शिवसेना के रिवोल्ट से ही कांग्रेस, राष्ट्रवादी मंत्रालय पहुंच पाए : चतुर्वेदी

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चतुर्वेदी

पूर्व मंत्री, कांग्रेस नेता सतीश चतुर्वेदी ने कांग्रेस के हालात पर जताई चिंता, कहा- एडहॉकिजम फेल हो चुका है 

भेंटवार्ता
नागपुर :
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और राज्य के वरिष्ठ कांग्रेस नेता सतीश चतुर्वेदी ने यहां नागपुर जिला, महाराष्ट्र और सम्पूर्ण देश में अपनी पार्टी की खराब स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि महाराष्ट्र की सत्ता में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस को स्थान केवल शिवसेना के कारण ही मिल पाई है. यदि शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे भाजपा गठबंधन से बाहर आने का साहस नहीं दिखा पाते तो कांग्रेस और एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस) को फिर से महाराष्ट्र के मंत्रालय में जगह मिल पाना संभव नहीं होता. चतुर्वेदी ने मराठी पोर्टल ‘हाय महाराष्ट्र’ के यूट्यूब चैनल पर संपादक मोरेश्वर बड़गे के साथ एक भेंटवार्ता के दौरान यह बातें कही.
चतुर्वेदी
चतुर्वेदी ने बातचीत के दौरान कांग्रेस पार्टी के गिरे हुए हालत, निचले स्तर से लेकर शीर्ष तक की अंदरूनी स्थिति के साथ पार्टी को फिर से उठ खड़े करने के उपायों पर भी चर्चा की. उन्होंने कांग्रेस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए तैयार करने के गंभीर प्रयासों की जरूरत बताई.

पार्टी कमजोर होती जा रही है… 
उन्होंने कांग्रेस में संगठन के चुनावों पर ध्यान नहीं दिए जाने को ही कांग्रेस की बुरी स्थिति का परिणाम बताया. उन्होंने कहा कि नागपुर जिले में ही पिछले तीस वर्षों से पार्टी संगठन के चुनाव नहीं कराए गए हैं. हर बार अध्यक्ष नॉमिनेट कर दिया जाता है. यह स्थिति देश के सभी जिलों में है. यही स्थिति महाराष्ट्र सहित देश के प्रत्येक राज्य की है. राष्ट्रीय स्तर पर भी संगठन के चुनाव नहीं कराए जाने से पार्टी दिन ब दिन कमजोर होती जा रही है.
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उन्होंने कहा कि पार्टी में मरघट सी स्थिति बनी हुई है. हर बार सदस्यता अभियान चलाकर कार्यकर्ता तो बना लिए जाते हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के लिए कोई योजना नहीं होने से पार्टी में प्रत्येक स्तर पर मरघट सी स्थिति बनी हुई है.
 
जब इंदिरा गांधी सहित पूरी कांग्रेस हारी थी… 
उन्होंने कहा कि पार्टी को फिर से जीवंत बनाना जरूरी है. चतुर्वेदी 1977 के उस आम चुनाव को याद करते हैं, जिसमें पूरी की पूरी कांग्रेस पार्टी हार जाती है, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जैसी नेता चुनाव हार जाती हैं, संजय गांधी तक चुनाव हार जाते हैं. लेकिन ढाई साल के अंदर ही हम उससे बाहर आए, आम चुनाव में पार्टी कमबैक कर लेती है. यह कांग्रेस का डीएनए है, यह पार्टी का इनर स्ट्रैंथ (ताकत) है.
 
करिश्मा किया था कांग्रेस ने 
उस वक्त के महाराष्ट्र की स्थिति को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘मुझे गर्व है कि मैं उस वक्त महाराष्ट्र यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष था. यहां उस समय शरद पवार साहब की सरकार थी. भाजपा के साथ मिल कर उन्होंने सरकार बनाई थी. पुलोद के मुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहे थे. हम उस वक्त पूरी ताकत के साथ लड़ाई लड़ रहे थे. फलस्वरूप ढाई साल में यहां भी पार्टी लौटी. अकेले विदर्भ में 63 सीटों में कांग्रेस 57 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी. इसी विदर्भ से हमने महाराष्ट्र में कमबैक किया था. उस समय जवाहरलाल दर्डा थे, अंतुले साहब थे. उस समय राज्य की 280 सीटों में 210 पर हमारी जीत हुई थी. तो यह कांग्रेस का करिश्मा था, पूरे देश में हम जीत कर आए थे. श्रीमती इंदिरा गांधी दुबारा प्रधानमंत्री बनीं थीं.’

कांग्रेस के उत्कर्ष की ओर ध्यान दिलाते हुए चतुर्वेदी ने कहा कि नेहरू जी के समय भी कांग्रेस को उतनी सीटें नहीं आई, जितनी राजीव गांधी के समय में आईं. कांग्रेस को उस समय लोकसभा की 400 से ऊपर 410 सीटें हासिल हुई थीं.
 
