संविधान का प्रकाशन शीघ्र सिंधी देवनागरी भाषा में की जाए

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नागपुर में विदर्भ सिंधी भाषा विकास परिषद के कार्यक्रम का दृश्य.

सिंधी भाषा दिवस की स्वर्ण जयंती का नागपुर, अमरावती में आयोजन

नागपुर/अमरावती : सिंधी भाषा दिवस पर 10 अप्रैल को नागपुर में विदर्भ सिंधी विकास परिषद और अमरावती में राष्ट्रीय सिंधी विकास परिषद के तत्वावधान में भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. अमरावती में आयोजित कार्यक्रम में सरकार से मांग की गई कि सरकार के संकल्प के अनुसार सिंधी देवनागरी भाषा में भी संविधान का प्रकाशन किया जाए.

नागपुर के जरीपटका में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. विंकी रुघवानी ने किया. उन्होंने इस बात पर प्रन्नता व्यक्त की कि 1967 में ही सिंधी भाषा को संवैधानिक दर्जा मिलाने के बाद सिंधी भाषा का विकास हो रहा है. साथ ही अब सिंधी भाषा दिवस का आयोजन देश में ही नहीं, पूरे विश्व में किया जाता है.

पार्षद के उपाध्यक्ष प्रताप मोटवानी ने अपने भाषण में सरकार से सिंधी साहित्य अकादमी का वार्षिक बजट बढ़ाने की मांग की. उन्होंने सभी सिंधी परिवारों से अपील की कि वे अपने घरों में सिंधी भाषा में ही वार्तालाप करें. कार्यक्रम में पी.टी. द्वारा, अर्जुन आसुदानी, पंकज रुघवानी, विजय विधानी प्रमुख रूप से उपस्थित थे.

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अमरावती के पूज्य शदाणी दरबार में राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद द्वारा आयोजित समारोह में आए गणमान्य. इनसेट में संत डॉ. युधिष्ठिर लाल साहब.

अमरावती में सिंधु सभा ने किया सिंधी भाषा तसलीमी दिवस का आयोजन
अमरावती में राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद की इकाई की ओर से स्थानीय भारतीय सिंधु सभा ने ‘सिंधी भाषा तसलीमी दिवस‘ का आयोजन किया. पूज्य शदाणी दरबार में आयोजित समारोह की अध्यक्षता पाकिस्तान-सिंध से पधारे शंकरलाल भाटिया ने की. समरोह का उदघाटन शदाणी दरबार संघ-हिन्द के नवम ज्योत संत साईं डॉ. युधिष्ठिर लाल साहब ने की. उन्होंने सरकार द्वारा राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद की स्थापना की गई. इसके बाद देश-विदेश में हो रहे सिंधी भाषा के विकास पर उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की. भाटिया ने पाकिस्तान में सिंधी भाषा के विकास के लिए हो रहे प्रयासों की जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि सरकार ने संविधान को देवनागरी सिंधी भाषा में प्रकाशित करने का निर्णय किया है. उन्होंने मांग की कि अब शीघ्र ही देवनागरी सिंधी भाषा में संविधान का प्रकाशन किया जाए.

आडवाणी-बाजपेयी ने किया अथक प्रयास
प्रस्तावना में भारतीय सिंधु सभा, अमरावती के अध्यक्ष तुलसी सेतिया ने देश में सिंधी भाषा के विकास के लिए किए गए सतत प्रयासों के बारे जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सिंधी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने में भारतीय जनता पार्टी के नेता पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी और पूर्व उप प्रधान मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने अथक प्रयास किए. स्व. बाजपेयी ने ही सिंधी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने का प्रस्ताव 1967 में लोकसभा में पेश किया था. उन्हीं के प्रयास से सिंधी भाषा को संविधान के 8वें शेड्यूल में सिंधी भाषा को स्थान मिल पाया.

कार्यक्रम में सिंधु सभा, अमरावती के महासचिव पं. दीपक शर्मा, दाताराम खत्री, घनश्याम बत्रा, मोहनलाल मंधानी, जमुनादास बजाज, महेश मोटलानी, डॉ. एस.के. पुन्शी, नानकराम मूलचंदानी, डॉ. रोमा बजाज, ओमप्रकाश पुन्शी सहित भारी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे. अंत में सिंधी गीतों और भजनों की शानदार सरस प्रस्तुति से श्रोतागण भाव-विभोर हो गए.

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