पिछले ही वर्ष 15 अप्रैल को अपना 27 वर्षीय बेटा कोविड के कारण खो चुकी थी 53 वर्षीय मंदाकिनी
नागपुर : आधुनिक चिकित्सा विज्ञान क्या किसी की उजड़ी कोख रजोनिवृति के पांच वर्षों बाद भी हरी-भरी कर सकता है..? दिवंगत बेटे को लेकर खोई खुशी फिर से वापस दिलाने का चमत्कार भी कर सकता है..? जी हां, ऐसा यहां संभव हो पाया है 53 वर्षीय मंदाकिनी मानके के साथ.
गुरुवार, 14 अप्रैल 2022 को अपने 27 वर्षीय बेटे अक्षय की पहली पुण्यतिथि से एक दिन पहले उन्होंने एक 2.8 किलो के स्वस्थ शिशु को जन्म दिया, जिसका पिछले ही साल कोविड के कारण निधन हो गया था. नवजात का नाम भी अक्षय ही होगा.
आधुनिक चिकित्सा ने शहर की मंदाकिनी के लिए इस उम्र में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देना संभव बना दिया है, लेकिन असली श्रेय 53 वर्षीया इस मां की “दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति” को जाता है.
मंदाकिनी की दुनिया ही उजाड़ गई थी थी, जब उनके 27 वर्षीय जवान बेटे अक्षय को पिछले वर्ष 2021 के 15 अप्रैल को कोविड महामारी ने अचानक छीन लिया था. इस दारुण दुःख पर काबू पाने के लिए, उन्होंने “अपने बेटे को इस दुनिया में वापस लाने” के लिए फिर से मां बनने का संकल्प लिया.
52 साल की उम्र में मंदाकिनी ने पांच साल पहले रजोनिवृत्ति में प्रवेश किया था. उनके पति विनोद, एक सेवानिवृत्त शिक्षक, उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित थे. दंपति के लिए प्राकृतिक गर्भावस्था की संभावना शून्य के बराबर बताई जा रही थी.
बेटे को फिर से पाने की आश में मंदाकिनी ने नागपुर में वेदांश हॉस्पिटल, सुरेंद्र नगर की बांझपन और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. संगीता ताजपुरिया से संपर्क किया. चर्चा के बाद 11 मई 2021 को, मंदाकिनी ने किसी भी तरह के उपचार से गुजरने का निर्णय लिया. वह हर तरह के इलाज के लिए तैयार थीं. डॉ. ताजपुरिया ने बताया कि सौभाग्य से, वह कुछ अपरंपरागत उपचार शुरू करने के लिए पर्याप्त रूप से फिट थी. डॉक्टर ने जांच में पाया कि उनका बीएमआई और अन्य पैरामीटर सही थे. उन्होंने अगले ही दिन से इलाज शुरू कर दिया,
प्रारंभिक परीक्षणों के बाद, डॉक्टरों ने एक बार फिर से मासिक धर्म शुरू करने के लिए उन्हें दवाएं देनी शुरू कर दीं. उनके शरीर ने दवाइयों को सकारात्मक प्रतिक्रिया दी. डॉक्टरों ने अगस्त में मंदाकिनी का मासिक धर्म शुरू करने के लिए आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन – गर्भधारण की एक कृत्रिम प्रक्रिया) उपचार शुरू करने की योजना बनाई. इस लेकिन मंदाकिनी इसके लिए जुलाई 2021 में ही आईवीएफ पर जोर दिया.
डॉ. ताजपुरिया ने बताया, “हम उनकी इस तात्कालिकता को नहीं समझ पाए. मुझे इसका एहसास मार्च में हुआ, जब मंदाकिनी ने कहा कि वह 15 अप्रैल को या उससे पहले अपना बच्चा चाहती है.”
डॉक्टरों ने 23 मार्च से मंदाकिनी की स्थिति की निगरानी जारी रखी. उन्होंने अप्रैल में किसी भी दिन सी-सेक्शन (सिजेरियन डिलीवरी) का सुझाव दिया. मंदाकिनी ने 14 अप्रैल तक इंतजार करना चुना.
डॉ. ताजपुरिया ने बताया कि 14 अप्रैल को सर्जिकल डिलीवरी करने का यह दंपत्ति का निर्णय था. उन्होंने उन्हें कहा कि वे इस दिन को शुभ मानते हैं. हमारे लिए यह आश्चर्य की बात थी. और ऐसा ही हुआ. गुरुवार, 14 अप्रैल को उनकी बेटे को जन्म देने की ऐश पूरी हो गई. बाद में पता चला कि यही दिन उन्होंने क्यों चुना था.
मंदाकिनी की 78 वर्षीय मां ने नाती को देखा. उनकी प्रतिक्रिया थी कि उनका नवजात नाती बिल्कुल वैसा ही दिखता है, जब अक्षय 28 साल पहले पैदा हुए थे. मंदाकिनी ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर मां ठान ले तो वह नियति को भी हरा सकती है. उन्होंने कहा, “आज मैं अपने बेटे को फिर से इस दुनिया में लाने में सफल रही. मैं बहुत खुश हूं,”