एनबीटी ने पेश किया ब्रह्मांड की खोज पर आधारित कृष्ण किसलय की कृति “सुनो मैं समय हूं”

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ब्रह्मांड

पुस्तक समीक्षा :
बिहार राज्य में
आंचलिक पत्रकारिता के ध्वज-धारक कृष्ण किसलय पत्रकारिता के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित पहचान बन चुके हैं. संप्रति वे रोहतास जिले के सोन नदी तट नगरी डेहरी-ऑन-सोन के अग्रणी समाचार पत्र “सोनमाटी” और न्यूज-व्यूज पोर्टल “सोनमाटी.काम” “http://sonemattee.com” के समूह संपादक हैं. अपनी लेखकीय प्रतिभा और सापेक्ष विचार संप्रेषण के लिए किसलय जी अनेक प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित हो चुके हैं. ब्रह्मांड पर वैज्ञानिक खोजों और शोधपूर्ण पुरातन पर आधारित ज्ञान के साथ 184 पृष्ठों की सद्य प्रकाशित उनकी कृति “सुनो मैं समय हूं” इन दिनों चर्चा का विषय है.

वैज्ञानिक संकल्पनाओं, शोधपरक प्रामाणिक विषय-वस्तु के साथ प्राचीन खगोलीय और भौगोलिक ज्ञान पर आधारित उन्होंने इस पुस्तक की रचना किशोर विद्यार्थियों की विज्ञान के प्रति अभिरुचि जगाने और बनाए रखने के उद्देश्य से की है और अपने इस उद्देश्य में वे सफल भी रहे हैं. 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के साथ सभी वर्गों के पाठक भी इसमें गहरी रुचि प्रदर्शित कर रहे हैं.

पुस्तक का प्रकाशन देश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित प्रकाशक नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) ने किया है. अपने भूमण्डल और खगोल के प्रति आदमी हजारों सालों से जिज्ञासु रहा है. ऐसी विषय-वस्तु पर आधारित पुस्तकें हिन्दी भाषा में प्रकाशित हो चुके हैं. यहां तक कि संभवतः स्वयं नेशनल बुक ट्रस्ट भी इस विषय पर दो खण्डों में पुस्तक प्रकाशित कर चुका है. इसके बावजूद दुबारा ऐसे ही विषय पर एनबीटी ने कृष्ण किसलय की इस कृति का प्रकाशन कर इस तथ्य पर मुहर लगा दी है कि अपनी इस कृति में अधिक प्रामाणिक तथ्यों को पिरोया है.

ब्रह्मांड कब पैदा हुआ? कहां फैल रहा है? इसके विस्तार का अंत कब होगा? ईश्वर ने सृष्टि बनाई तो फिर ईश्वर को किसने बनाया? नियम से विकसित हुए ब्रह्मांड में ईश्वर का क्या काम? जीवन पृथ्वी पर पनपा या आकाश से टपका? क्या एलियन है आदमी? सभी जीवों में एक ही जैव पदार्थ तो पृथ्वी पर आदमी का एकछत्र राज्य क्यों? इन प्रश्नों का प्रमाणिक उत्तर किशोर मन को देने की कोशिश है यह पुस्तक. इसके लिए दर्जनों चित्र कोलकाता के प्रतिष्ठित चित्रकार कला स्नातक अरूप गुप्ता ने बना कर इसे और अधिक रुचिकर और जिज्ञासु बना दिया है.

प्रतिष्ठितों की प्रतिक्रया
रोहतास जिले के इतिहास पर शोध पुस्तक लिख चुके डॉ. श्यामसुन्दर तिवारी ने इस सन्दर्भ में कहा कि यह गौरव की बात है. देश में प्रकाशन विभाग के बाद एनबीटी सबसे बड़ा प्रकाशक है. इस अद्र्धसरकारी संस्थान से किताब छपना महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

काव्य संग्रह “आवाज भी देह है” के कवि-लेखक संजय कुमार शांडिल्य का कहना है कि एनबीटी राष्ट्रीय महत्व की उपयोगी पुस्तकों के प्रकाशन के लिए प्रसिद्ध है. कम मूल्य पर प्रमाणिक किताबों को देश भर के पाठकों तक पहुंचाने का कार्य यह करता रहा है. यहां से प्रकाशित होना किसी लेखक के लिए गौरव का भी विषय है.

(साथ में तस्वीर : निशांत राज)
http://sonemattee.com

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