन्नी वक्फ बोर्ड इस गांव में रहने वाले लोगों को लगातार उनकी सौ वर्ष से भी अधिक पुश्तैनी और खतियानी जमीन खाली करने के लिए नोटिस देता जा रहा है. गोविंदपुर के निवासियों का कहना है कि वे गांव में अनेक वर्षों से रह रहे हैं. इनमें लगभग 95 फीसदी हिंदू परिवार हैं, इनकी जमीन पर अब वक्फ बोर्ड ने दावा ठोक दिया है.
यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की शक्तियों पर रोक लगाने और संपत्तियों से जुड़ी गड़बड़ियों को दूर करने की कोशिश कर रही है.
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पटना हाईकोर्ट से मिली राहत
गांव में वक्फ बोर्ड ने एक बोर्ड भी लगा दिया है, जो अभी भी लगा हुआ है. गोविंदपुर के पीड़ित निवासी सरकारी अधिकारियों के चक्कर लगाते रहे, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद ग्रामीणों ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड अपने दावे के समर्थन में एक भी सबूत कोर्ट में नहीं पेश कर पाया. पीड़ितों को तत्काल पटना हाईकोर्ट से राहत दे दी गई है, लेकिन लोगों का यह कहना है कि वक्फ बोर्ड के पास असीमित शक्तियां हैं, आगे कुछ भी हो सकता है.
लोगों ने बताया- हमारी जमीन पुश्तैनी और खतियानी है
गोविंदपुर के जिन लोगों को वक्फ बोर्ड का नोटिस आया है, उनमें रामलाल, राज किशोर, संदीप कुमार हैं. इन लोगों का कहना है कि हम लोगों की ये सारी जमीन पुश्तैनी खतियानी जमीन है. इस जमीन का 1908 में सर्वे भी हुआ है. उसके पहले से यह जमीन हमारे परिवार के पास है. मीडिया को लोगों को अपने दस्तावेज दिखाकर बताया कि अनेक वर्षों से हम लोग यहां रह रहे हैं, लेकिन बोर्ड से लगातार नोटिस आ रहा है कि 30 दिनों में जमीन खाली करो.
उन्होंने बताया कि वक्फ बोर्ड को लोगों से जब हम ने पूछा कि हमारी जमीन आपकी कैसे है, सबूत दिखाइए तो उर्दू में लिखा एक कागज का एक टुकड़ा पकड़ा दिया, जिसमें कुछ भी स्पष्ट नहीं है. हमने जब कहा कि हिंदी में अनुवाद करके बताइए तो कहा- नहीं दे सकते. इसके बाद हम पटना हाईकोर्ट गए.
नोटिस के बाद डरे हुए हैं गांव के लोग
जितेंद्र कुमार वार्ड पार्षद और यहां के स्थानीय निवासी शिव शंकर ने पत्रकारों को बताया कि आगे बोर्ड इस इलाके में और भी लोगों को नोटिस दे सकता है. बाकी गांव वालों की संपत्ति पर भी वक्फ अपना दावा कर सकता है, यही सोचकर लोग डरे हुए हैं. गांव के कुछ लोगों को हाईकोर्ट से राहत मिल गई है, लेकिन उन्हें भी डर है कि आगे बोर्ड फिर कोई नया दावा कर सकता है.
विवाद की जड़ एक ईदगाह है
इस पूरे विवाद की जड़ गांव के पिछले हिस्से में बनी एक ईदगाह है. इस ईदगाह की देखभाल करने वाले फतुहा वक्फ बोर्ड के सचिव मोहम्मद हाशिम का दावा है कि आजादी के बाद यह जमीन वक्फ बोर्ड को दी गई थी और यहां कब्रिस्तान बनना है.
इस विवाद पर बिहार शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अफजल अब्बास ने इस मामले पर कहा कि वक्फ बोर्ड से जुड़ा मामला है, जो भी करेगा वह बोर्ड ही करेगा. लेकिन फतुहा के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति पर जबरन कब्जा नहीं करता है, हम किसी के साथ अन्याय नहीं करते हैं.