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Labour Codes : एक और धोखा देने को EPFO तैयार

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*Prasoon S. Kandath,
नई दिल्ली :
वेतन के आधार पर पेंशन निर्धारित करने के केरल हाईकोर्ट के फैसले से बचने के लिए मिल रहे संकेतों के मुताबिक कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) Labour Codes को आधार बना कर नियमों में फेरबदल करने की फिराक में है.

यह फेरबदल संसद से हाल ही में पारित Labour Codes (श्रमिक संहिता) में किए गए बदलाव को आधार बनाया जाने वाला है.

इसी को ध्यान में रखकर हाल ही में EPFO ने अपने सभी जोनल और रीजनल अधिकारियों को मौखिक रूप से यह निर्देश दे रहा है कि Higher Pension के लिए प्राप्त आवेदनों पर कोई कदम न उठाए, चाहे वह किसी हाईकोर्ट के आदेश के साथ ही क्यों न दिया गया हो.

यह चाल केवल अदालती आदेशों को निरस्त बनाने के लिए चली जा रही है. अब इसके लिए Labour codes में संशोधन को आधार बनाया जाएगा अथवा EPF Pension Scheme के नियमों में ही फेरबदल क्यों न करना पड़ेगा.

ज्ञातव्य है कि केरल हाईकोर्ट ने साल 2018 में फैसला सुनाया था कि पेंशन वेतन के अनुसार ही दिए जाएं. इसके विरुद्ध EPFO ने अपील की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

इसके बाद EPFO और केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका (Review Petition) दायर किया है, जिसके फैसले का अभी इंतजार है.

इस बीच जिन्होंने हाईकोर्टस के सम्बंधित अदालती फैसले के हवाले से higher pension प्राप्त करने में सफल भी रहे, उनके higher pension EPFO ने रुकवा दिए. और अब अपने अधीनस्थ कार्यालयों को यह निदेश दे रहा है कि ऐसे आवेदनों को वे लौटा दिया करें. साथ ही यह भी कहा गया है कि जब तक (Labour Codes के आधार पर) नियमों में सुधार न हो जाए, उनके फाइलों पर कोई पहल न की जाए, चाहे वे कोर्ट से अनुकूल आदेश ही क्यों न प्राप्त कर चुके हों.

नए सदस्यों के अधिक रकम के योगदान पर अधिक पेंशन दिए जाने के प्रस्तावित प्रकरण पर ट्रस्ट बोर्ड ने भी अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है, बल्कि इसे टाला ही जा रहा है.

इस सन्दर्भ में लोकसभा सदस्य एन.के. प्रेमचंद्रन का निम्नलिखित उद्धरण ध्यान देने योग्य है, उन्होंने बताया है-

“यह संशोधन Labour Code में उल्लिखित EPF PENSION संबंधी बातों को आधार बना कर किए जाने की संभावना है. ऐसा संकेत श्रम मंत्री दे चुके हैं. मामला जब कोर्ट तक पहुंचेगा, तब प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) बचाव में हस्तक्षेप करने को तैयार रहेगा. इस मामले में न्यायपालिका के कार्यकलापों को अवरुद्ध करने की बहुत ही चातुर्यपूर्ण (tactical) क्रियाशीलता और षडयंत्र की गहरी साजिश महसूस की जा रही है.”
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(यह समाचार रविवार, 27 सितम्बर 2020 को केरल के मलयाली दैनिक “कौमुदी” के इ-पेपर में प्रकाशित हुआ है.)

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