विदर्भ में दलहन को भारी बारिश एवं कीट हमले से नुकसान

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तुअर

उड़द एवं मूंग के साथ तुअर पर भी भारी असर

*कमल शर्मा/अश्विन शाह  
नागपुर/पुलगांव(वर्धा) :
महाराष्‍ट्र के विदर्भ इलाके में भारी बारिश एवं कीट हमले से उड़द एवं मूंग की फसल को भारी नुकसान हुआ है. जबकि तुअर की फसल भी अधिक सुरक्षित नहीं है. विदर्भ महाराष्‍ट्र के पूर्व में स्थित है जबकि इसकी सीमाएं उत्तर में मध्‍य प्रदेश एवं पूर्व में छत्तीसगढ़ से लगती हैं. उधर वर्धा जिले के सालफल गांव में तुअर और कपास को  पहुंचा है, तो  आर्वी तहसील के धानोडी के पास बने लोवर वर्धा डैम से छोड़े गए पानी से फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है.  

किसानों का कहना है कि अकोला जिले में 21,989 हैक्‍टेयर में मूंग की खेती हुई है एवं लगातार बारिश और कीट हमले से लगभग 90 फीसदी फसल नष्‍ट हो चुकी है. कीट ने फसल के पत्तों में छेद कर दिए हैं. यहां उड़द की बोआई 15,383 हैक्‍टेयर में हुई एवं लगभग 40 फीसदी फसल नष्‍ट हो चुकी है. यहां अच्‍छी स्थिति में मूंग का उत्‍पादन प्रति एकड़ 500 किलोग्राम होता, लेकिन कीट हमले के बाद यह पांच किलोग्राम प्रति एकड़ से ज्‍यादा होता नहीं दिख रहा. किसानों ने चार बार पेस्‍टीसाइडस का छिड़काव भी किया है, लेकिन फसल का बचाव नहीं हो सका.

किसानों का कहना है कि इस साल बगैर थमे लगातार बारिश से दलहन की फसलों को नुकसान हुआ है. अधिक पानी जमा होने एवं सड़कें ठीक न होने से किसान अपने खेतों तक भी नहीं पहुंच पाए, जिससे फसलों को अधिक नुकसान हुआ है. इस खरीफ सीजन में मूंग एवं उड़द की फसल लगभग खत्‍म हो चुकी है. जबकि तुअर की फसल आने में लंबा समय होने से हालात ठीक है.

अतिवर्षा व डैम से छोड़े पानी के कारण सैकड़ों एकड़ में लगी फसल बरबाद
पुलगांव से हमारे संवाददाता अश्विन शाह ने बताया है कि वर्धा जिले के धानोडी डैम से अतिरिक्त जल की निकासी व अतिवर्षा के कारण परिसर के सालफल गांव के किसानों की खेती में पानी के जमाव से खड़ी तुअर और कपास की फसलों का बेहद नुकसान हुआ है.

बता दें कि किसानों के जीवन निर्वाह का एकमात्र साधन उनकी खेती की फसल होती है. किंतु उसके नुकसान होणे के कारण किसान का जीवन संकट में है. सरकारी यंत्रणा की ओर वे आशा भरी नजरों से नुकसान भरपाई मिलने की राह देख रहे हैं. किंतु अभी तक कोई भी सरकारी अधिकारी नुकसान हुई फसल का पंचनामा करने तक नहीं आया है.

आर्वी तहसील के धानोडी के पास बने लोवर वर्धा डैम से बारिश के इस मौसम में जब भी पानी की निकासी होती है, आसपास के परिसर जलमग्न हो जाता है और फसलों को भारी नुकसान होत है.

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