डेमोक्रेसी लानी होगी कांग्रेस में..!
कांग्रेस नेता ने इसके बाद कांग्रेस की आज के हालात पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, ‘आज जिस दौर से हम गुजर रहे हैं… पार्टी हमारी… उससे बाहर आने का जो रास्ता है, …विपक्ष को अगर मजबूत करना है, कांग्रेस को अगर मजबूत करना है तो जो हमारा पुराना फार्मूला है, उसी फॉर्मूले से हम बाहर आ सकते हैं. वह फार्मूला मुझे लगता नहीं कि हमने अभी तक अडॉप्ट किया है. उस फार्मूले के बिना हम बाहर नहीं आ सकते. बंगाल में अभी चुनाव हुए वहां हम बुरी तरह हारे, दिल्ली में हारे. कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद जैसे पार्टी नेताओं का भी कहना है, पार्टी की ऐसी दयनीय स्थिति के लिए संगठन का चुनाव नहीं होना जिम्मेदार है.  40-40 वर्षों से पार्टी संगठन चलाने वाले, सरकार में रहे नेताओं का भी कहना है कि पार्टी में डेमोक्रेसी लानी होगी…’ 

आईसीयू से निकालना होगा कांग्रेस को 
उन्होंने लोगों द्वारा व्यंग्य में कांग्रेस को आईसीयू में होना बताए जाने पर कहा कि ऐसे व्यंग्य से बाहर आने के लिए, कांग्रेस को इस गिरी हुई अवस्था से बाहर लाना होगा. इसके लिए “सड़क की राजनीति” आवश्यक है. उन्होंने कहा कि नेताओं को भी सड़क की राजनीति में शामिल होना पडेगा. यह ऊपर से करना होगा. नेताओं को बाहर आकर प्रदर्शनों में भाग लेना होगा. कार्यकर्ताओं के साथ उन्हें भी जेल जाना होगा. आंदोलनों में, प्रदर्शनों में हम नहीं उतरेंगे, जेल नहीं जाएंगे, इसमें नेता सामने नहीं आएंगे तो कांग्रेस को आईसीयू से बाहर नहीं लाया जा सकता.
 
कांग्रेस को नहीं मिला लम्बे समय से फुलटाइम अध्यक्ष… 
चतुर्वेदी ने कहा- ‘आज सोनिया जी हमारी कार्यकारी अध्यक्ष हैं, दुर्भाग्य से उन्हें स्वास्थ्य की समस्या है. हमें लम्बे समय से पूर्णकालिक… फुलटाइम अध्यक्ष नहीं मिला है, राहुल जी ने लोकसभा चुनाव के बाद अध्यक्ष पद छोड़ दिया. सोनिया जी की स्वास्थ्य के कारण कुछ मर्यादाएं है. इससे पूरे देश में कांग्रेस नेतृत्व में वैक्यूम निर्माण हो गया है. यह वैक्यूम दूर करना पार्टी के लिए बहुत आवश्यक है…’ …‘अब एडहॉकिजम नहीं चल सकता. एडहॉकिजम फेल हो चुका है.’
 
शरद पवार के प्रयास… 
भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए राष्ट्रवादी नेता शरद पवार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सभी बड़े विपक्षी नेताओं को एक साथ लाने के प्रयास की चर्चा करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि इसके लिए सभी दलों को निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर सामने आना होगा. उन्होंने उदाहरण दिया कि पिछले दिनों कर्नाटक में, मध्यप्रदेश में गोआ में राजस्थान आदि राज्यों में जो प्रयोग (भाजपा द्वारा) किए गए, वैसा पहले कभी नहीं हुआ. इस्तीफे दिलाए गए. ऐसे प्रयोगों के कारण कर्नाटक, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में चुनी हुई सरकारें गिर गईं.
 
इममेचुरिटी दिखाएंगे तो महाराष्ट्र में भी टूट सकती है सरकार  
महाराष्ट्र की चर्चा की चर्चा करते हुए चतुर्वेदी ने बताया कि यहां भाजपा को रोकने के लिए ऐसा शरद पवार, शिवसेना और कांग्रेस के साथ आने से हुआ. महाराष्ट्र में यह तीनों दलों की समझदारी से ठीक-ठाक चल रहा है. लेकिन स्थिति संवेदनशील है. महाराष्ट्र जैसे बड़े औद्योगिक स्टेट से भाजपा का सत्ता से जाना एक बड़ा टर्निंग पॉइंट है. महाराष्ट्र में हम जरा भी जल्दबाजी करेंगे, इममेचुरिटी दिखाएंगे तो यहां भी सरकार टूट सकती है. भाजपा यहां सर उठा रही  है, पूरी ताकत के साथ लगी हुई है सरकार को गिराने में, गठबंधन को तोड़ने में.
 
उद्धव ठाकरे अगर रिवोल्ट नहीं करते…    
चतुर्वेदी ने लगे हाथ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे जिस समझदारी और निपुणता से सरकार चला रहे हैं, कोरोना को जिस तरह उन्होंने टैकल किया, सभी को साथ लेकर चलने का वे प्रयास कर रहे हैं, वह बहुत अच्छी मिसाल है. उन्होंने कहा कि …उद्धव ठाकरे जी अगर रिवोल्ट नहीं करते तो मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस और एनसीपी फिर से सत्ता में आ सकते. उद्धव ठाकरे भाजपा से बाहर निकले, भाजपा को छोड़ा, तो कांग्रेस और एनसीपी शासन में दिखाई दे रहे हैं. नहीं तो और 15-20 साल इन्हें सत्ता का मुंह संभवतः देखने को नहीं मिलता.

बंगाल में उन्हें रोक चुकी है ममता बनर्जी   
चतुर्वेदी का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए जरूरी है कि सभी पार्टियों में समझदारी आए और कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार किया जाए. यह तभी संभव है, जब पार्टी संगठन कार्यकर्ताओं दवा चुने गए पदधारी नेताओं द्वारा संचालित होगा. भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए सक्षम उपायों की चर्चा के साथ उन्होंने उदाहरण दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम करने के आक्रामक राजनीतिक स्टाइल है, वे मीडिया को कुशलता से मैनेज करते हैं, इसके बावजूद बंगाल में ममता बनर्जी ने उन्हें रोका. महाराष्ट्र में भी ऐसा ही हुआ है. 

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